अपनी बात

पारा टीचर मरते हैं तो मरे, होनहार CM पहुंचे दुबई, बेरोजगारों के लिए झोला भर-भर कर रोजगार लाने

झारखण्ड के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास दुबई पहुंच गये है, उनका भव्य स्वागत किया है भारतीय  काउंसलेट विपुल ने। जनाब राज्य के होनहार मुख्यमंत्री भारी-भरकम होनहार उच्चाधिकारियों को लेकर गये है, वहां रोड शो करेंगे, और वहां के लोगों से कहेंगे, कि आप यहां का सब कुछ छोड़कर झारखण्ड आ जाइये, जहां हाथी उड़ता है, और उस हाथी पर उड़ते हुए, अपना रोजगार बढाइये और वहां के लोगों को, युवाओं को रोजगार दीजिये।

जैसे ही राज्य के होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास ये बात करेंगे, अमरीका और चीन की तरह, दुबई के भी सारे उद्योगपति झारखण्ड की राजधानी रांची में आकर, अपना काम शुरु कर देंगे और झारखण्ड भारत के 28 राज्यों में शीर्ष पर हो जायेगा, सर्वत्र होनहार मुख्यमंत्री की प्रशंसा होगी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर ये कहना नहीं भूलेंगे कि अगर विकास देखना हैं तो झारखण्ड चले जाइये।

चलिए अपने होनहार मुख्यमंत्री और उनके संग रहनेवाले होनहार अधिकारियों ने राज्य की क्या दशा बना दी है, किसी से छुपा नहीं, पर इधर एक और दुखद समाचार यह है कि दुमका में राज्य के समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी के आवास के सामने धरना दे रहे एक पारा शिक्षक की ठंड लगने से मौत हो गई।

पारा शिक्षक के इस मौत से पूरे राज्य के पारा शिक्षकों में आक्रोश स्पष्ट देखा जा रहा हैं, पारा शिक्षकों ने मृत कंचन दास अमर रहे के नारों के साथ-साथ रघुवर सरकार हाय-हाय के नारे भी लगा रहे हैं। इसी बीच मंत्री के आवास की सुरक्षी कड़ी कर दी गई और बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिये गये। इधर कंचन दास की मौत पर पारा टीचरों ने मंत्री लुईस मरांडी के विरुद्ध अपराधिक मुकदमा दर्ज करने की भी मांग की।

पिछले 22 दिनों से मंत्रियों के आवास के बाहर घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन चला रहे पारा शिक्षकों में कंचन दास की मौत ने पारा टीचरों को अंदर से हिला कर रख दिया है, बताया जाता है कि शव के पोस्टमार्टम हो जाने के बाद स्थानीय प्रशासन कंचन दास के शव को उसके गांव भेजने की तैयारी में जुट गया था, जिसका पारा शिक्षकों ने जबर्दस्त विरोध किया, विरोध इतना था कि पारा शिक्षकों ने स्थानीय पुलिस प्रशासन को साफ कहा कि आंदोलन कर रहे पारा शिक्षकों पर अब लाठी नहीं, गोली चलाइये, पर हम अपने साथी के शव को आंदोलन स्थल तक ले जायेंगे।

पारा शिक्षकों के उग्रता को देख स्थानीय पुलिस प्रशासन ने पारा शिक्षकों के बात मानने में ही बुद्धिमानी समझी, फिर क्या था, कंचन दास के शव के पीछे एक लंबी कतार लग गई, इधर झामुमो नेताओं ने इस प्रकरण पर कहा कि राज्य का रवैया पारा शिक्षकों के प्रति कतई ठीक नहीं, जिस प्रकार से पारा शिक्षकों के साथ राज्य सरकार व्यवहार कर रही है, वो गैर-जिम्मेदाराना है, इससे राज्य सरकार की मानसिकता साफ झलकती है।