राजनीति

20 वर्षों में झारखण्ड को भाजपाइयों ने निचोड़ लिया, चूस लिया, इनका काम सिर्फ हमारी सरकार की किरकिरी कराना, यहां राज्यपाल भी जनहित कार्यों में अड़ंगा लगाते हैः  हेमन्त

अपने शासन के चार साल पूरा होने के अवसर पर मोराबादी में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार विपरीत परिस्थितियों में भी राज्य की जनता को बेहतर सेवा प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि न तो केन्द्र और न ही विपक्ष का रचनात्मक सहयोग उन्हें मिल रहा है, उलटे यहां के राज्यपाल भी उनके जनहित कार्यों में अड़ंगा लगाने से बाज नही आ रहे, फिर भी वे अपने राज्य को बेहतर दिशा में ले जाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं।

जमीन, पानी, कोयला हमारा और बिजली हमें नहीं मिलती

उन्होंने कहा कि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि हमारी जमीन, हमारा पानी, हमारा कोयला, लेकिन बिजली हमें नहीं मिलती। हजार रुपये बाकी रहता है और डीवीसी बिजली काट देता है। उन्होंने कहा कि ये सब जान-बूझकर किया कराया जाता है। ताकि उनकी सरकार की किरकिरी हो, सरकार बदनाम हो, हमारी छवि खराब हो क्या करें, डीवीसी पर तो नियंत्रण केन्द्र का है। इसीलिए बिजली को लेकर हमें केन्द्र की ओर मुंह ताकना न पड़ें इसलिए वे इस ओर राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। डेढ़ साल में आप सभी को इसका लाभ देखने को मिलेगा।

विपक्ष तो विपक्ष यहां तो राज्यपाल भी अड़ंगा लगाते हैं

उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो। इसके लिए कई निर्णय उन्होंने लिये। लेकिन यहां विपक्ष करता क्या है? राज्यपाल के यहां जाकर काना-फूंसी करता है और राज्यपाल हमारी सरकार के कामों में अड़ंगा लगाते हैं। जहां भाजपा की सरकार है, वहां तो राज्यपाल ऐसा नहीं करते, पर जहां गैर-भाजपा शासित राज्य हैं, वहां ये दिक्कत पहुंचाते हैं।

उन्होंने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार सूखा राहत में प्रति किसान 25 हजार रुपये रोक कर बैठी है। उसके बावजूद भी उनकी सरकार ने चार लाख 50 हजार किसानों का 1700 करोड़ रुपये का कृषि ऋण माफ किया है। सूखा प्रभावित किसानों को 450 करोड़ की फौरी राहत दी एवं बीमा कंपनियों से लड़कर 700 करोड़ रुपये किसानों को दिलवाया है।

उन्होंने कहा कि 20 वर्षों में आठ लाख किसानों को केसीसी का लाभ मिला जबकि उन्होंने अपने चार साल के शासनकाल में वो भी मात्र दो साल में 21 लाख किसानों तक इसका लाभ पहुंचाया और उन्हें 11 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक सहायता उपलब्ध कराया। उन्होंने कहा कि अपने राज्य में मांस की खपत अधिक है। परन्तु इसका भी लाभ दूसरे राज्य ले जा रहे हैं।

मछलियां आंध्र प्रदेश से आती है। बकरी, मुर्गे-मुर्गियां तक बाहरी राज्यों से आ रहे हैं। इससे लाभान्वित दूसरे राज्य हो रहे हैं। इसलिए उन्होंने 90 प्रतिशत अनुदान पर यहां के पशुपालकों को पशु उपलब्ध करा रहे हैं ताकि वे इसका फायदा उठा सकें और राज्य का भी भला हो। उन्होंने कहा कि किसानों की भलाई के लिए मसलिया, सिकटिया एवं पलामू में मेगा लिफ्ट सिचाई जैसी परियोजनाओं से लाखों एकड़ जमीन में सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। एक लाख बिरसा सिंचाई कूप पर काम चल रहा है।

केन्द्र से सस्ते दर पर अनाज मांगा पर नहीं मिला

उन्होंने कहा कि इस राज्य में जब सब कुछ ठीक था, तब लोग भूख से मरे हैं। पर कोरोना काल जैसे समय में हमने लोगों को भूख से मरने नहीं दिया। हम अपने यहां चावल के साथ-साथ लोगों को दाल भी उपलब्ध करा रहे हैं। हमने इसके लिए केन्द्र की एफसीआई से मदद मांगी ताकि हमें सस्ती अनाज मिल सकें। लेकिन केन्द्र ने हमें नहीं दिया। हम खूले बाजार से मंहंगे अनाज खरीद कर अपनी जनता को उपलब्ध करा रहे हैं। इस प्रकार का भेद-भाव व सौतेला व्यवहार केन्द्र द्वारा हमारे साथ किया जा रहा है।

