भगवान श्रीराम ने दिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अयोध्या में स्वयं की जन्मस्थली पर भव्य मंदिर निर्माण कराने का श्रेय

लगभग पांच सौ वर्षों के अंतराल के बाद करोड़ों श्रीरामभक्तों को आज एक सुंदर एहसास हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या के श्रीरामजन्मभूमि पर श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण की नींव रखी और देश पर लगा बाबर रुपी कलंक को सदा के लिए धो दिया। आज का दिन संपूर्ण भारतीयों के लिए गर्व का विषय है। यह भारतीय सांस्कृतिक एवं अध्यात्म के अमिट अध्याय की शुरुआत है। जिन्हें यह दिखाई नहीं दे रहा हैं, या तो वे जानबूझकर नहीं दिखने का नाटक कर रहे हैं,या महामूर्ख है।

श्रीरामजन्मभूमि को बाबर के कलंक से मुक्ति दिलाने का संघर्ष कोई नया नहीं है, जिस दिन से विदेशी आक्रमणकारी बाबर के इशारे पर भारत की करोड़ों जनता की आस्था की प्रतीक श्रीरामजन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद बनाई गई। करोड़ों भारतीयों की आस्था को चोट पहुंचाया गया। उसी दिन से अपने स्वाभिमान और अपने सम्मान की लड़ाई के लिए भारत का हिन्दू समाज संघर्षशील था, पर सफलता आज मिली।

आज सचमुच खुशी का दिन है। आज बहुत बड़ा कलंक धुला है। आज पूरा देश स्वयं को धन्य महसूस कर रहा है। खुशी का एहसास इसी बात से महसूस कीजिये कि जो पार्टी कल तक राम को काल्पनिक बताती थी, जो पार्टी भाजपा को यह कहकर कोसती थी, कि मंदिर वहीं बनायेंगे पर तारीख नहीं बतायेंगे, जो पार्टी रामसेतु के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्ल लगाया करती थी, जिनके नेता श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के खिलाफ आग उगला करते थे, आज उनके सुर बदल गये हैं। वे बता रहे है कि रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण में उनके नेता राजीव गांधी, पी वी नरसिम्हा राव की बहुत बड़ी भूमिका रही है, पर देश की जनता इतनी मूर्ख नहीं कि उसे नहीं पता कि किसने क्या किया?

आज कांग्रेस के लोग कई जगहों पर दीप प्रज्जवलित कर रहे हैं,लोगों को बता रहे है कि रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण से उन्हीं भी खुशी मिल रही है। इधर पाकिस्तान जिसका जन्म ही भारत विरोध-हिन्दू विरोध से शुरु हुआ है,जहां हिन्दू बहू-बेटियों के सम्मान से खेलना, उन्हें काफिर कहकर मरने को मजबूर कर देना, मंदिर निर्माण पर रोक लगाना फितरत में शामिल है, उस पाकिस्तान ने श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण पर अपना विरोध दर्ज कराया है, जबकि पाकिस्तान छोड़,पूरे विश्व में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण की धूम है, आज तो पूरा देश ही राममय हो गया है। विश्व के कई देशों में जयश्रीराम की गूंज सुनाई दी है, पर जिन्हें श्रीराम से विरोध हैं, उनकी फटी पड़ी है।

निश्चय ही आज संत रविदास, तुलसीदास, वाल्मीकि जैसे महान आध्यात्मिक पुरुषों, वशिष्ठ,विश्वामित्र जैसे महर्षियों की आत्मा तृप्त हुई होगी। वे निश्चय ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हृदय से आशीर्वाद दे रहे होंगे, वह भी यह कहकर कि इस प्रधानमंत्री पर श्रीराम की कृपा हो गई, तभी तो श्रीराम ने मंदिर निर्माण का श्रेय इन्हें दे दिया, जिस श्रेय को लेने के लिए कई लोग पंक्तिबद्ध थे। सचमुच नरेन्द्र मोदी ने जिस संकल्प को लिया था, उसे पूरा कर दिखाया।

भगवान श्रीराम का अयोध्या में जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बने। लोग श्रीराम की मर्यादा और चरित्र से सीख ले। देश पुनः प्रगति के शिखर पर हो। राम राज्य की कल्पना जो हमारे संविधान निर्माताओं ने देखी थी, वह सपना शीघ्र साकार हो। यही तो भारत की जनता चाहती है और हमें लगता है कि जिस प्रकार से भगवान राम ने अपने मंदिर को बनाने के लिए नरेन्द्र मोदी को चुना और उसका सारा श्रेय उन्हें दे दिया, जल्द ही देश की प्रगति का भी श्रेय मोदी को प्राप्त होगा।