अपनी बात

अटल जी के नाम पर काव्यांजलि, नहीं जूटे भाजपा कार्यकर्ता, खाली-खाली रहा रिम्स ऑडिटोरियम

झारखण्ड भाजपा ने आज कुछ विधानसभा क्षेत्रों में आज के दिन एक बार फिर दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को भुनाने की कोशिश की। नाम रखा था – काव्याजंलि, यानी कविताओं के माध्यम से अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने की कवायद। भाजपा के लोग बताते है कि यह कार्यक्रम तीन विधानसभा क्षेत्रों में रखा गया था। एक हटिया, दूसरी रांची और तीसरी कांके विधानसभा में।

सच्चाई यह है कि नाम तो काव्यांजलि था, पर कितने लोग कविताओं के माध्यम से अटल बिहारी वाजपेयी को याद किये, शायद भाजपाइयों को भी पता नहीं। कांके विधानसभा में आयोजित काव्यांजलि का हाल यह रहा कि गिनती के 20 से 24 लोग ही वहां उपस्थित थे, जिसमें रांची नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय, रांची सांसद राम टहल चौधरी और रांची महानगर भाजपा अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र के नाम प्रमुख थे, सारा ऑडिटोरियम खाली था, ऐसे में ये काव्यांजलि कार्यक्रम का क्या हाल हुआ होगा, आप इसका अंदाजा लगा सकता है, यहीं हाल अन्य जगहों की थी, कुछ जगहों पर लोग दीखे पर अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति कविताओं के माध्यम से श्रद्धांजलि देने का भाव कहीं नजर नहीं आया।

हालांकि पन्द्रह-बीस दिन पहले भाजपाइयों ने खुब ढिंढोरा पीटा था कि वे आनेवाले मासिक तिथि यानी जिस दिन अटल बिहारी वाजपेयी का देहावसान हुआ, उसके ठीक एक महीने के बाद, भाजपा के लोग कविताओं के माध्यम से अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देंगे, तथा कार्यक्रम का नाम काव्यांजलि दिया गया, पर काव्याजंलि कार्यक्रम कैसे टांय-टांय फिस्स हुआ, उसका बहुत ही सुंदर उदाहरण है, बरियातू का रिम्स ऑडिटोरियम जहां गिनती के मात्र 20 से 24 लोग ही उपस्थित थे, ले-देकर जैसे-तैसे कार्यक्रम को शुरु किया गया और ठीक उसी तरह बंद भी कर दिया गया।

हम आपको बता दे कि रिम्स ऑडिटोरियम में काव्यांजलि का कार्यक्रम अपराह्ण 3.30 बजे रखा गया था, पर स्थिति की विकटता को देख लोगों ने कार्यक्रम को शीघ्र इतिश्री करना ही जरुरी समझा, एक भाजपा नेता जो यहां उपस्थित था, उसने बड़े गर्व से इसके कुछ फोटो अपने फेसबुक पर डाले थे, पर जैसे ही विद्रोही 24.कॉम ने उससे इस संबंध में बात की और बताया कि भीड़ तो रिम्स ऑडिटोरियम में थी ही नहीं, आपके द्वारा फेसबुक में पोस्ट किया गया फोटो बता रहा हैं, उक्त नेता ने बड़ी सफाई से देखते ही देखते पूरा पोस्ट डिलीट कर दिया, पर उस नेता को नहीं मालूम कि तब तक विद्रोही 24.कॉम ने अपना काम कर लिया था और जनता के सामने रिम्स ऑडिटोरियम की सच्चाई रख दी, कि कैसे भाजपाई अटल बिहारी वाजपेयी को काव्याजंलि के नाम पर धोखा दे रहे हैं।

सच्चाई यहीं है कि अब किसी भी भाजपाई को अटल बिहारी वाजपेयी याद ही नहीं है, सभी के मुख पर वर्तमान के नेताओं का नाम है, जिनके नाम पर उनकी दुकानदारी चलती है या दुकानदारी चलानी है, अटल बिहारी वाजपेयी, दीन दयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी को यहां कौन पुछता है?