दिल्ली आइये, इंडिया गेट-कुतुबमीनार देखिये, पर सपरिवार अक्षरधाम जाना न भूलें

जब मैं बहुत छोटा था। फिल्म “दुश्मन” के गीत हमारे कानों में शहद घोलते। जब भी फिल्म “दुश्मन” का रिकार्ड बजता और ये गाना “देखो-देखो-देखो, बाइस्कोप देखो, दिल्ली का कुतुबमीनार देखो” बजता, हम रोमांचित हो उठते, यानी कभी दिल्ली जाना है तो कुतुबमीनार देखना जरुर हैं, पर जैसे-जैसे उम्र बीतता गया, जीवन की सच्चाई हमारे सामने दिखाई देने लगी, आध्यात्मिकता के जड़ मेरे हृदय में मजबूती से अपनी पकड़ बनाने लगे, वैसे-वैसे कुतुबमीनार देखने का शौक कब काफूर हो गया, पता ही नहीं चला।

पिछले कई दिनों से दिल्ली में हूं, पर न तो कुतुबमीनार ही जाने का और न ही इंडिया गेट जाने का हमे शौक रहा, पर जब अपने बेटे ने हमें कहा कि पापा जी कल अक्षरधाम चलना हैं, मन प्रसन्नता से भर उठा, हम सपरिवार द्वारका सेक्टर 21 से मेट्रो रेल के द्वारा अक्षरधाम की ओर निकल पड़े, जैसे ही अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन पहुंचा, हम सभी के पांव बड़ी तेजी से अक्षरधाम मंदिर की ओर निकल पड़े। बेटे ने कहा था, पापा जी जल्दी चलिए, क्योंकि यहां बहुत भीड़ होती हैं, तीन-तीन शो चलते हैं, अगर आप उसे नहीं देख पायें तो फिर अक्षरधाम मंदिर को बेहतर ढंग से आप नहीं समझ सकते, मैंने बेटे की बातों पर ध्यान दिया और इस बात का ख्याल रखा कि हम अक्षरधाम मंदिर को बेहतर ढंग से समझ सके।

अक्षरधाम मंदिर आने पर पता चला कि पूरी दुनिया का सबसे बड़ा और विशाल मंदिर दिल्ली में बना एकमात्र अक्षरधाम हैं तथा दूसरा पश्चिमी देशों में लंदन का अक्षरधाम मंदिर है।सुनकर और जानकर अच्छा लगा, क्योंकि हम दुनिया के सबसे बड़े मंदिर अक्षरधाम मंदिर में थे। यह मंदिर स्वामिनारायण भगवान को समर्पित हैं, जिनका जन्म उत्तरप्रदेश के अयोध्या में छपिया में हुआ, जिन्होंने अध्यात्म के द्वारा मानव कल्याण में अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया, तथा इस क्रम में इन्होंने गुजरात को अपना कर्मभूमि बनाया।

दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर, भारत के अन्य मंदिरों की अपेक्षा बहुत ही सुंदर, स्वच्छ, निर्मल तथा अनुशासित है, यहां आपको गंदगियां ढूंढने को नहीं मिलेंगी और न भिखमंगे दिखाई पड़ेंगे। जैसे ही आप मंदिर में प्रवेश करेंगे, आपके लिए नहाने धोने से लेकर फ्रेश होने तक की सुविधा हैं, आप को जो करना हैं, आप अपनी सुविधानुसार कर लें तथा अपने सामानों को लॉकर में रख, अगर अल्पाहार करना हैं तो अल्पाहार कर लें और फिर सुरक्षा जांच कराकर अक्षरधाम मंदिर में प्रवेश कर जाये।

किसी से पूछने की आपको जरुरत नहीं, हर चीजें जो आपको जाननी हैं, देखनी है, समझनी हैं, वह अंग्रेजी और हिन्दी भाषा में उपलब्ध हैं, बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी जो दिल्ली आते हैं, वे अब अक्षरधाम आना नहीं भूलते, यह सभी को जान लेना चाहिए, क्योंकि दिल्ली स्थित अक्षरधाम है ही ऐसा।

अक्षरधाम में चार प्रकार के शो चलते हैं, पहला – सहजानन्द दर्शन, जो 50 मिनट का हैं, दूसरा – नीलकंठ दर्शन, जो 40 मिनट का हैं, तीसरा संस्कृति विहार जो 15 मिनट का है और चौथा वाटर शो, जो 25 मिनट का है। सहजानन्द दर्शन में आपके जीवन के उद्देश्य और स्वामि नारायण के जीवन से संबंधित शो आपके हृदय और मानस पटल पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं, वहीं नीलकंठ दर्शन, स्वामिनारायण भगवान के बाल घनश्याम से लेकर नीलकंठ बनने और उसके बाद स्वामिनारायण भगवान बनने की एक छोटी सी वृत्तचित्र हैं, जो हमें उनके बारे में विस्तार से बताती हैं, जबकि संस्कृति विहार, भारत के महान वैदिक परंपराओं, प्राचीन संस्कृतियों एवं हमारे ऋषियों-मणीषियों द्वारा विश्व को दिये गये महान ज्ञान-विज्ञान से हमारा साक्षात्कार कराते हैं, जबकि रात्रि में चलनेवाला वाटर शो के माध्यम से हमे जीवन कैसे जीने चाहिए का बोध कराया जाता हैं, यानी यहां सारे के सारे शो आपको बताने के लिए काफी हैं कि हमारा जीवन कैसा हो।

विशाल भूखण्ड के बीचोंबीच भूमि पर बने स्वामिनारायण भगवान के विशाल मंदिर और उसके गर्भगृह में स्थापित भगवान स्वामिनारायण को आप एक पलक देखते रह जायेंगे, गर्भगृह के चारों और स्वामिनारायण भगवान के जीवन से संबंधित तैल्यचित्र और पत्थरों में तराशे गये उनकी जीवनगाथा अंकित है, जो मानव मात्र को प्रेरित करती हैं, मंदिर में ही सीताराम, राधाकृष्ण, लक्ष्मीनारायण, गौरीशंकर भगवान की प्रतिमाएं बहुत ही आकर्षक हैं।

108 गोमुख से निकलती जलधाराएं, तथा हाथी व सिंहों की कलाकृतियों से युक्त मंदिरों की दीवारें अतिशोभायमान हैं, यहां स्वामिनारायण भगवान का आप जलाभिषेक करना चाहे, तो उसका भी लाभ उठा सकते हैं,  जिससे आपको अद्भुत मन की शांति मिलेगी, सचमुच स्वामिनारायण भगवान का मंदिर, आज दिल्ली आनेवालों को अपनी ओर बरबस ही खींच ला रहा हैं, हमने स्वामिनारायण भगवान का दर्शन किया तथा उनके जीवन को जाना, ये हमारे लिए बहुत ही रोमांचकारी रहा, ऐसे भी यह देश तो संतों का ही हैं, धर्म और अध्यात्म का ही हैं, अगर धर्म और अध्यात्म को भारत से निकाल दिया जाये, तो फिर भारत में हैं ही क्या?, जो दूसरे देश में नहीं, भारत तो धर्म और अध्यात्म तथा स्वामिनारायण भगवान जैसे महात्माओं के कारण ही जाना जाता हैं, जय स्वामिनारायण भगवान।

One thought on “दिल्ली आइये, इंडिया गेट-कुतुबमीनार देखिये, पर सपरिवार अक्षरधाम जाना न भूलें

  • July 26, 2018 at 12:03 pm
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    शब्द चित्र के माध्यम से दर्शन कराने हेतु,आपका आभार।
    ।।जय जय नारायण।।

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