राजनीति

‘जागरण’ ने रघुवरभक्ति दिखाई, बाकी ने सही समाचार जनता के बीच रखा

झारखण्ड में राजनीतिक कड़ुवाहट व गरमाहट चरम पर हैं, कब विधायकों का एक बड़ा समूह मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ सामूहिक विद्रोह पर उतर आयेगा, कहा नहीं जा सकता, पर रांची से प्रकाशित तीन अखबारों को छोड़कर, एक अखबार जो विशुद्ध रुप से भाजपाई अखबार माना जाता है, उसे लगता है कि यहां कोई विवाद है ही नहीं, सारा मामला सलट गया, दरअसल इस अखबार की पहली और अंतिम प्राथमिकता सीएम रघुवर को प्रसन्न रखना है, ताकि उसके बदले सीएम रघुवर से विज्ञापन रुपी मुंहमांगा धन समय-समय पर प्राप्त होता रहे।

जरा देखिये मुख्यमंत्री रघुवर दास के क्रियाकलापों से बेहद नाराज चल रहे खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कुछ जमशेदपुर में बयान दिये है, इन बयानों को उक्त अखबार ने कैसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया है? दैनिक जागरण के अनुसार, सरयू राय की तीनों इच्छाएं पूरी हो चुकी है, अब उन्हें सरकार से कोई गिला-शिकवा नहीं, पर प्रभात खबर को देखे तो स्पष्ट होता है कि अभी भी सरयू राय की सीएम से शिकायत है और वे उन शिकायतों को लेकर आज भी ऊतने ही मुखर है।

आखिर वह शिकायत क्या है? सरयू राय आज भी चाहते है कि सीएस राजबाला वर्मा के खिलाफ कार्रवाई हो, सरयू राय ने जमशेदपुर में कहा था कि सारंडा रिजर्व फारेस्ट क्षेत्र में एनजीटी की मनाही के बावजूद पहाड़ काटकर सड़क चौड़ीकरण का आदेश देना समझ से परे है। चूंकि उस समय पथ निर्माण विभाग राजबाला वर्मा संभाल रही थी, इसलिए उनकी जवाबदेही, राजबाला वर्मा के उपर ही है। इस समाचार को रांची से प्रकाशित हिन्दुस्तान और दैनिक भास्कर ने भी प्रमुखता से उठाया है।

ज्ञातव्य है इस मामले में वन विभाग ने पथ निर्माण के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता, ठेकेदार एवं अन्य पर केस दर्ज किया था। यहीं नहीं चाईबासा कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और इन अफसरों के खिलाफ सम्मन जारी किया जा चुका है। सरयू राय ने आरोप लगाया कि सडक बनाने के लिए झूठा सर्वे कराया गया, जबकि वहां कोई ट्रैफिक ही नहीं है।

आश्चर्य इस बात की है छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई कर दी गई, लेकिन जिनके आदेश पर ये गड़बडियां हुई, उन अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई,  इसलिए उन्होंने सीएम को एक बार फिर पत्र लिखा कि केवल छोटे अधिकारियों ही नहीं, बल्कि बड़े पदाधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो, और उनके खिलाफ प्राथमिकी जल्द से जल्द दर्ज हो, यानी सरयू राय एक बार फिर एक और लेटर भेजकर सीएम की नींद उड़ा दी है, और ये नींद कब तक उड़ी रहेगी, सीएम को भी नहीं पता, जो सीएम ये सोच रहे थे कि संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा को बना देंगे तो उन्हें राहत मिलेगी, पर सीएम रघुवर दास को राहत मिलता नहीं दीख रहा, क्योंकि सीएम की इतनी हिम्मत नहीं कि वे राजबाला वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति या उन्हें मुख्य सचिव पद से हटा दें और सरयू राय तब तक शांत नहीं बैंठेंगे, जब तक उनकी बाते मान नहीं ली जाती।