अपनी बात

डुमरी में केवल टाइगर ही टाइगर दिख रहा, मतलब टाइगर आज भी जिन्दा है, केवल औपचारिकता मात्र बाकी है, जनता ने एक तरह से निर्णय कर लिया है, यहां कोई टक्कर ही नहीं है

डुमरी विधानसभा क्षेत्र के लिए हो रहे उपचुनाव में आजसू यानि एनडीए गठबंधन ने यशोदा देवी को उतारा है, जबकि झामुमो अर्थात् महागठबंधन ने दिवंगत जगरनाथ महतो जो इस इलाके में टाइगर के नाम से जाने जाते थे, उनकी पत्नी बेबी देवी को मैदान में उतार दिया है। मतलब यहां टक्कर दो महिलाओं में हैं। एक के पक्ष में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो मैदान संभाले हुए हैं, तो दूसरी ओर यानी झामुमो की ओर से आज की विपरीत परिस्थितियों में भी राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन मोर्चा संभाले हुए हैं।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो डुमरी की सीट वर्तमान में प्रतिष्ठा की सीट हो गई हैं, क्योंकि टाइगर जगरनाथ महतो के निधन के बाद यह सीट खाली हुई है। चूंकि टाइगर जगरनाथ महतो मंत्री थे, इसलिए उनके निधन के बाद राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने दिवंगत जगरनाथ महतो को सम्मान देते हुए उनकी पत्नी बेबी देवी को भी मंत्री पद पर लाकर बिठा दिया है। ऐसे भी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन किसी को भी सम्मान देने के लिए विशेष तौर पर जाने जाते हैं। वे टाइगर जगरनाथ महतो को भी बहुत सम्मान देते थे, उनके निधन पर सर्वाधिक कष्ट उन्हें ही हुआ, क्योंकि झामुमो ने एक शानदार, जिंदादिल नेता वर्तमान में खो दिया है।

डुमरी के बुद्धिजीवियों व राजनीति में रुचि रखनेवाले लोगों का मानना है कि यहां हो रहा उपचुनाव को रामगढ़ उपचुनाव समझ लेना मूर्खता होगी। यह इलाका टाइगर का है। यह इलाका जगरनाथ महतो का रहा है और डुमरी की जनता अपने नेता को सम्मान देना अच्छी तरह जानती है, क्योंकि वो कृतज्ञ हैं। ऐसे भी टाइगर जगरनाथ महतो ने जो डुमरी की जनता के लिए काम किया है। यहां के लोगों के लिए काम किया हैं। उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है। वे धर्म व जाति से उपर उठकर लोगों की सेवा में विश्वास करते थे। इसलिए उनके न रहने पर यहां की जनता ने क्या खो दिया, वो यहां की जनता ही जानती हैं।

एनडीए के ही कई नेता विद्रोही24 को बताते हैं कि यहां भाजपा-आजसू कितना भी रैलियां व जनसभाएं कर लें। पर दिवंगत टाइगर जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी को इस बार यहां पराजित करना उसके लिए कठिन ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है। अपनी इस बात पर अडिग रहने के लिए वे कई प्रमाण भी देते हैं, जिस पर अंगूलियां नहीं उठाई जा सकती। वे कहते है कि टाइगर जगरनाथ महतो के व्यक्तित्व के आगे यहां कौन नेता उनके सामने टिकता था। आज वो नहीं हैं, तो भला यहां की जनता उनके किये गये कामों को कैसे भूल जाये।

राजनीतिक पंडित की मानें तो यहां टाइगर आज भी जिंदा है। वह यहां के गलियों-कूचों में आज भी उनके काम दिखाई पड़ते हैं। उनके द्वारा किये गये जनसेवा के कार्य आज भी बढ़-चढ़कर बोलते हैं, भले ही वे इस संसार में स्थूल रुप में न हो, पर वो कहां जाता हैं न कि कीर्तियस्य सः जीवति तो टाइगर की कीर्ति आज भी जिंदा है, लोग उन्हें ही सामने रखकर अपना सम्मान प्रकट करेंगे और चुनाव में सम्मान क्या होता हैं, वो एनडीए और महागठबंधन के नेता अच्छी तरह जानते हैं। ऐसे भी राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की जनसभा में उमड़नेवाली भीड़ ही सब कुछ बता देती है कि यहां पलड़ा किसका भारी है?