राजनीति

जेवीएम की मांग, सीएस को अविलम्ब हटाएं और विभागीय कारर्वाई शीघ्र प्रारंभ करे सरकार

झारखण्ड विकास मोर्चा के वरिष्ठ नेता प्रदीप यादव ने राज्य सरकार से मांग की है कि राजबाला वर्मा को अविलम्ब मुख्य सचिव पद से हटाया जाय तथा उन पर विभागीय कार्रवाई प्रांरभ की जाय। उन्होंने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार ने मुख्य सचिव के पद से राजबाला वर्मा को नहीं हटाया तो वे इसकी शिकायत वे राज्यपाल से भी करेंगे, साथ ही आनेवाले बजट सत्र में संपूर्ण विपक्ष को साथ में लेकर भ्रष्टाचार में लिप्त मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के खिलाफ कार्रवाई को लेकर विधानसभा में राज्य सरकार को इस मुददे पर कटघरे में खड़ा करेंगे।

सरकार को चेतावनी, अगर झाविमो की मांग नहीं मानी सरकार तो संपूर्ण विपक्ष का गुस्सा झेलने को तैयार रहे सरकार

प्रदीप यादव ने यह भी कहा कि वे इस संबंध में सारी जानकारी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्रालय को उपलब्ध करायेंगे तथा राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध करेंगे। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि चूंकि सरकार स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, इसलिए वह ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का कार्य कर रही है, अगर सरकार ने झाविमो की मांग नहीं मानी तो बजट सत्र में वह विपक्ष के क्रोध का सामना करने को तैयार रहे। उन्होंने कहा कि, उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि जो पार्टी चारा घोटाले की जांच में सीबीआई का समर्थन कर रही थी, वहीं पार्टी इसी मुद्दे पर दोहरे मापदंड अपना रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि यह जानते हुए कि जिस पर सीबीआई ने लापरवाही का आरोप लगाया, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को सीएस में प्रोन्नत करना, बताता है कि राज्य सरकार भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा दे रही है। इससे यह भी पता चलता है कि राज्य सरकार गलत लोगों को प्रमुख पदों पर बैठाकर अपने गलत कार्य को बढ़ावा देने की कोशिश अब तक करती रही है, अगर अभी भी ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को उसके पद से नहीं हटाया जाता तो सरकार जान लें कि झाविमो इस मुददे पर चुप बैठनेवाला नहीं।

ज्ञातव्य है कि मुख्य सचिव राजबाला वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने चाईबासा की उपायुक्त पद पर रहते हुए न तो कोषागार का निरीक्षण किया, न ही मासिक एकाउंटस एजी को भेजी। कुछ एकाउंटस भेजे भी, लेकिन उन पर जूनियर अफसरों के हस्ताक्षर थे। इसी दौरान 1998 में सीबीआई ने इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा राज्य सरकार को भेजी थी।

बताया जाता है कि तत्कालीन मुख्य सचिव को सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट और केस फाइंडिग्स देते हुए कहा था कि सरकार राजबाला पर मेजर पनिशमेंट चलाएं। बताया जाता है कि राज्य सरकार ने कार्रवाई के नाम पर उनसे प्रतिक्रिया लेनी चाही, 30 से भी अधिक रिमाइंडर भेजे, पर राजबाला वर्मा ने कोई जवाब नहीं दिया. यानी जिसका जवाब 15 दिन में देना था, उस जवाब को देने में 14 साल बीत गये।

सूत्र बताते है कि फरवरी में राजबाला वर्मा अवकाश प्राप्त कर लेंगी, ऐसे में रिटायरमेंट के बाद, इसके बाद चार साल पुराने मामले पर विभागीय कार्रवाई नहीं हो सकती, जबकि चारा घोटाला 27 साल पुराना है, जबकि इन्हीं मामलों पर बिहार के 3 अफसरों पर कार्रवाई हो चुकी है।

सबसे पहले सरयू राय ने यह मुद्दा उठाया था, उस वक्त अखबारों ने CS के खिलाफ समाचार प्रकाशित करने से किया था इनकार

झारखण्ड के संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने एक महीने पहले अपनी धनबाद यात्रा के दौरान पत्रकारों से बातचीत में यह मुद्दा उठाया था, तथा पत्रकारों से कहा भी था कि आप इस मुद्दे को उठाए, पर किसी अखबार में यह समाचार उस वक्त नहीं छपा, तथा रांची से प्रकाशित होनेवाली सारी अखबारों ने इस समाचार को छुपा लिया था, तथा विज्ञापन न मिलने के भय के कारण इस समाचार को छापने से सभी ने उस दौरान इनकार कर दिया था, पर आज दैनिक भास्कर ने इस खबर को प्रथम पृष्ठ पर स्थान दिया हैं। आज छपे दैनिक भास्कर में नया कुछ भी नहीं है, ये सारी बाते आपको संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय के उस पत्र में मिल जायेंगी, जिस पत्र को संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को 26 दिसम्बर को लिखा है।

हम आपको बता दें कि राजबाला वर्मा के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बात तथा उन पर कार्रवाई करने की मांग को लेकर पिछले दिनों, संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखकर ये मांग किया था कि राज्य मे स्वच्छ एवं पारदर्शीं प्रशासन के सरकार के दावे पर सवालिया निशान न खड़ा हो और राज्य की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़ें, इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें।

ऐसे भी राजबाला वर्मा की ही देख-रेख में मोमेंटम झारखण्ड भी संपन्न हुआ है, अगर इसकी भी सीबीआई जांच हो जाये तो कई अधिकारी और कई भाजपा के शीर्षस्थ नेता नपेंगे, क्योंकि मोमेंटम झारखण्ड से संबंधित जो भी समाचार आ रहे हैं, वह चौंकानेवाले हैं, स्थिति बेहद नाजुक है, अब सारी निगाहें मुख्यमंत्री रघुवर दास पर हैं, क्या वे मुख्य सचिव पद से राजबाला वर्मा को हटायेंगे, या रखेंगे।