सासाराम का एक ऐसा अल्पसंख्यक वार्ड पार्षद जो सुबह हुआ और निकल पड़ा जनसेवा में, जिस पर आम जनता गर्व करना नहीं भूलती

मैं 11 दिसम्बर को बिहार के सासाराम में था। जी हां, वहीं सासाराम जहां शेरशाह का मकबरा है। जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से सासाराम आते हैं। इसी शेरशाह के मकबरे के निकट जानीबाजार,नवरत्नबाजार एवं काजीपुरा महल्ला है, जहां हैं सासाराम नगर परिषद् का वार्ड न. 23, जहां के वार्ड पार्षद है, बलबीर सिंह।

बलबीर सिंह अल्पसंख्यक सिक्ख समुदाय से आते हैं, और अपने वार्ड में लगातार बेहतर सेवा के लिए जाने जाते हैं। सुबह के आठ बजे थे, और मुझे सासाराम से विक्रमगंज जाना था। गाड़ी की इन्तजार में, मैं अपने रिश्तेदार के यहां काजीपुरा मुहल्ले में बैठा था। अचानक मुझे बाहर से शोर सुनाई पड़ी।

मैं बाहर निकला। एक व्यक्ति माथे पर साफा पहने, गले में मफलर डाले, सफाईकर्मियों के साथ निकल पड़ा है, वह सफाईकर्मियों से खुद अपनी निगरानी में वह कार्य करवा रहा है, जो कार्य आज का वार्ड पार्षद नहीं करता, कम से कम रांची में तो एक भी वार्ड पार्षद हमें ऐसा नहीं दिखता।

पता चला कि जनाब बलबीर सिंह हैं, वार्ड 23 के वार्ड पार्षद हैं, प्रतिदिन ऐसा करते हैं, और लोगों को संतुष्ट करते हैं। लोगों ने बताया कि जहां भी लोग उनके मिल गये, और समस्या दिख गई, तो बलबीर सिंह से मिलने भर की देरी और समस्या गायब।

देखिये इस युवा को किसी समस्या ने आकर घेर रखा था, रास्ते में मिल गये बलबीर सिंह, चूंकि उसे मालूम है कि वार्ड पार्षद बलबीर सिंह किस समय, किस इलाके में सफाईकर्मियों को लेकर निकले होंगे, वह पहुंचता है, बताता है कि यह समस्या है, बलबीर सिंह उससे कहते है कि अपना आधार कार्ड लेकर जल्दी आओ, तुम्हारा काम कर देते हैं। यानी जनता को दौड़ाना नहीं, खुद दौड़ जाना है।

जरा दिल पर हाथ पर रखकर झारखण्ड का कोई वार्ड पार्षद बताएं कि वह बलबीर सिंह की तरह कितना समय जनता को देता है, रांची में तो कई वार्ड पार्षद ऐसे है कि पत्नी को वार्ड पार्षद बना रखा हैं, और खुद मस्ती में रहकर जनता को ही आदेश दे रहे होते हैं। रांची में तो कई इलाके हैं, जहां कई महीनों तक सफाई नहीं होती, झाड़ू नहीं चलता, नाली की सफाई की तो बात ही छोड़ दीजिये, अगर कोई वार्ड पार्षद के पास जनता चली गई और वार्ड पार्षद उसकी एक बार में सुन लें तो समझ लीजिये, गनीमत हैं, पर बलबीर सिंह के लिए ऐसा नहीं।

लोग बताते है कि तीन बार से जनता इनको लगातार जीता रही हैं तो कुछ न कुछ तो बात हैं इनमें। आज तक इन्होंने जनता को कभी नहीं दौड़ाया, इसलिए चुनाव के समय जनता भी इन्हें नहीं दौड़ाती, मतलब वोट पक्का, बलबीर सिंह का जीत पक्का। आम तौर पर आजकल एक बार कोई वार्ड पार्षद बनता है तो उसका रुतबा देखने लायक हो जाता हैं, लेकिन वार्ड 23 के लोगों ने बताया कि बलबीर सिंह के लिए ऐसी कोई बात नहीं।

बातचीत में, बलबीर सिंह जैसे ही सुनते है कि मैं झारखण्ड से आया हूं, तो वे झारखण्ड के प्रथम विधानसभाध्यक्ष इन्दर सिंह नामधारी का नाम बड़े गर्व से बोलते हैं, वे कहते है कि नामधारी जी, एक अच्छे इन्सान हैं, उनसे सीखने की सबको जरुरत है, उन्हें राजनीति से कभी संन्यास नहीं लेना चाहिए, क्योंकि अच्छे लोग अब राजनीति में हैं कहां?

One thought on “सासाराम का एक ऐसा अल्पसंख्यक वार्ड पार्षद जो सुबह हुआ और निकल पड़ा जनसेवा में, जिस पर आम जनता गर्व करना नहीं भूलती

  • December 23, 2019 at 11:10 pm
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    पूर्णतः सहमत हूँ ।

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