राजनीति

रांची में महुआ मांझी की स्थिति हो रही मजबूत, सी पी सिंह का उतर रहा जादू

रांची विधानसभा में महुआ मांझी की स्थिति धीरे-धीरे मजबूत हो रही है, सीपी सिंह का जादू अब धीरे-धीरे उतर रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की प्रत्याशी रही महुआ मांझी का धीरे-धीरे मजबूत होना, भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं। ऐसा नहीं कि महुआ मांझी रांची विधानसभा क्षेत्र में बहुत बड़ा काम कर रही है, जिससे समाज को बहुत बड़ा लाभ हो रहा हैं, जिसके कारण वह मजबूत स्थिति में पहुंच रही हैं, चूंकि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रांची विधानसभा क्षेत्र को प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है, जिससे रांची विधानसभा की जनता का जीना मुश्किल हो गया है। इस कारण इसका खामियाजा नगर विकास मंत्री एवं रांची विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी सी पी सिंह को उठाना पड़ेगा।

हम आपको बता दें कि अगर लोकप्रियता के बारे में बात करें, तो सी पी सिंह भाजपा विधायकों में एकमात्र नेता व विधायक हैं, जो अपनी जनता के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय है और वे इसी के लिए ज्यादा जाने जाते हैं। आज भी इनके आवास पर चले जायें तो कोई नहीं आपको टोकेगा, आप अपनी बात बहुत ही आसानी से उनके पास रख सकते हैं, यहीं नहीं आज तक किसी ने उनके गेट पर ताला लटका नहीं देखा या बंद नहीं देखा, जबकि वे झारखण्ड विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं, और फिलहाल नगर विकास मंत्री के रुप में विद्यमान है, जबकि यहां देखा गया है कि जिसकी कोई औकात नहीं, वह भी बड़े रुआब से बात करता है, सी पी सिंह की सहजता, सहृदयता तथा जनता से सीधा जुड़ाव ही उन्हें औरों से अलग करता हैं, पर इन दिनों रांची को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रयोगशाला क्या बना दिया?  हमें लगता है कि वे भी अंदर से नाराज जरुर होंगे, पर वे कर ही क्या सकते हैं, उनकी अपनी मजबूरियां है, जिंदगी भर भाजपा में बीता दिया, अब थोड़े ही विद्रोही बनकर अपनी मिट्टी पलीद करना चाहेंगे।

इधर उनकी प्रतिद्वंदी के रुप में विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हो रही महुआ मांझी साहित्यकार  और महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष भी रही है। समय और रुतबे को देखते हुए अपना कदम बढ़ाती हैं। वे उन्हीं कार्यक्रमों में शामिल होती है, जिनमें उन्हें माइलेज मिलना होता है। जिसका राजनीतिक और सामाजिक फायदा मिलना सुनिश्चित होता है। झामुमो प्रत्याशी के रुप में पिछली बार रांची विधानसभा से वह अपना किस्मत आजमा चुकी हैं। युवाओं में धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही हैं। भाजपा का विरोध करने के कारण तथा झामुमो से प्रत्याशी के रुप में खड़ा होने के कारण अल्पसंख्यकों में भी लोकप्रिय है, पर उनकी सैलेक्टिव राजनीति के कारण आज भी वह उन लोगों से दूर ही है, जो राजनीति को जन सेवा का एक सशक्त माध्यम समझते हैं।

आखिर सी पी सिंह की हालत ऐसी क्यों हो गई?

  • हाल ही में किशोरगंज के कुछ इलाकों में अतिक्रमण का ऐसा डंडा चला कि लोग सड़कों पर आ गये।
  • हरमू, किशोरगंज व रातू रोड के इलाकों में डिवाइडर के पास सारे के सारे कट्स बंद कर दिये गये, जो इन इलाकों में रहनेवाले लोगों के लिए परेशानी के सबब बन गये।
  • इन इलाकों में आजीविका के लिए, रोजमर्रा की जिंदगी जीनेवालों के लिए उनकी रोजी-रोटी संकट में पड़ गई, जबकि अतिक्रमणकारियों के लिए रघुवर सरकार 444 फ्लैट सौंप कर एक मुहल्ला ही बनाकर सौंप रही हैं।
  • लालपुर इलाके में सब्जी विक्रेताओं पर प्रशासन का डंडा कहर बनकर टूटा है।
  • सड़क जाम, जो सड़क जाम है ही नहीं, कुछ अखबारों व चैनलों द्वारा दहशत फैलाने के कारण, मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके कनफूंकवों द्वारा ऐसा निर्णय ले लिया गया कि इन इलाकों की जिंदगी ही तबाह हो गई।

जिसका नतीजा है कि चुनाव आज हो या कल, सी पी सिंह की जीत पर ग्रहण लग गया, यहीं ग्रहण महुआ मांझी के लिए जीत का कारण बन रही है। लोग महुआ मांझी को जीताने के लिए वोट नहीं करेंगे, बल्कि सी पी सिंह को हराने के लिए, भाजपा को हराने के लिए वोट करेंगे और इसमें कमल पीसता चला जायेगा। ऐसे भी भाजपा कार्यकर्ताओं का एक बड़ा समूह कह रहा है कि इस बार वे भाजपा को जीताने के लिए नहीं, बल्कि भाजपा को बचाने के लिए प्रयास करेंगे। भाजपा कार्यकर्ताओं का यहीं बयान बता देता है कि भाजपा में क्या खिचड़ी पक रही हैं? आम जनता तो भाजपा के नाम से ही फिलहाल चिढ़ रही हैं, मुख्यमंत्री रघुवर दास के क्रियाकलापों से आम जनता में इतना आक्रोश है कि लोग उनका नाम सुनना पसंद नहीं कर रहे। अगर स्थिति यहीं रही, तो कहीं रांची, हटिया, कांके समेत कई और इलाकों से भाजपा का सफाया न हो जाये।