विपक्षी दलों और नूरजहां ने कहा पुलिस की पिटाई से हुई थी मो. जलील की मौत

रांची पुलिस पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगा है। इस बार आरोप लगाई है, मो. जलील की पत्नी नूरजहां और विपक्षी दलों ने। नूरजहां ने इसको लेकर लोअर बाजार थाना में 28 अगस्त को प्राथमिकी भी दर्ज कराई है। नूरजहां का कहना है कि उसके पति मो. जलील, जिसकी उम्र 40 वर्ष थी, इस्लाम नगर, पत्थलकुदवा, आजाद बस्ती में रहते थे और बक्सा बनाने का काम करते थे। लोअर बाजार पुलिस उन्हें मटका खेलने के आरोप में पकड़कर ले गई और इतना पीटा कि मो. जलील की मौत हो गई, जबकि पुलिस का कहना है कि मो. जलील की मौत पुलिस की पिटाई से नहीं, बल्कि हार्ट अटैक से हुई है।

इधर मो. जलील की मौत के बाद रांची के भाकपा माले कार्यालय में राज्य के सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई, जिसमें सभी विपक्षी दलों ने रांची पुलिस के इस व्यवहार की कड़ी आलोचना की, तथा इसके जिम्मेवार लोगों को दंडित करने की मांग की, साथ ही मृतक जलील अंसारी के परिजनों को दस लाख मुआवजा तथा उनके आश्रितों में से एक को सरकारी नौकरी देने की मांग की।

विपक्षी दलों के नेताओं का कहना था कि मो. जलील अंसारी की मौत पुलिस हाजत में पिटाई से हुई है। मो. जलील पर आरोप इतना भी गंभीर नहीं था कि उसकी इस तरह से पिटाई की जाय कि उसकी मौत ही हो जाय। नेताओं का कहना था कि मो. जलील अंसारी की मौत के जिम्मेवार लोअर थाना में पदस्थापित पुलिस अधिकारी है।

नेताओं का कहना था कि 20 अगस्त को मो. जलील रात्रि गिरफ्तार के बाद भी 10 बजे तक पुरी तरह स्वस्थ था। रात्रि में उसकी जमकर पिटाई हुई। 21 अगस्त को जब मो. जलील की पत्नी और उसके बेटे थाने में उससे मिलने गये, तब दोनों ने देखा की मो. जलील को तीन पुलिसकर्मी उठाकर सीढ़ी से नीचे होटवार जेल ले जाने के लिए ला रहे थे, स्थिति ऐसी थी कि वह बोलने में असमर्थ था।

जब दूसरे दिन 22 अगस्त को उसका बेटा शहजाद होटवार जेल जाकर, अपने पिता से मिला तो मो.  जलील ने अपने बेटे को बताया था कि पुलिस ने उसकी जमकर पिटाई की है, वह अल्लाह से दुआ करें कि ठीक-ठाक बाहर आ सकें। 23 अगस्त को इधर मो. जलील के परिजनों को बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारागार के अधीक्षक के माध्यम से लिखित सूचना मिलती है कि विचारधीन कैदी मो. जलील की मौत हो गई हैं, आप रिम्स जाकर, अपने परिजन का शव प्राप्त कर लें। विपक्षी नेताओं का कहना है कि मृतक जलील के परिजनों को मृत्यु के बाद शव तक देखने को नहीं दिया गया, शव को परिवारवालों की बिना अनुमति के मुर्दाघर में रखा गया, दरअसल खानापुरी कर शव को सरकारी स्तर पर अंतिम संस्कार करने कर ठिकाने लगाने की योजना थी, ताकि बकरीद के कारण लोग अशांत नहीं हो जाय, इस वजह से पुलिस मामले को लीपापोती करती रही।

विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा है कि राजधानी रांची समेत राज्य में पुलिस हाजत में हुई हत्याकांडों पर गौर किया जाय, तो यह हकीकत है कि राज्य की पुलिस निरंकुश और सरकार तानाशाह होती जा रही है, बुंडू के छात्र रुपेश स्वांसी की पुलिस हाजत में पिटाई से हुई मौत के मामले में दोषियों की अब तक गिरफ्तारी नहीं होने से सरकार की मंशा का पता चल जाता हैं, वर्तमान सरकार ऐसे पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत कर रही है।

विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि पुलिस द्वारा यह कहा जाना कि मो. जलील अंसारी की मौत हार्ट अटैक से  हुई थी, यह सफेद झूठ है, अगर हार्ट अटैक से भी मौत हुई, तब भी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठता है कि आखिर कौन सी परिस्थिति रांची पुलिस ने मो. जलील के सामने उत्पन्न कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई।

आज के विपक्षी दलों की बैठक में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस पार्टी, भाकपा माले, झारखण्ड विकास मोर्चा, सीपीआई, मासस, समाजवादी पार्टी, आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच समेत कई अन्य दलों के नेता भी मौजूद थे।