अपनी बात

‘माइनिंग शो’ फ्लॉप, सीएम का भाषण जबर्दस्ती सुनवाने के लिए लोगों को अधिकारियों ने रोके रखा

‘मोमेंटम झारखण्ड’  की तर्ज पर  चल रहा ‘झारखण्ड माइनिंग शो’ आज पूरी तरह फ्लॉप रहा। जिस प्रकार से इस माइनिंग शो का ढोल पीटा गया था, वह अपने मकसद में असफल होता दीख रहा हैं, हालांकि इस फ्लॉप शो को भी सफल करार देने के लिए अधिकारियों द्वारा अखबारों और चैनलों से गुहार लगाई जा रही है, और उन्हें विज्ञापनों का हवाला दिया जा रहा हैं। जो लोग झारखण्ड माइनिंग शो को देखने व समाचार संकलन करने गये थे, उन्हें पहले ही दिन घोर निराशा का सामना करना पड़ा है।

सूत्र बताते है कि केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल की भाषण समाप्ति के बाद जा रही भीड़ को रोकने के लिए गेट को लॉक कर दिया गया। जो पत्रकार पीयूष गोयल का भाषण सुनने के बाद बाहर निकल गये थे, उन्हें दुबारा अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था, जबकि जो लोग अंदर थे, उन्हें लघुशंका लग जाने के बावजूद भी बाहर जाने नहीं दिया जा रहा था। अधिकारियों को शंका थी कि कहीं लोग बाहर निकलने के बाद अपने-अपने घर न चले जाये, तथा सीएम के भाषण के समय कहीं ऐसा न हो कि कोई आदमी अपने सीट पर दिखाई ही न पड़े।

सूत्र बताते है कि जब लोगों को सभास्थल से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा था, तब लोगों ने आपत्ति दर्ज करायी, शोर मचाना प्रारंभ किया, फिर भी किसी को बाहर नहीं जाने दिया गया, बाहर लोग तभी गये, जब सीएम रघुवर दास का भाषण खत्म हुआ। झारखण्ड माइनिंग शो में आये कई आंगतुकों का कहना था कि माइनिंग तो केन्द्र के क्षेत्राधिकार में आता है, राज्य का तो इसमें कोई अधिकार ही नहीं, ये सिर्फ अनुशंसा कर सकते हैं।

कुछ आगंतुकों ने कहा कि खनन के इस कार्यक्रम में स्पोर्टस यूनिवर्सिटी की बात केन्द्रीय मंत्री का कहना, आश्चर्य सा लगा। दूसरी बात सरकार कह रही है कि हजारों की संख्या में निवेशक पहुंचे है, पर स्वयं व्हाटसएप ग्रुप में समाचार, जो सीएमओ द्वारा ही जारी होता है, उस व्हाटसएप ग्रुप में भी केवल राज्य के मंत्रियों तथा राज्य के अधिकारियों के ही नाम है, पर निवेशकों की बात करें तो मात्र उसमें एक-दो के ही नाम शामिल है।

आश्चर्य है कि सीएमओ द्वारा जारी समाचार में मुख्यमंत्री को प्राथमिकता दी गई है, जबकि केन्द्रीय रेलवे व कोयला मंत्री को दूसरे स्थान पर रखा गया है। आश्चर्य इस बात की है कार्यक्रम में जिस एमओयू की बात की जा रही है, उस एमओयू में कोई दम ही नहीं है, जैसे झारखण्ड सरकार व कोल इंडिया के बीच हुआ करार, जिसमें खदानों का पानी राज्य सरकार को फ्री में उपलब्ध कराने की बात कहीं गई है, राज्य सरकार इसे प्रोसेस कर पीने लायक बनाकर स्थानीय लोगों को उपलब्ध करायेगी। ये जनता को धोखा देने के सिवा और कुछ भी नहीं।