झारखण्ड में रघुवर की नई कंपनी की ब्रांडिंग से जनता कन्फ्यूज्ड

जहां मन करें, हलन्त लगा दो

जहां मन करे विसर्ग

अपना सीएम अपना रघुवर

किस बात का डर

मूर्ख झारखण्डी

हम विद्वान मंडली

करे यदि कोई तर्क

अपने कुतर्कों से उसका

मुंह करो रे बंद

जी हां इसी दोहे के अनुरुप नई मंडली रांची आकर सीएम रघुवर दास की ब्रांडिंग में लग गई है। सीएम रघुवर दास भी नई मंडली की मूर्खतारुपी हरकतों से बहुत प्रसन्न है, इतने प्रसन्न है कि पूछिये मत। सूचना एवं जनसम्पर्क के वरीय अधिकारियों को कह दिया गया है कि आप अपना मुंह-कान सब बंद रखिये और ये जो नई मूर्ख मंडली आयी है, उसके आगे नतमस्तक हो जाये, वो जो करें, बस हां में हां मिलाइये, इससे ज्यादा कुछ करना नहीं है। नतीजा देखिये…। सभी ने आंखे बंद कर रखी है, कानों को भी बंद कर लिया है, और जो नई कंपनी आई है, उसकी मूर्खता रुपी वक्तव्य में, हां में हां मिलाये जा रहे हैं, जिससे इसके द्वारा निकाली जा रही विज्ञापन से जनता पूरी तरह कन्फ्यूज हो गयी है…

अब इस विज्ञापन को ध्यान से देखिये…

उपर में लिखता है बदलता झारखण्ड, विकास की ओर उन्मुख झारखण्ड और नीचे लिखता है नया भारत, नया झारखण्ड। ऐसे में झारखण्ड की जनता क्या समझे? कि राज्य विकास की ओर अग्रसर होते हुए अभी बदल रहा है, अंगड़ाई ले रहा है, या पूर्णतः बदल गया और एक नये रुप में झारखण्ड उदय ले लिया है। अगर पूर्णतः विकसित हो गया तो फिर बदलता झारखण्ड, विकास की ओर उन्मुख झारखण्ड को लिखने की जरुरत नहीं और जब बदलता झारखण्ड है तो नया झारखण्ड लिखने की जरुरत नहीं, और अगर दोनों है तो कोई न कोई विज्ञापन एक दूसरे का खण्डन अवश्य कर रहा है, ये कन्फ्यूजन कौन दूर करेगा… सीएम रघुवर दास या उनकी नई कंपनी…

इस नई कंपनी को न्यायालय तक लिखने नहीं आता…आज तो उसने हद कर दी, आज के अखबारों में तीन विज्ञापन इस कंपनी द्वारा निर्मित राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित किये गये है, जिसमें जहां पाये वहां हलन्त और जहां पाये वहां बिन्दु लगा दिये गये है, यहीं नहीं प्रथम दृष्टया यह विज्ञापन जनता को पसंद भी नहीं आ रहे, चूंकि सीएम और उनके कनफूंकवों को वह कंपनी पसंद है, इसलिए उसके खिलाफ कोई बोल ही नहीं पा रहा।

जरा इस विज्ञापन को देखिये –

यह है नगर विकास एवं आवास विभाग का विज्ञापन। जिसमें सफेद रंग के घेरे में लिखा है कि जिन होल्डिगधारियों द्वारा 31 मार्च 2017 तक स्व निर्धारण प्रपत्र जमा किया जा चुका है, वह अपने बकाये होल्डिंग टैक्स को बिना जुर्माना 30 जुलाई 2017 तक जमा कर सकते है और ठीक उसके नीचे बैगनी रंग के घेरे में देखिये क्या लिखा है – झारखण्ड नगर पालिका कर भुगतान विनियम 2017 के अंतर्गत दिनांक 30 जून 2017 तक भुगतान नहीं किये जाने की स्थिति में निम्नलिखित अर्थदंड भी भुगतेय होंगें। अब आप स्वयं बताइये कि जनता ऐसे विज्ञापन बनानेवालों से कन्फ्यूज्ड होगी या नहीं, यानी इस कंपनी ने स्वयं द्वारा बनाये गये विज्ञापनों से इतने जगह कन्फ्यूजन क्रियेट कर रही है कि लोग समझ ही नहीं पा रहे है कि सीएम करना या कहना क्या चाहते है?

