अपनी बात

तत्काल सेवा बोलिये नहीं करके दिखाइये, तभी जनता का विश्वास जीत पाइयेगा

चार घंटे पहले मैंने अपने फेसबुक पर लिखा कि, ‘मैं आय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पिछले 35 दिनों से तबाह हूं, पर क्या मजाल कि ये भ्रष्ट अधिकारी, मेरे कार्य को अंतिम रुप दे दें।‘ लीजिये, राज्य सरकार ने झारसेवा पोर्टल पर तत्काल सेवा प्रारंभ की है। जिसके तहत अब दायर होनेवाले आवेदनों के विरुद्ध 10 कार्य दिवस के अन्दर जाति, स्थानीय निवास एवं आय प्रमाण पत्र निर्गत किये जायेंगे। इस संबंध में निधि खरे, प्रधान सचिव, कार्मिक विभाग ने कहा कि झारखण्ड सरकार द्वारा जाति, स्थानीय निवास एवं आय प्रमाण पत्रों आदि के निर्गमन हेतु झारसेवा पोर्टल पर तत्काल सेवा प्रारंभ की गई है। इस संबंध में उन्होंने सभी उपायुक्तों को आदेश दिया है कि आवेदकों को तत्काल सेवा के तहत ही निर्धारित समयावधि में प्रमाण पत्र निर्गत किया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

बात यहां पर, यह नहीं कि सरकार ने तत्काल सेवा का निर्णय लिया। सवाल यह है कि हम सरकार के इस वक्तव्य पर विश्वास कैसे करें?  एक सामान्य नागरिक केवल जाति, आवासीय और आय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए तबाह हैं, पर सरकार और उनके विभागीय अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेग रही। मैं पूछता हूं कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अंतर्गत कार्य करनेवाले वरीय अधिकारियों के बेटे-बेटियों या नेताओं के बेटे-बेटियों को जाति, आवासीय और आय प्रमाण पत्र, वह भी बिना किसी चढ़ावे के कैसे बन जाता है? जबकि सामान्य व्यक्ति बोलते-बोलते, सरकारी कार्यालयों का चक्कर काटते-काटते मर जाये, पर कोई उसकी सुननेवाला नहीं।

सबसे ताजा उदाहरण तो मेरा ही है, पिछले 35 दिनों से मैं तबाह हूं, पर क्या मजाल की आय प्रमाण पत्र मिल जाये। हमने प्रज्ञा केन्द्र के माध्यम से पता लगाया तो पता चला की बीस दिनों तक सीओ कार्यालय में मेरा आवेदन पड़ा रहा, बाद में पता चला कि मेरा आवेदन एसडीओ के पास चला गया, और आज मुझे सीओ के यहां का आय प्रमाण पत्र थमा दिया जाता है, मैंने अरगोड़ा अंचलाधिकारी से पूछा कि मुझे अंचलाधिकारी के यहां का आय प्रमाण पत्र नहीं, एसडीओ का चाहिए, तब उनका कहना था कि एसडीओ ने और भी जरुरत के कागजात आपसे मांगे हैं, आप उन कागजों को उपलब्ध कराइये। मैने फिर पुछा कि जब कागजात की मांग थी, तो हमें बताया क्यों नहीं गया, तब उनका कहना था कि आप जहां से ऑनलाइन आवेदन किया उस प्रज्ञा केन्द्र से जाकर मिलिये, वहा जरुर ऐसा पत्र गया है। मैं फिर प्रज्ञा केन्द्र पहुंचा, प्रज्ञा केन्द्र के कर्मचारी ने कहा कि ऐसा कुछ डिमांड एसडीओ के यहां से नहीं आया। अब सवाल उठता है कि ये सब क्या हैं?

ये तो वहीं हुआ कि या तो प्रज्ञा केन्द्र चलानेवाले को पता नहीं कि आय प्रमाण पत्र कैसे और कब बनेगा या अंचलाधिकारी को मालूम नहीं। आम – तौर पर एक सामान्य व्यक्ति यहीं जानता है कि जैसे ही अंचलाधिकारी के यहां से आय प्रमाण पत्र जारी हुआ, उसी के आधार पर अनुमंडलाधिकारी आय प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं, पर यहां तो आदमी मर जायेगा, पर इन अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती, ये भ्रष्टाचार नहीं तो और क्या है?

आज जो कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव ने जो तत्काल सेवा प्रारंभ किया हैं, हम कैसे मान लें कि इसका फायदा आम व्यक्ति को मिलेगा, जब कोई काम करने को ही तैयार नहीं हो, यहां तो सिस्टम ही फेल हैं, रामभरोसे झारखण्ड घीरे-धीरे घसीटकर बढ़ रहा हैं, अगर इसी को आगे बढ़ना कहते हैं, तो ऐसी विकास आप सबको मुबारक।  जहां एक सामान्य जनता स्थानीय, जाति और आय प्रमाण पत्र बनवाने के लिए प्रज्ञा केन्द्र, सीओ और एसडीओ आफिस का महीनों चक्कर लगाता रहे तो समझ लीजिये हो गया तरक्की और हो गया विकास।