मंत्री सीपी सिंह को अवार्ड लेने के लिए इंदौर जाने का समय मिल जाता है, पर अपने…

रांची के विधायक है, सी पी सिंह। जो संयोग से वर्तमान में राज्य के नगर विकास मंत्री भी है, हाल ही में जब उन्हें पता चला कि रांची को बेस्ट स्टेट कैपिटल इन सिटीजन फीडबैक का अवार्ड मिला है, वे स्वयं को रोक नहीं सके, आह्लादित हो उठे। इंदौर जाकर, भारत सरकार द्वारा आयोजित स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 पुरस्कार समारोह में पहुंच कर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों बेस्ट परफोरमिंग स्टेट का खिताब भी ले लिया, पर रांची के हिंदपीढ़ी इलाके में बड़ी संख्या में लोग चिकनगुनिया व डेंगू से पीड़ित हैं, उन्हें देखने तथा अच्छी सुविधा पीड़ित परिवारों को मिले, इसे देखने के लिए उनके पास न तो समय हैं और न ही फुर्सत।

आश्चर्य इस बात की भी है कि आखिर वह कौन सा पैमाना होता है कि कोई विभाग, किसी को भी सर्वश्रेष्ठ घोषित कर देता है, ये आजतक हमें समझ नहीं आया। क्योंकि ये कैसे संभव है कि जिस राजधानी को बेस्ट स्टेट कैपिटल इन सिटीजन फीडबैक का अवार्ड मिले, और उसी राजधानी में चिकनगुनिया-डेंगू महामारी का रुप ले लें।

क्या आप कभी ये विश्वास करेंगे कि जिस राजधानी को बेस्ट स्टेट कैपिटल इन सिटीजन फीडबैक का अवार्ड मिले और वहां के लोग मामूली बारिश होने पर बाढ़ की विभीषिका जैसा दृश्य देखे और उसे झेलने को मजबूर हो, उत्तर होगा –कदापि नहीं। इसका मतलब है कि जिसने भी अवार्ड दिया, उसने अवार्ड देने में घालमेल की, या जिनके कारण या जिनकी रिपोर्ट पर अवार्ड देने की अनुशंसा की गई, उन्होंने इस पर बहुत बड़ा घालमेल किया।

चलिये जब हम भारत में रहते हैं तो इस प्रकार का घालमेल सहने और देखने के लिए जब तक जिंदगी हैं, तब तक तैयार रहिये, क्योंकि यहां तो भ्रष्टाचार ही सदाचार की ताबीज हैं, जिसे धारण कर, प्रत्येक भ्रष्टाचारी स्वयं को पाक-साफ बनाए रखता हैं, पर सवाल है कि आप कहीं भी जाकर अवार्ड लीजिये, खुद का चेहरा चमकाइये, पर जब आप उस इलाके के जनप्रतिनिधि हैं, तो कम से कम थोड़ा हिंदपीढ़ी का भी तो दौरा कीजिये, ताकि लोगो को लगे कि ये हमारा जनप्रतिनिधि हैं, जिसे हम वोट नहीं भी करते, फिर भी वो हमारा इतना ख्याल तो रखता है, उसे हमारी सुध तो हैं, पर आप ऐसा करेंगे, ये कैसे होगा?

हालांकि स्वास्थ्य विभाग, नगर-निगम अपनी ओर से विशेष प्रयास कर रहा हैं, सफाई अभियान चला रहा हैं, मरीजों की इलाज में अपनी उर्जा लगा रहा हैं, पर जो ऊर्जा आज लग रहा हैं, वहीं ऊर्जा पहले से ही सफाई अभियान में लगी रहती तथा बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करा रही होती तो क्या ये चिकनगुनिया-डेंगू महामारी का रुप धारण करता, सबसे बड़ा सवाल यहीं है। बधाई, लहू बोलेगा सामाजिक संस्था का। जिन्होंने रक्त जांच का दो दिवसीय विशेष अभियान रिम्स की सहायता से चलाया, नहीं तो इस बीमारी के महामारी रुप धारण करने का समाचार पता ही नहीं चलता और लोग एक-एक कर इसका शिकार होते, मरते रहते, क्योंकि जहां के जनप्रतिनिधि को अपने लोगों की सुध न हो, वहां ऐसी घटना तो बदस्तूर चलती रहती है।