राजनीति

किताबों की जगह हाथों में शराब देने को आमादा है झारखण्ड सरकार – आजसू

कोरोना के कारण पिछले दो सालों से स्कूल बंद हैं, बच्चों की पढ़ाई बाधित है। झारखण्ड सरकार को सरकारी स्कूलों के बच्चों के घर तक किताब एवं पठन सामग्री पहुँचाने की चिंता नहीं है। कोरोना से उपजे वैश्विक संकटकाल में आज एक ओर कुछ राज्यों ने राशनकार्डधारियों के घर तक राशन पहुँचाने की व्यवस्था की है, वहीं झारखण्ड सरकार शराब की होम डिलीवरी के लिए छत्तीसगढ़ राज्य कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ एमओयू कर रही है।

इससे यह साबित होता है कि सरकार की प्राथमिकता शिक्षा और स्वास्थ्य नहीं बल्कि शराब है। शराब आपके द्वार झामुमो महागठबंधन सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बन गयी है। हमने कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन और अस्पताल में बेड नहीं मिलने के कारण कई लोगों को खोया। यहां तक की राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के सामने लोगों ने दम तोड़ा।

काश राज्य सरकार ने दवाओं एवं ऑक्सीजन की होम डिलीवरी की होती, तो झारखण्ड में आज हजारों घर इस तरह बर्बाद नहीं होते। हजारों बच्चे अनाथ नहीं होते। आदरणीय गुरुजी ने नशामुक्त झारखण्ड की कल्पना की थी, 1932 आधारित स्थानीयता की बात की थी, लेकिन इसके विपरीत हेमंत सरकार घर-घर शराब पहुँचाने में जुटी हुई है।

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार सत्ता के नशे में चूर हो गयी है और विपक्ष की बात तो दूर, गुरुजी की बातों और विचारों को भी दरकिनार कर रही। अब तक सरकार ने लॉकडाउन के प्रभाव से आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक व्यवस्था पर आए गहरे संकट से निबटने की नीति स्पष्ट नहीं की है। कोरोना एवं लॉकडाउन से प्रदेश के लाखों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है। लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूर, लघु सीमांत किसान, कृषि श्रमिक और निर्माण श्रमिक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।

कोरोना महामारी का असर सिर्फ स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर ही नहीं पड़ा है, बल्कि इसका प्रभाव जीवन के सभी क्षेत्रों पर है। कोरोना महामारी का शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा ही असर पड़ा है। खासकर स्कूली छात्र-छात्राएं इससे व्यापक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। हमारे मुख्यमंत्री जी को इस विषय पर गंभीर समीक्षा करने की जरुरत थी। लेकिन सरकार का ध्यान इन विषयों पर नहीं।

पाठशाला ठप, मधुशाला अप

फिलहाल स्कूल बंद होने की वजह से छात्रों को किताबें वगैरह उपलब्ध नहीं हो रहे हैं, घर पर कंप्यूटर, इंटरनेट या पर्याप्त संख्या में मोबाइल ना होने के कारण जहां ऑनलाइन पढ़ाई में छात्रों को परेशानियां हो रही हैं, वहीं लड़कों को लड़कियों पर प्राथमिकता दी जा रही है। कोरोना के कारण हुए आर्थिक तंगी के कारण लड़कियों की पढ़ाई छूटने का भी डर शामिल हो गया है।

छात्रों के हाथों में किताब, युवाओं को रोज़गार देने के बजाए राज्य सरकार झारखण्ड के भविष्य के हाथों में शराब देने के लिए आमादा है। इस निर्णय से झामुमो सरकार ना सिर्फ राज्य के भविष्य को अंधेरे में डाल रही बल्कि लूट, छिनतई, मर्डर और आपराधिक घटनाओं को बढ़ावा भी देने जा रही।