अपनी बात

बंगाल मेें ममता का आतंक, कश्मीर से भी बदतर हालात, भाजपा छोड़ सारे राजनीतिक दलों ने तृणमूल कांग्रेस के इस गुंडागर्दी के आगे मौनव्रत साधा

पश्चिम बंगाल में हो रही लोकतंत्र की हत्या, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं तथा उनके समर्थकों व असामाजिक तत्वों द्वारा कानून को हाथ में लेने की घटना को हम इसलिए जस्टिफाइ नहीं कर सकते, कि वो केन्द्र में बैठी भाजपा व मोदी सरकार से पश्चिम बंगाल में अकेले लोहा ले रही हैं और न ही हम किसी अन्य दलों द्वारा इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी साध लेने की घटना को भी सही ठहरा सकते हैं, जब भी कोई राजनीतिक दल जब लोकतंत्र को क्षतिग्रस्त करने की कोशिश करें, तो हमें चाहिए कि उसका पुरजोर विरोध करें, ताकि कोई लोकतंत्र की इस इमारत को प्रभावित न कर सकें।

हम आलोचना करते हैं, उन तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों, सामाजिक संगठनों, वाम संगठनों तथा अन्य संगठनों की, जो गाहे-बगाहे भाजपा तथा अन्य दलों द्वारा शासित राज्यों में घटनेवाली घटनाओं पर तो कोहराम मचा देते हैं, पर पश्चिम बंगाल में घट रही इस अनैतिक घटना पर एक भी शब्द बोलने से कतराते हैं। शायद उन्हें लगता है कि राज्य सरकार और उनके लोग जो भी कर रहे हैं, वे ठीक कर रहे हैं, पर उन्हें नहीं पता कि इससे अंततः नुकसान देश व राज्य को ही उठाना पड़ता है।

आश्चर्य भारत निर्वाचन आयोग के कार्यों पर भी हो रहा हैं, कि उसने भी अभी तक कुछ नहीं किया, आखिर वह किस कांड का इंतजार कर रहा हैं। किसी राजनीतिक दल को चुनाव प्रचार करने पर रोक लगाना, उसके हेलिकॉप्टर को लैंडिंग करने से रोकना, उसके बैनर-पोस्टर फाड़ना और जब उस राजनीतिक दल के रोड शो में अप्रत्याशित भीड़ जुट जाये, तो उसका विरोध करना, आगजनी करना, हिंसक प्रदर्शन करना, नेताओं पर लाठी-डंडे फेंकना, और इतना होने के बावजूद भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कोई ठोस निर्णय नहीं लेना आखिर क्या बता रहा है?

एक समय था बंगाल को शिष्ट माना जाता था, वहां की संस्कृति को लोग माथे बैठाते थे, आज भी बिहार के गांवों में चले जाइये, वहां कोई भी शुभ कार्य हो, कलकत्ता का नाम आना तय हैं, और बड़े गर्व से लोग गीतों में बंगाल और कलकता जैसे शब्दों का समावेश करते हैं, पर जरा आज का बंगाल देखिये, ये ममता बनर्जी का बंगाल है, उनके खिलाफ कोई गलत शब्द या उनकी कोई फोटो बना दें, तो वे उसे जेल भेजने में तनिक देर नहीं करती, यहां तक की उनके सामने कोई जयश्रीराम बोल दें, तो वो कार से उतरकर सीधे सबक सीखाने की बात करती हैं, कि उन्हें चुनाव खत्म होने के बाद बंगाल में ही रहना हैं न, वो सुप्रीम कोर्ट की बातों को भी नहीं सुनती, जब सुप्रीम कोर्ट कहता है कि प्रियंका शर्मा को तत्काल रिहा करो, तो वो तत्काल रिहा भी नहीं होने देती, अपने अनुसार वो काम करती है, आखिर ये सब क्या है?

