अपनी बात

PM मोदी को CM रघुवर से सीखना चाहिए कि कैसे IAS की पत्नियों की सेवा में IPRD को लगा देना चाहिए?

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में भी सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग है। अरे सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग तो सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों में भी काम करता है, पर जिस प्रकार का सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग झारखण्ड में काम करता है, वैसा कही नहीं हैं। जरा देखिये, यहां हो क्या रहा है? झारखण्ड में कार्यरत आइएएस की पत्नियां उनके कार्यों से खुश रहे, उसके लिए वे ऐसे-ऐसे कार्य कर दे रहे हैं, जिसकी इजाजत कानून तक नहीं देता।

ऐसे तो आम तौर पर किसी भी राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश अथवा नरेन्द्र मोदी सरकार का सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की साइट देखेंगे तो उसमें राज्य अथवा केन्द्र से संबंधित समाचारों पर ही नजर पड़ेंगी, पर झारखण्ड में तो आइपीआरडी की साइट से आइएएस की पत्नियों से संबंधित समाचार भी जारी किये जाते हैं, और कल तो आइपीआरडी ने हद कर दी, उसने आइएएस की पत्नियों की पीसी वह भी सरकारी टीवी JharGov TV पर लाइभ कर दी, जिसे आप कभी भी देख सकते है, जो यूट्यूब पर भी उपलब्ध है।

सूत्र बताते है कि जब तक मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रधान सचिव संजय कुमार रहे, तब तक आइपीआरडी में मर्यादा रही, पर जैसे ही उन्होंने बिहार का रुख किया। आइपीआरडी की मर्यादा पूरी तरह धूल-धूसरित हो गई। सूत्र यह भी बताते है कि कभी सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में अमित खरे, मस्तराम मीणा, सुखदेव सिंह जैसे आइएएस लोगों ने भी योगदान दिया था, पर ऐसी स्थिति नहीं थी, जैसी स्थिति आज है।

पूर्व में मर्यादा का ख्याल रखा जाता था, पर अब मर्यादा की बात करनेवाले मूर्ख और मर्यादा तोड़नेवालों को ज्यादा अक्लमंद माना जा रहा है। स्थिति तो ऐसी है कि विज्ञापन के लालच में यहां के अखबार व मीडिया के लोग भी आइएएस की पत्नियों के आगे नतमस्तक हो रहे हैं, और गलत कार्यों को देखते हुए भी कुछ मुख तक नहीं खोलते, क्योंकि उन्हें नौकरी जाने का खतरा बना रहता है, साथ ही शानो-शौकत जिंदगी पर कोई असर नहीं पड़े, यह भी खतरा उन पर बना रहता है।

सूत्र बताते है कि कल जब आइएएस क्लब बूटी रोड रांची में जेसोवा यानी झारखण्ड आइएएस आफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन द्वारा दिवाली मेले को लेकर प्रेस कांफ्रेस आयोजित हो रहा था, वहां इस पीसी को लाइभ करने के लिए आइपीआरडी की आठ सदस्यों की टीम वहां पहुंच गई थी, और उनलोगों ने बड़े ही गर्व से इसको लाइभ भी किया, जिसे देखकर झारखण्ड आइएएस आफिसर्स वाइव्स एसोसिएशन से जुड़ी महिलाएं बहुत ही पुलकित थी।

सूत्र यह भी बता रहे थे कि इस पीसी में सारे अखबारों व चैनलों के लोग मौजूद थे, क्योंकि आइपीआरडी का बहुत बड़ा दबाव था, साथ ही विज्ञापन की तलवार भी सारे अखबारों व चैनलों पर लटक रही थी, सभी पहुंचे और अपनी क्षमतानुसार किसी ने अखबार, तो किसी ने अपने चैनल में इसे जगह दी, पर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह आइपीआरडी के डायरेक्टर या आइपीआरडी के सचिव या मुख्यमंत्री के सचिव या मुख्यमंत्री से यह पूछे कि क्या सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के साइट का दुरुपयोग या सरकारी टीवी लाइभ का दुरुपयोग राज्यहित में सहीं हैं?

सभी डरे हुए थे, ऐसा डर जैसे लग रहा था कि कहीं कोई गलती हुई तो उनके आका न नाराज हो जाये। ये स्थिति है, झारखण्ड की, ये स्थिति है यहां के आइएएस की, यह स्थिति है यहां की सरकार की, यानी यहां सरकार कौन चला रहा है? यह भी एक समस्या ही है, जो इस समस्या को सुलझा लें, वह मर्द?

जरा कल का आइपीआरडी का साइट खोलिये, प्रेस रिलीज में जाइये, आपको आइएएस की पत्नियों से संबंधित समाचार मिल जायेगा, जिसका प्रेस विज्ञप्ति संख्या 600 है। आप इसी प्रकार यूट्यूब में जाइये और देखिये कैसे यहां के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर और करा रहे हैं, क्या यहीं दुरुपयोग ग्रुप बी, ग्रुप सी अथवा ग्रुप डी के अधिकारियों/कर्मचारियों को मिलेगा? अरे भाई पत्नियां तो उनकी भी हैं, उनकी पत्नियों ने कौन सा गुनाह कर दिया है? कि उनकी न्यूज मुख्यमंत्री के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के आइपीआरडी साइट पर दिखाई नहीं देती, उनका सरकारी टीवी लाइभ नही होता।