अपनी बात

क से ‘कमल’, क से ‘केला’ और ट से टूट गया ‘गठबंधन’, म से मजबूत ‘महागठबंधन’

ले लोटा, ये क्या हो गया? केला वाले भाई और कमल वाले भाई दोनों एक दूसरे को गीदड़भभकी भी दे रहे थे और दुनिया को दिखाने के लिए एक दूसरे के सामने मूंछ भी सहला रहे थे, ये कौन सी बीच में बात आ गई कि कुछ घंटे में ही गठबंधन तिनके की तरह बिखड़ गया, सच्चाई यही है कि आजसू का पूरे झारखण्ड में उतना ज्यादा जनाधार नहीं हैं, पर उसकी महत्वाकांक्षा बहुत बड़ी हैं, वह चाहता है कि सत्ता किसी की भी हो, पर उसकी बागडोर, उसकी चाबी उसके हाथों में हो, ताकि उसका फायदा वह हमेशा उठाता रहे।

जो लोग झारखण्ड की राजनीति की समझ रखते हैं, वह यह अच्छी तरह से जानते है कि आजसू ने हमेशा सत्ता का स्वाद चखा, चाहे राज्य में किसी की भी सरकार हो। मकसद भी साफ था, अपना और अपने परिवार को बेहतर स्थिति प्रदान करना, और इसके लिए जो भी कदम उठाना पड़े, इन्होंने उठाया। आज भी आजसू इसी सिद्धांत पर चलती हैं, ये अलग बात है कि दिखावे के लिए वह नाना प्रकार के राजनीतिक हथकंडे भी अपनाती है।

इधर भाजपा ने जिन्हें टिकट नहीं दिया, उसे भी आजसू ने टिकट थमा दिया, जिससे भाजपा को एक बहुत बड़ा झटका आजसू ने दे दिया, ऐसे में आजसू के साथ भाजपा का चलना एक तरह से अब नामुमकिन था, इधर शायद आजसू ने भी संकल्प कर लिया था कि अब भाजपा को उसकी औकात बता देनी हैं, इसलिए वह ऐसी-ऐसी चाल चलने लगा, जिससे भाजपा के स्थानीय और शीर्षस्थ नेताओं का नाराज होना लाजिमी था, आजसू के इस हरकत से आजसू को भले ही जीत नसीब न हो, पर इतना तय है कि हर जगह आजसू वोटकटवा का काम करेगी और भाजपा को नुकसान होगा, तथा इससे महागठबंधन के लोगों को फायदा अवश्य होगा।

कल तक महागठबंधन को अपना निशाना बना रही भाजपा के फिलहाल आजसू के साथ गठबंधन टूटने से हाथ-पांव जरुर फूल गये हैं, क्योंकि नित्य दिन महागठबंधन को कोसनेवालों इन भाजपाइयों से जनता तो जरुर पूछेगी कि भाई आप बताओ, महागठबंधन तो सीटों की शेयरिंग कर एक तरह से मजबूत विकल्प हमारे सामने उपलब्ध करा दिया, पर तुम्हारे और आजसू के बीच में ये खटराग जो हुआ, उसके बारे में क्या ख्याल हैं और लगता है कि इसका जवाब भाजपा के किसी भी नेता के पास नहीं हैं।

इधर भाजपा ने जिस प्रकार से यौन शोषण, हत्या और घोटालों के आरोपियों, दलबदलूओं व अनैतिक लोगों के बीच टिकट बांटे, इसको लेकर भाजपा में ही घमासान है, भाजपा के लोग तो अंदर ही अंदर रघुवर दास को सबक सिखाने के लिए गोटी फिट किये हुए हैं, इसलिए याद रखियेगा, जिस दिन झारखण्ड विधानसभा का मतगणना प्रारंभ होगा, उससे सर्वाधिक झटका किसे मिलेगा, लगता है कि यह बताने के लिए अब जरुरत नहीं।