थोड़ा अपने गिरेबां मे भी झांक कर देखे भाजपा

 

लोग भूख से मर रहे हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। राज्य के मुख्यमंत्री और उनके साथ रहनेवाले कनफूंकवों का दल अमरीका और जापान की सैर कर रहा है अर्थात सरकार ऐश-मौज करें और विपक्षी दल इनके कुकर्मों पर अंगूली न उठाएं, राजनीति न करें तो फिर ये विपक्षी दल बने हैं किसलिए?  सत्तारुढ़ दल और उनके कनफूंकवों की आरती उतारने के लिए। राज्य के हालात तो इतने बदतर है कि जिस पर आरोप होता है, उसी को जांच करने का जिम्मा सौंप दिया जाता है।

जरा एक उदाहरण देखिये, स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास एक नहीं, कई बार भारी भीड़ के बीच, मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में गिरिडीह की शोभा शिवानी को तीन लाख रुपये दिलाने की घोषणा करते हैं, उसके बाद भी उस लड़की को आज तक पैसे नहीं मिले और भाजपा का प्रवक्ता कहता है कि विपक्ष मौत पर राजनीति कर रहा हैं। हद हो गई भाई। जब तुम्हारे पास किसी को देने के पैसे नहीं है, भूखों को खिलाने के लिए अनाज नही हैं, तो फिर फिल्मों में ठूमके लगानेवालों को देने के लिए करोड़ों रुपये कहां से आ जाते है? बड़े-बड़े चैनलों व अखबारों के संपादकों को ड्राई फ्रूटस उनके घरों तक पहुंचाने के लिए रकम कहां से आ जाती हैं। आपको जापान व चेक घुमने के लिए, लास वेगास घुमने के लिए पैसे कहां से आ जाते हैं।

कितने शर्म की बात है कि कुछ ही दिन पहले आपने 1000 दिन पूरे किये तो ताल ठोक कर कहा कि हमने 11.50 अवैध राशन कार्ड खत्म कर दिये और इसे आपने उपलब्धि में गिना दिया, पर जैसे ही 11 वर्षीया संतोषी की मौत भूख से हो गई तो आपकी सारी बोकरादी निकल गई। आखिर आप सत्य को स्वीकार क्यों नहीं करते? कि आपने राज्य की जनता को परेशानी में डाल दिया है। जनता आपको एक पल भी सत्ता में बैठे हुए देखना पसंद नहीं करती। भ्रष्टाचार का सारा रिकार्ड आपने तोड़ दिया है। झूठ बोलने में इतने माहिर है कि क्या कहा जाये। आप तो झूठ बोलने के चक्कर में भारी-भरकम हाथी भी उड़ा देते हैं। सच्चाई यह है कि कहीं से भी झारखण्ड में निवेश के लक्षण नहीं दिखाई पड़ रहे, पर आप दिये जा रहे हैं और विपक्ष को ही कटघरे में रखने का काम कर रहे हैं, जो पूर्णतः गलत है।

हम तो चाहेंगे कि विपक्ष इस मुद्दे पर एक बड़ा जनांदोलन खड़ा करें, क्योंकि इस सरकार ने बिना ये पता लगाये कि जरुरतमंदों के राशन कार्ड आधार से लिंक है या नहीं, मुख्य सचिव के निर्देश पर राशन कार्ड खत्म कर दिये गये। आश्चर्य की बात है कि स्वयं खाद्यआपूर्ति मंत्री सरयू राय स्वीकार करते है कि पीडिता को कई महीनों से राशन नहीं मिला और उसके बावजूद भाजपा के नेताओं का यह बयान कि मौत पर राजनीति कर रहा हैं विपक्ष, हास्यास्पद ही नहीं, शर्मनाक है। पता नहीं, कैसे-कैसे लोग भाजपा में शामिल हो कर, भाजपा के ही बड़े, शीर्षस्थ तथा अंत्योदय के लिए जीनेवाले नेताओं के सम्मान के साथ खेल रहे हैं।