क्या बंगाल की जनता ने उन्हें बंगाल पर शासन करने के लिए सदा के लिए रजिस्ट्रेशन करवा दिया है कि वे जो भी कुछ करती रहे और लोग उन्हें माथे बैठाकर घूमाते-फिरेंगे, कभी यहीं घमंड प, बंगाल में कांग्रेस के नेताओं को हुआ करता था, बाद में यहीं घमंड वामपंथियों को हुआ और आज वहीं घमंड तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ हैं, और इधर जनता है कि अपना मूड बदल रही हैं, जिसे समझने की शायद कोई दल कोशिश नहीं कर रहा।

बंगाल में जिस प्रकार तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के समर्थकों ने कल कोलकाता की सड़कों पर नंगा नाच किया, भाजपा के अमित शाह के रोड शो के नाम पर जो हंगामा हुआ, ईश्वर चंद्र विद्यासागर जैसे महापुरुषों की प्रतिमा को घटियास्तर की राजनीति का शिकार बनाया गया, ऐसे में कोई भी व्यक्ति जो बंगाल की संस्कृति को जानता हैं, जिसकी प्रशंसा करता हैं, उसे कल जरुर आघात पहुंचा होगा।

इधर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा भाजपा के झंडों, बैनरों व पोस्टरों पर अपना गुस्सा उतारना, उसे फाड़कर फेंकना, किसी भी दृष्टि से सही नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि लोकतंत्र में सभी को अपनी बाते रखने का हक हैं, इसे राज्य और केन्द्र के सभी नेताओं को समझना होगा। बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को भी समझना होगा कि जनता किसी की नहीं होती, जब असम और त्रिपुरा में बदलाव हो सकता हैं तो प.बंगाल में क्यों नहीं, यहीं तो लोकतंत्र की खुबसूरती है और केन्द्र में सदा भाजपा ही रहेगी, इसका भी गुमान भाजपा को नहीं रहना चाहिए।

हाल ही में प. बंगाल के ही एक चैनल ने दिखाया कि कैसे बंगाल में एक मतदान केन्द्र पर जाकर, दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं को बलपूर्वक हटाया जा रहा है, और मतदान केन्द्र पर गये मतदाताओं को धमकाया गया कि अगर उसने उनकी पार्टी को वोट नहीं दिया, तो उसकी खैर नहीं, ये सब बंद करना होगा, और ये कुकृत्य किस दल ने किया हैं, वो बताने की जरुरत नहीं, ये दृश्य सोशल साइट पर खुब देखा जा रहा हैं, आखिर ये आंतक को ही तो जन्म दे रहा है, कभी यहीं आतंक बिहार में दिखता था, जो अब समाप्त हो चला है, बिहार में बूथ कब्जा, बूथ लूट पर तो कई फिल्में भी बन गई, एक नाटक तो आज भी लोकप्रिय हैं, नाटक का नाम है – हम बिहार में चुनाव लड़ रहे हैं। अब तो नया नाटक लिखना पड़ेगा – हम बंगाल में चुनाव लड़ रहे हैं।

इसी बीच पीएम नरेन्द्र मोदी का यह कहना कि बंगाल की हालत कश्मीर से भी बदतर हैं, ये आग में घी का काम कर दिया है। उनका ये कहना कि कश्मीर में पंचायत चुनाव होते हैं, पर वहां कोई मौत नहीं होती, पर बंगाल में पंचायत चुनाव होते हैं तो सैकड़ों की जाने चली जाती हैं, जो जीतकर आते हैं, उन्हें जीने नहीं दिया जाता, झारखण्ड के कई इलाकों में देखा गया कि बहुत सारे लोग जो बंगाल में पंचायत चुनाव जीते, वे तृणमूल कांग्रेस के गुंडों से डरकर आज भी झारखण्ड तथा बिहार में जानबचाकर रह रहे हैं।

पीएम मोदी ने बंगाल में साफ कहा कि यहां डेमोक्रेसी गुंडाक्रेसी में तब्दील हो गई है, उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी के कारण राज्य में आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई है, बंगाल में भाजपा नेताओं की रैलियां नहीं करने दी जा रही, उनके उम्मीदवारों/कार्यकर्ताओं  पर तृणमूल कांग्रेस के गुंडे गोलियों और बम से हमले कर रहे हैं, फिर भी यहां के लोग लोकतंत्र की रक्षा के लिए टीएमसी के गुंडे के सामने डटे हैं, इसके लिए वे उनका अभिनन्दन करते हैं। इधर ममता बनर्जी द्वारा भी भाजपा नेताओं पर हमले जारी हैं, जबकि इसी बीच बंगाल में हो रही राजनीतिक हिंसा पर माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भाजपा और टीएमसी दोनों को इसके लिए जिम्मेदार बताया हैं, सीताराम येचुरी ने तो साफ कहा कि कल तक भाजपा को अपना स्वाभाविक सहयोगी बतानेवाली ममता बनर्जी को आखिर उनसे अब इतनी दिक्कत क्यों होने लगी?