राजनीति

अटल भक्ति के बहाने 2019 साधने में जूटी भाजपा, अटलजी की भतीजी ने उठाए सवाल

भाजपा की दृष्टि 2019 पर हैं, वह देख रही हैं कि जो जनता में भाजपा के प्रति गुस्सा हैं, उस गुस्सा को सर्वमान्य नेता अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बहाने अच्छी तरह से कम किया जा सकता है, साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता को भाजपा के पक्ष में भुनाया भी जा सकता है, जैसा कि कभी श्रीमती इन्दिरा गांधी के निधन के बहाने, कांग्रेस ने 1984 का लोकसभा चुनाव और उसके बाद हुई विधानसभा चुनाव में सहानुभूति लहर के माध्यम से अपनी जीत का डंका बजाया था।

जो राजनीतिक जानकार हैं, वे स्पष्ट रुप से अब कहने लगे हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा तथा उसमें सभी नेताओं का भाग लेना, दलों की सीमाओं का टूट जाना आदि को इवेंट्स की तरह ब्रांडिंग करने का सिलसिला, सारे भ्रमों को दूर कर दे रहा हैं। चूंकि अब राजस्थान, मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ में शीघ्र विधानसभा चुनाव होने हैं और उसके बाद 2019 में लोकसभा के चुनाव होंगे, इसको देखते हुए भाजपा फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही हैं और अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता को भुनाने का पुरजोर कोशिश कर रही हैं, पर इसका आगामी चुनाव में फायदा मिलेगा या नहीं, ये तो भविष्य ही बतायेगा।

हालांकि इस मुद्दे पर रांची के एक वरिष्ठ पत्रकार जीतेन्द्र कुमार का कहना है कि अटल जी के बारे में उनकी यही धारणा थी कि उन्हें बहुत चाहने वाले हैं,  पर उनके निधन के बाद भरम टूटा, महसूस हुआ कि उनके चाहने वाले सभी हैं  पर अब जिस तरह बीजेपी प्रोपगैंडा कर रही है उससे कहीं शाइनिंग इंडिया वाली स्थिति ना बन जाये।

वरिष्ठ समाजसेवी मुकुटधारी अग्रवाल स्पष्ट कहते हैं कि जो अटलजी की अस्थि का विसर्जन कर रहे हैं ,विसर्जन के पहले उस नदी मे खड़े होकर शपथ लें कि वे अटलजी के व्यापक दृष्टिकोण का अनुसरण करेंगे, अगर वे ऐसा नही करते हैं तो यह माना जाएगा कि वह अपने हित और राजनैतिक लाभ के लिए विसर्जन की यह नौटंकी कर रहे है और जनता की भावनाओं को भुनाने का यह प्रयास है।

कुछ का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि अटल बिहारी वाजपेयी बहुत अच्छे पीएम थे, पर ऐसा भी नहीं कि चंद्रशेखर, वीपी सिंह, नरसिम्हा राव, राजीव गांधी आदि नेता अच्छे नहीं थे, वे भी दिवंगत हुए, पर सच्चाई यह है कि उनके समय में ऐसी ब्रांडिंग नहीं देखी गई, भाजपा को इससे बचना चाहिए, नहीं तो भाजपा को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि अटल जी की अस्थि कलश यात्रा के दौरान विपक्ष ने जिस प्रकार उन्हें श्रद्धांजलि दी, उसका फायदा कहीं विपक्ष न उठा लें, क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी सर्वमान्य नेता थे, इसमें कोई संदेह नहीं, ये अलग बात है कि वे भाजपा में थे, परन्तु उनके सम्मान पर कोई दाग लगाने की आज भी  हिमाकत नहीं कर सकता।

पूर्व में भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता रह चुकी, और बाद में भाजपा के क्रियाकलापों से तंग आकर, कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर चुकी अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला भी इस प्रकार के आयोजनों तथा छतीसगढ़ सरकार द्वारा अचानक शुरु की गई अटल भक्ति, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्तमान क्रियाकलापों पर अंगूलियां उठा दी है।

करुणा शुक्ला ने कहा है कि जिस प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान के बाद छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह ने अपने कैबिनेट की बैठक में अटल भक्ति दिखाते हुए अटल जी के नाम से विश्वविद्यालय, राजधानी एवं पावर प्लांट बनाने की बात कही हैं, उससे वो बहुत दुखी है। सच्चाई यह है कि इन लोगों ने पिछले नौ वर्षों तक दिल्ली से लेकर छतीसगढ़ ही नहीं, बल्कि विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों तथा कार्यक्रमों में अटल जी को याद नहीं किया, और आज उनके निधन के बाद सभी अटल भक्ति में डूबे हैं।

करुणा शुक्ला के अनुसार, पिछले नौ सालों में पीएम नरेन्द्र मोदी ने कभी अटल बिहारी वाजपेयी को याद नहीं किया, पर पहली बार पिछले 15 अगस्त को, लाल किले के प्राचीर से भाषण देने के दौरान अटल जी का नाम लिया, वह इसलिए, क्योंकि 14 अगस्त को जब वे दिल्ली के एम्स में अटल जी को देखने गये थे, तब उन्हें आभास हो गया था कि अब अटल जी ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रहेंगे।

करुणा शुक्ला ने कहा कि अटल जी के निधन के बाद जो उनकी अंतिम यात्रा निकली और जो पीएम मोदी को पांच किलोमीटर की यात्रा, वह भी पैदल करते हुए दिखाया गया, अगर वे ये सब छोड़कर, पीएम नरेन्द्र मोदी केवल अटल जी के बताए मार्गों पर दो कदम चल दिये होते, तो देश का कल्याण हो जाता। उन्होंने कहा कि वे भाजपा के बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी को बार-बार अपमानित होना पड़ रहा हैं, जिस कारण भी वो बहुत व्यथित हैं, दुखी है।

करुणा शुक्ला ने कहा कि रमण सिंह को छतीसगढ़ में, और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगता है कि अटल जी के निधन के बाद, उन्हें डूबते को तिनके का सहारा मिल गया तो वे यह भूल जाये, क्योंकि जनता उनके क्रियाकलापों को ध्यान में केन्द्रित करते हुए अगली बार मतदान करेगी, जनता इनके अस्थि कलश यात्रा के मर्म को खूब समझ रही हैं।

करुणा शुक्ला ने कहा कि निःसंदेह अटल जी सर्वोपरि हैं, अजातशत्रु थे, सर्वमान्य नेता थे, कवि हृदय थे, और उनके जैसे महान व्यक्ति के नाम को भुनाने की कोशिश जो भाजपा कर रही हैं, वो शर्मनाक है, कमाल है नौ सालों तक जिसे कभी याद नहीं किया और आज भाजपा के नेता अटल भक्ति में डूबे हुए हैं।