विपक्ष ने सरप्लस बजट वाले राज्य को बीमारु बना दिया

उन्होंने कहा कि जब राज्य अलग हुआ तब इस राज्य के पास सरप्लस बजट था, मतलब यह राज्य धन-धान्य से परिपूर्ण था। परन्त 20 वर्षों में इन सब ने मिलकर पूरे राज्य को निचोड़ लिया, चूस लिया, बीमारु राज्य बना दिया। स्थिति ऐसी हो गई कि किसान आत्महत्या करने लगे, लोग भूख से मरने लगे।

उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों में हमारे गरीब आदिवासी बुखार-कालाजार से मरने लगे तो ये विपक्षी विभिन्न संचार माध्यमों से लगे सरकार की बुराई करने, जबकि ये सारी बीमारी का कारण आवास का न होना व गंदगी का होना है। इन्हीं सभी बातो का ध्यान रखकर उन्होंने केन्द्र से बेहतर आवास देने का फैसला किया, जो सचमुच में रहनेलायक हो। नतीजा क्या हुआ। जब हमने अपना हिस्सा मांगा। हमें केन्द्र ने नहीं दिया और इस राज्य का हिस्सा उत्तर प्रदेश को थमा दिया।

दलितों-आदिवासियों को अब 50 वर्ष से ही मिलेगा पेंशन

उन्होंने कहा कि आदिवासी व दलित वर्ग में गरीबी की भयावह स्थिति को देखते हुए उन्होंने उनके लिए उम्र सीमा 60 से घटाकर 50 कर दिया है। अब 50 वर्ष की उम्र से ही इन्हें पेंशन मिलेगी। सर्वजन पेंशन योजना लागू करने से आज स्थिति यह हो गई है कि राज्य के सभी घरों में कोई न कोई व्यक्ति इसका लाभ अवश्य ले रहा हैं।

पहले 15 लाख लोगों को पेंशन मिलता था, लेकिन आज 36 लाख लोगों को पेंशन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आप बगल के बिहार, ओड़िशा और छत्तीसगढ़ में जाकर देखिये, वहां वृद्धावस्था पेंशन कहीं 250, तो कहीं 300 तो कहीं 350 हैं। लेकिन झारखण्ड में हम अपने लोगों को 1000 रुपये प्रतिमाह पेंशन उपलब्ध करा रहे हैं।

कोरोनाकाल में भी हमनें अपने लोगों को भूख से नहीं मरने दिया

उन्होंने कहा कि 2019 में जैसे ही हमने सत्ता संभाली। हमें विश्वव्यापी बीमारी कोरोना का सामना करना पड़ा। एक तो ऐसे ही झारखण्ड में गरीबी और पलायन था। दूसरी ओर कोरोना ने हमारे लोगों को जीना-दूभर कर दिया था। उस दौरान हमने कोई अफरातफरी नहीं होने दिया। अपने लोगों को बचाने पर ध्यान दिया। यहीं नहीं पूरे देश में आक्सीजन सप्लाई करवाकर दूसरे लोगों को भी बचाया।

हमने अपनी पूरी सरकारी मशीनरी उस दौरान झोंक दी थी। इस दौरान हमारे दो-दो मंत्री कोरोना के शिकार हो गये, पर जनता को भूख से मरने नहीं दिया। हमारे लोग जो दूसरे राज्यों में फंसे थे। सात-समंदर पार फंसे थे। सभी को अपने राज्य लाने का प्रबंध किया। जो लोग कहते थे कि हवाई चप्पल वाले को वे हवाई जहाज में बैठायेंगे।

वे लोग उन्हें मरने को छोड़ दिये थे, जबकि हमने उन्हें सही मायनों में हवाई जहाज से अपने राज्य बुलवा लिया। उन्होंने कहा कि याद करिये। देश का क्या हाल था। ट्रेन, बस, ट्रक बंद। हमारे लोग दूसरे राज्यों में रहने का कोई विकल्प नहीं देख, जिसको जो मिला उसी से चल दिया, कोई साइकिल से तो कोई पैदल ही। हमने सभी को सही ढंग से अपने यहां लाने की व्यवस्था की।

आज दिल्ली-रांची से नहीं, बल्कि गांवों-पंचायतों से चल रही सरकार

उन्होंने कहा कि यह राज्य किसी की कृपा से नहीं मिला। यह संघर्ष का परिणाम है। हमने सत्ता आते ही कहा था कि आपकी सरकार दिल्ली या रांची से नहीं चलेगी। आपके गांवों-पंचायतों से चलेगी। हमने इसे साकार कर दिया। आज बड़े-बड़े अधिकारी गांव-पंचायत का रुख कर रहे हैं और आपकी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विकास की गति इतनी तीव्र है कि रांची में तीन फ्लाई ओवर,  पलामू, साहेबगंज और सारठ में डेयरी प्लांट, पन्द्रह हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण एवं मरम्मति का कार्य, 700 करोड़ से पथ-निर्माण विभाग द्वारा सडकों का चौड़ीकरण, उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का कार्य, 80 उत्कृष्ट विद्यालय जिसकी संख्या अब हम 5000 करने जा रहे हैं। छात्रावासों की मरम्मति व उसका रंग-रोगन का भी काम शुरु करने जा रहे हैं।