बस मौका मिलना चाहिए सीएम रघुवर दास को नेहरु और नेहरु परिवार को नीचा दिखाने का…

कमाल है, जो किसी को इज्जत देता ही नहीं, वह इज्जत देने की बात कर रहा हैं। हैं न आश्चर्य?  झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास का कहना है कि सरदार पटेल को जो मान- सम्मान मिलना चाहिए था वो किसी ने नहीं दिया।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरदार पटेल को वो सम्मान मिल रहा है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ये भी कहते है कि कश्मीर की समस्या खत्म करने के लिए सरदार चाहते थे कि वहां सेना का उपयोग किया जाए लेकिन पंडित नेहरू ने मना किया और आज कश्मीर की समस्या हम सबके सामने है, यानी आज के दिन भी वे देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के खिलाफ बोलने से नहीं चूके।

भाजपाइयों को तो मौका मिलना चाहिए, फिर देखिये वे किस प्रकार पं. नेहरु, इन्दिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी का बाजा बजा देते हैं, सवाल उठता है कि जो व्यक्ति इस दुनिया में नहीं है, उसके नाम पर ये भाजपाई कब तक राजनीति करते रहेंगे। वे ये क्यों भूल रहे हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और अब नरेन्द्र मोदी भी सत्ता सुख भोग चुके हैं, और उन्हें ये बताना होगा कि वे सत्ता में रहने पर देश के लिए क्या किये?

दुर्भाग्य है, इस देश का कि यहां सत्ता के अनुसार देश की सेवा करनेवालों को याद किया जाता है। इसमें कोई दो मत नहीं कि कांग्रेस के शासनकाल में सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, मौलाना आजाद जैसे असंख्य कांग्रेसी नेताओं को बड़े पैमाने पर याद नहीं किया जाता था और न ही उनके नाम पर कोई प्रोग्राम किये जाते थे, पर इसका मतलब यह भी नही कि किसी ने गलती की, तो हमें उस गलती को दुहराने का लाइसेंस मिल जाता है। क्या मुख्यमंत्री रघुवर दास बता सकते है कि उन्होंने देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को आज याद किया? उन्हें श्रद्धांजलि दी, अगर नहीं दी, तो फिर उन्हें क्या हक है, दूसरों पर तोहमत लगाने का। वैसे ये जनाब देश के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े दिवंगत हुए नेताओं को उनके जन्मतिथि या पुण्यतिथि पर अपने फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से खुब श्रद्धांजलि देने का नौटंकी किया करते हैं।

ऐसे हालात में, जरा सीएम रघुवर दास जवाब दें, क्या इन्दिरा गांधी का देश की सेवा में कोई योगदान नहीं था। सच तो ये हैं कि श्रीमती इंदिरा गांधी के बराबर का नेता, आज तक भाजपा में कोई पैदा ही नहीं हुआ। 1971 का भारत-पाक युद्ध, 1974 का परमाणु परीक्षण, कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम आदि पर ध्यान दें, तो इन्दिरा गांधी के योगदान को भूलाना असंभव है, पर जरा देखिये, इन्हें ये इन्दिरा गांधी को कांग्रेसी मानकर उन्हें श्रद्धाजंलि देने से मना कर रहे हैं, पर गांधी और पटेल में इन्हें कांग्रेसी नजर नहीं आता, क्योंकि गांधी और पटेल को नजरंदाज करने पर वोट खिसकने का खतरा बना रहता है, ऐसी सोच है – आज के राजनीतिज्ञों को, जो संकीर्ण विचारधाराओं को लेकर एक-दूसरे से उलझ रहे हैं, ऐसे में ये पटेल और गांधी को क्या सम्मान देंगे, आप समझ सकते हैं?

एक सवाल और, मुख्यमंत्री रघुवर दास जी, आप बताये, क्या आपको जनता ने सत्ता इसलिए सौंपा हैं, कि आप कांग्रेसियों तथा अन्य राजनीतिक दलों से लगातार सवाल पूछते रहे, उनसे 70 सालों का हिसाब-किताब मांगते रहे, क्या भाजपा ने अपनी चुनावी घोषणा पत्र में इस बात का जिक्र किया था कि आप जब तक सत्ता में रहेंगे, कांग्रेस को नीचा दिखाने के लिए बार-बार आप हर समस्या का जनक कांग्रेस को बताते रहेंगे। दरअसल सच्चाई यह है कि आप अपनी चुनावी घोषणा पत्र से पूरी तरह भटक चुके है, ऐसे में आप जिसको सम्मान देना चाहते हैं, शौक से दें, पर किसी को अपमानित करने का अधिकार आपको किसने दिया?

एक बात और जिस कश्मीर की दुहाई आप दे रहे हैं, वर्तमान में केन्द्र में भी और जम्मू कश्मीर में भी भाजपा ही भाजपा है तो फिर दिक्कत कहां है, जाइये कश्मीर समस्या चुटकी में हल कर दीजिये, पर आप के केन्द्रीय नेताओं को कड़ी निन्दा करने से फुरसत मिले तब न…