अपनी बात

बड़े पैमाने पर “घर-घर रघुवर” नारे का विरोध, भाजपा कार्यकर्ताओं-समर्थकों में बढ़ रहा आक्रोश

“कमल” से अधिक मंजूर नहीं, रघुवर तेरी खैर नहीं, नारे भी अब सोशल साइट पर तैरने लगे हैं। कल तक जो भाजपा नेताओं व समर्थकों को लेकर सोशल साइट पर सबसे उलझ जाते थे, आज वे भी रघुवर दास को अपना नेता मानने को तैयार नहीं, उनका कहना है कि रघुवर को इस विधानसभा में आगे बढ़ाने से भाजपा को ही सर्वाधिक नुकसान होगा, क्योंकि झारखण्ड भाजपा में रघुवर से भी ज्यादा कई लोकप्रिय नेता है, पर इन सबसे ज्यादा वे पार्टी और उसके चुनाव चिह्न को ज्यादा महत्व देते है।

प्रवीण प्रियदर्शी खांटी भाजपा समर्थक है, वे मोदी कै फैन हैं, वे मोदी के कार्यों की सराहना करते नहीं थकते, पर उन्होंने भी रघुवर मामले में गजब कर डाला है, जरा देखिये, उन्होंने रोमन भाषा में क्या लिख डाला – “यहां चमचे टाइप कार्यकर्ता नेता घर-घर रघुवर कर रहे है, बीजेपी में पार्टी का नारा बड़ा है, कोई नेता नहीं, नारा बदलें।”

इधर भाजपा में कई ऐसे भी कार्यकर्ता व समर्थक है, जो सरयू राय और अर्जुन मुंडा गुट के हैं, उनका कहना है कि भाजपा में कभी बाबू लाल मरांडी भी थे, जो बाद में मुख्यमंत्री भी बने, उनके बाद में अर्जुन मुंडा भी मुख्यमंत्री बने, पर किसी ने भी व्यक्तिवाद को बढ़ावा नहीं दिया, पर जिस प्रकार से रघुवर दास और उनके लोगों ने रघुवर की जय-जय करना शुरु किया है, उससे भाजपा को ही बहुत बड़ा चोट पहुंचेगा और इसका लाभ निःसंदेह विपक्षी पार्टियां उठायेगी, शायद भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को समझ नहीं आ रहा, क्योंकि आज भी जनता कही भाजपा की सभा या रैली में आती हैं तो वो भाजपा के नाम पर, न कि रघुवर दास के नाम पर।

इधर सरयू राय द्वारा दिया गया “घर-घर कमल” भाजपा कार्यकर्ताओं को रास आ रहा है। जिस क्षेत्र से सरयू राय विधायक है, वहीं सभी ने घर-घर कमल के नारे के साथ अपना अभियान शुरु कर दिया है, जबकि जमशेदपुर पूर्वी से जहां रघुवर दास जीतते आ रहे हैं, वहीं उनका घर-घर रघुवर अभियान दम तोड़ रहा हैं, लोगों का कहना है कि उनके परिवार के आंतक से प्रभावित, कही इस बार लोग रघुवर दास की विदाई न कर दें।