झारखण्ड आंदोलनकारी का आरोप, आंदोलनकारियों के सम्मान के नाम पर अपनी मार्केटिंग कर रहे हेमंत, अब तक 20 करोड़ फूंक डाले

जब-जब अपने या अपनी सरकार पर हेमंत को संकट नजर आता है तो उन्हें याद आते हैं झारखंड के आंदोलनकारी। वे यह कहना नहीं भूलते कि वे शिबू सोरेन, जो झारखंड आंदोलन के पर्याय हैं कि संतान हैं, वे आंदोलनकारियों को सम्मान व अधिकार जरूर देंगें, पर सच्चाई यह है कि यह हकीकत से काफी दूर है। चिन्हितीकरण आयोग पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की देन है न कि हेमंत सोरेन या इनके पिता शिबू सोरेन की। यह कहना है झारखण्ड के एक आंदोलनकारी व वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत महतो का।

उमाकांत महतो का कहना है कि पांच महीने से चिन्हित किये गये चार हजार आंदोलनकारियों मे से पेंशन पाने वाले लगभग डेढ़ हजार आंदोलनकारियों को सरकार ने उनका पेंशन नहीं दिया है, जो लगभग ढाई से तीन करोड़ के आस-पास होता है। इन्हीं पांच महीनों मे सरकार ने चार बार फूल पेज का विज्ञापन अखबारों को दिया, जिसकी लागत लगभग पांच करोड़ से अधिक है।

अर्जुन मुंडा ने इसके लिए कभी अपने को विज्ञापित नहीं किया, पर जिन्होंने कुछ किया ही नहीं अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। गत् तीन जून की विज्ञापित बैठक में अखबारों मे दिये विज्ञापन के अलावे राज्य के प्रत्येक प्रखंडों से लोगों की भीड़ इकट्ठा करने के लिए कम से कम दो बसों का इंतजाम हेमंत सरकार ने किया। यह उपक्रम सिर्फ इसलिए कि लोग समझें कि इस सरकार को बड़ी चिंता है आंदोलनकारियों की।

काश यह सच होता। तीन जून को लोगों की भीड़ जुटाने के लिये भी करोड़ों खर्च किया गया। यह पैसा किसी के परिवार का नहीं, बल्कि आम लोगों का ही पैसा है। अपने मान-सम्मान के लिए आंदोलनकारियों ने लगातार कई महीनों तक धरना-प्रदर्शन किया, पर नतीजा सिफर रहा, बल्कि कई मौकों पर आंदोलनकारियों को पीटा भी गया और फजीहत भी किया गया।

प्रति महीने का पेंशन जो कुछ लाखों मे होता है, सरकार चिन्हित किए गये मात्र डेढ़ लाख लोगों को नियमित भुगतान नहीं कर पाती है, वहीं इनके नाम पर अपना चेहरा चमकाने के लिए मात्र पांच महीने के अंदर जनता का बीस करोड़ से अधिक खर्च कर दिया गया। झारखंड आंदोलनकारियों के लिए अर्जुन मुंडा द्वारा बनाए गये गये इस आयोग मे आंदोलनकारियों को प्रतिवर्ष मेडिकल भत्ता देने का भी प्रावधान था, पर आयोग द्वारा तय निश्चित राशि व सम्मान पत्र शायद ही किसी को मिला है।

मै भी आंदोलनकारी हूं, मुझे भी पेंशन का भुगतान पांच महीनों से नहीं हुआ है, ना ही मेडिकल भत्ता और न आज तक कोई सम्मान पत्र दिया गया। अर्जुन मुंडा द्वारा आयोजित इस आयोग मे अपने लोगों को सदस्य व अध्यक्ष बना कर राजनीतिक लाभ जम कर उठाया जा रहा है, जिनके लिए यह बना, वे ठगे जा रहे हैं। पेंशनधारियों, जिनकी संख्या सबसे अधिक है, को हेमन्त सरकार ने प्रति माह पांच सौ की बढ़ोतरी की है, वहीं जिनकी संख्या नगन्य है उन्हें सात हजार देने की घोषणा की है।

इस बाबत सरकार को विज्ञापन से विज्ञापित करनेवाले अधिकांश अखबार आम जनता का पैसा लूटने का काम कर रहे हैं। ऐसे अखबारों को जो प्रतिदिन के हिसाब से छापना है, वह पांच साल मे भी नहीं छापते, पर सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा उन्हें खूब उपकृत किया जा रहा। यानी अखबारों द्वारा भी जमकर लूटा जा रहा है, झारखंड के पैसों को और इसकी जिम्मेदार बनी है सरकार व इसकी एजेंसी।