बंधक मरीज मो. अय्यूब की फरियाद भी नहीं सुनी CM रघुवर दास ने

ये देखिये झारखण्ड का हाल। सरकारी अस्पताल तो यहां खत्म ही हैं, जो स्वयं को बेहतर होने और सेवा का दंभ भरते है, जरा उसका हाल देखिये। बात हो रही है, मेदांता अस्पताल रांची की। बताया जा रहा है कि वहां एक बीपीएल मरीज पिछले एक महीने से बंधक बनाकर रखा गया है। आश्चर्य इस बात की है इस बीपीएल मरीज के इलाज के लिए जो राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के तहत दो लाख उनतीस हजार पांच सौ पच्चीस रुपये भुगतान किये गये है, उसके अलावे भी इस मेदांता ने बीपीएल मरीज से उसके इलाज के लिए डेढ़ लाख रुपये अलग से लिये, जो मरीज ने अपने जमीन-जायदाद बेचकर अस्पताल प्रबंधन को उपलब्ध कराये है। यानी करीब चार लाख रुपये के भुगतान के बावजूद, उक्त मरीज को अस्पताल से ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने करीब दस लाख रुपये की मांग बीपीएल मरीज से कर दी है। मरीज के परिजन इतनी बड़ी राशि देने में पूरी तरह असमर्थ है, इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास से 3 फरवरी को गुहार लगाई पर मुख्यमंत्री रघुवर दास के यहां भी उस मरीज की विनती सुनी नहीं गई।

मरीज के परिजन बताते है कि इस संबंध में जब उनलोगों ने अस्पताल प्रबंधन से बात की, तब अस्पताल प्रबंधन ने उन सब को झूठे केस में फंसा देने की धमकी दे डाली, जिससे पूरा परिवार ही परेशान है।

लोग बताते है कि लातेहार जिले के गांव चोपे रहनेवाले मो. अय्यूब को करीब दो महीने पहले रांची के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था, परिजनों को उस वक्त अस्पताल प्रबंधन ने डेढ़ लाख रुपये खर्चा बताया था, जब अस्पताल प्रबंधन को पता चला कि मरीज बीपीएल कार्ड धारी है तब अस्पताल प्रबंधन ने सरकारी प्रावधान के अनुसार राशि प्राप्त कर लेने तथा शेष राशि लौटाने की बात की थी, पर अब सरकारी राशि ले लेने तथा अलग से डेढ़ लाख रुपये प्राप्त करने के बावजूद मरीज अय्यूब को अस्पताल प्रबंधन छोड़ने को तैयार नहीं, अब अस्पताल प्रबंधन मरीज को नौ लाख पचासी हजार तिरसठ रुपये का बिल थमा दिया है, परिजनों का कहना है कि अब उनलोगों के पास एक पैसे नहीं है, ऐसे में इतने पैसे कहां से लाये?

इधर मुख्यमंत्री रघुवर दास को भेजे पत्र में मो. अय्यूब ने गुहार लगायी है, उसका कहना है कि वह बीपीएल मरीज है, सभी बेटे उसके अलग रहते है, मां-बाप से मतलब नहीं है, सभी लड़के अपने बाल-बच्चों से परेशान है। उसका छोटा बेटा इमदाद अख्तर  8 दिसम्बर 2017 से मेदांता अस्पताल में उसकी देखभाल कर रहा है।

मो. अय्यूब के अनुसार वह पूर्व की तरह इलाज कराने के लिए मेदांता अस्पताल लाया गया था, जहां डाक्टरों ने जांच पड़ताल कर भर्ती कर लिया। मो. अय्यूब ने अपना सारा दुखड़ा सीएम को लिख भेजा पर सीएम रघुवर दास के यहां से भी उसकी एक बात नहीं सुनी गई, अब बेचारा वह करें भी तो क्या करें, किसको अपना दुखड़ा सुनाये?