याद करिये, ये वहीं कंपनी है, जो मुख्यमंत्री रघुवर दास की तुलना राम से कर दी थी, यह कहकर रघुकुल रीत सदा चली आई। प्राण जाय पर बचन न जाई।। जिसको लेकर बावेला मचा था, आलोचना भी हुई थी। इसी ने लिखा था, उसी में काले अक्षरों में जो कहां वो निभाया, जबकि आम बोल चाल की भाषा में कहा जाता है कि जो कहा सो किया, ऐसे भी वादे निभाये जाते है, न कि…  पर चूंकि नई कंपनी है, सीएम को उसी की उटपुटांग बातें अच्छी लगती है, इसलिए वह उछल रहा है और सीएम भी गदगद है, जबकि कोरियाई कंपनियों ने सात हजार करोड़ के निवेश से हाथ खींचने की बात कह दी है और ये समाचार भी रांची के अखबारों में प्रकाशित हो गया है, जिससे स्पष्ट है कि झारखण्ड की जनता को कैसे विज्ञापनों के माध्यम से उल्लू बनाया जा रहा है? स्थिति यह है कि जिस कंपनी को गोस्वामी तुलसीदास के श्रीरामचरितमानस की एबीसीडी मालूम नहीं है, वह अलबल लिखे जा रहा है, और सीएम प्रसन्न है, वाह, वाह कर रहे है। हद हो गई।

सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में ही कई अधिकारी, ऐसे है, जिनकी विद्वता का कभी बिहार सरकार कायल रही, पर झारखण्ड में सीएम रघुवर दास के आते ही ये बेकार और किसी काम के नहीं हैं। हाल ही में जिस प्रकार से सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के निदेशक के रुप में राजीव लोचन बख्शी को ताम-झाम के साथ लाया गया और जिस प्रकार से बेइज्जत कर अचानक छः महीने में ही उन्हें इस विभाग से हटाया गया, वह साफ बताता है कि कनफूंकवों ने इस राज्य की छवि को बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा दी है। याद रखिये इसके पूर्व भी निदेशक रहे अवधेश कुमार पांडेय को सीएम के कनफूंकवों ने उन्हें बेइज्जत करने की कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी, पर अवधेश कुमार पांडेय ने अपनी विद्वता से कनफूंकवों को अपने उपर हावी होने नहीं दिया, आज वे यहां से नई दिल्ली जाकर आराम से अपनी विद्वता का डंका बजा रहे है। याद रखिये, अगर यहीं चलता रहा तो यकीन मानिये, ये नई कंपनी सीएम रघुवर दास का ऐसा बंटाधार करेगी कि सीएम रघुवर दास कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। इधर देखने में यह भी आ रहा है कि जो प्रभातम कंपनी यहां कार्य कर रही थी, उसे मुख्यमंत्री ने कैबिनेट से निरस्त कर दिया, पर आज भी वह कंपनी सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में बैठी है, उसे अभी तक विमुक्त नहीं किया गया है, अपनी विमुक्ति प्रपत्र के लिए उक्त प्रभातम कंपनी राज्य सरकार के उच्चाधिकारियों से संपर्क में है, पर उसे कोई विमुक्ति पत्र दे ही नहीं रहा, जबकि मौखिक रुप से उससे सारे सामान हस्तांतरित करा लिये गये है, प्रभातम कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी आज भी आ रहे और नियत समय पर जा रहे है यानी एक तरह से देखा जाय तो एक ही काम के लिए दो-दो कंपनियां इस झारखण्ड में फिलहाल काम कर रही है पर यह कब तक चलेगा, इस पर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पा रहा है। ऐसी खराब स्थिति आज तक कभी भी नहीं देखी गयी, चूंकि कनफूंकवों के कारण ही यह सब हो रहा है, इसलिए कनफूंकवें कब सीएम के कान में फूंक मारेंगे, सब उसी की इंतजार में है। राज्य में ज्यादातर ईमानदार किस्म के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी फिलहाल गूंगे-बहरे हो गये है, क्योंकि वे जानते है कि कनफूंकवे के कहने पर सीएम कब उसकी इज्जत ले लेंगे, कहां नही जा सकता, इसलिए सभी चुप है, फिलहाल उनकी प्राथमिकता इज्जत बचाने की है, ऐसे मैं यह बता दूं कि ऐसे आईएएस अधिकारियों की संख्या यहां मात्र दो से तीन हैं।