पाकिस्तान में हिन्दूओं, सिक्खों, ईसाईयों की बहू-बेटियों का अपहरण कर उन्हें इस्लाम कबूल कराना, जबरन शादी करना आम बात

पड़ोसी देश पाकिस्तान में हिन्दूओं, सिक्खों, ईसाई आदि अल्पसंख्यकों की बहू-बेटियों को अपहरण कर लेना, उन्हें जबर्दस्ती इस्लाम कबूल करवाना और भय दिखाकर उनसे शादी कर लेना, साथ ही हिन्दू मंदिरों को क्षतिग्रस्त करना पाकिस्तान के इस्लाम धर्मावलम्बियों को बहुत रास आ रहा है। पाकिस्तान में इस प्रकार की हरकतें आम बात है, और आश्चर्य है कि इस प्रकार के कुकर्म में वहां की अदालतें और पुलिस भी अल्पसंख्यकों का साथ न देकर, मुस्लिमों का साथ देती है।

जिस कारण वहां हिन्दूओं, सिक्खों व ईसाइयों का जीना दूभर हो गया हैं, पर आश्चर्य है कि वहां दिन-प्रतिदिन हिन्दूओं, सिक्खों व इसाइयों पर हो रहे इस अत्याचार पर भारत का मुस्लिम समाज कभी मुंह नहीं खोलता, जबकि दूसरे देशों या भारत के ही कुछ भागों में एक-दो घटनाएं इनके खिलाफ घट जाये, तो फिर देखिये ये कैसे हाय-तौबा मचा देते हैं? फिलहाल नागरिकता संशोधन कानून को लेकर प्रतिदिन भारत सरकार के खिलाफ ये आग उगलने से बाज नहीं आ रहे और इनका साथ वे लोग दे रहे हैं, जो धर्म को अफीम मानते हैं, यानी वामपंथियों का समूह।

अभी हाल ही में पाकिस्तान के कराची में एक नाबालिग ईसाई लड़की 14 वर्षीया हुमा का अपहरण कर एक मुस्लिम युवक जब्बार ने शादी कर ली, पर कोर्ट ने उस शादी को वैध ठहरा दिया, यह कहकर कि शरिया कानून के अनुसार अगर लड़की का मासिक धर्म शुरु हो चुका है तो कम उम्र की लड़की से विवाह मान्य है, हालांकि पीड़िता के माता-पिता पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का फैसला किया है, पर उसे न्याय मिलेगा, इसकी संभावना कम दिख रही है।

इसी बीच पाकिस्तान के जैकबाबाद से खबर है कि पाकिस्तान की 15 वर्षीय नाबालिग हिन्दू लड़की, जिसका अली रजा मिर्ची ने अपहरण कर शादी कर लिया था, वह स्थानीय अदालत में कही है कि वह इस्लाम कबूल नहीं करना चाहती, ज्ञातव्य है, जब इस हिन्दू लड़की का अपहरण कर शादी हुआ था, तब उस वक्त पाकिस्तान में कई हिन्दू संगठनों ने भारी विरोध दर्ज कराया था, पर पाकिस्तान सरकार के कानों पर जू तक नहीं रेंगी।

अभी कुछ ज्यादा दिन नहीं बीता है कि पाकिस्तान के ननकाना साहिब में ग्रंथी की बेटी का एक मुस्लिम युवक ने अपहरण कर जबर्दस्ती शादी कर ली थी, जिसको लेकर पाकिस्तान ही नहीं, भारत के सिक्खों में भी उबाल देखने को आया, आज भी उक्त ग्रंथी का परिवार उस कांड के दहशत से उबर नहीं पाया है। अभी हाल ही में पाकिस्तानी क्रिकेटर दानिश कनेरिया पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बढ़ा था, पर उन्होंने साफ इनकार कर दिया कि वे इस्लाम नहीं कबूल करेंगे, उन्हें अपने हिन्दू होने में गर्व महसूस होता है।

यही नहीं पाकिस्तानी मुस्लिम और उसके नेता हिन्दूओं से कितनी घृणा करते हैं, उसका एक बानगी देखिये, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी से वास्ता रखनेवाले एक नेता अकरम उस्मान ने पांच फरवरी को एक पोस्टर लगवाया, जिसमें लिखा था कि “हिन्दू बात से नहीं लात से मानता है।”

आखिर ये इतनी नफरत पाकिस्तान के मुसलमान हिन्दूओं से क्यों करते हैं? समझ नहीं आता, जबकि भारत में धर्म के नाम पर इस प्रकार की नफरत देखने को नहीं मिलती, हालांकि भारत में भी जहां अब मुस्लिमों की संख्या बढ़ रही हैं, वहां इस प्रकार की नफरत की चीजें अब देखने को मिलने लगी है, जैसे –

वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि पश्चिम बंगाल के वैसे इलाके जहां मुस्लिमों की संख्या अधिक हो गई है, वहां हिन्दुओं को पूजा-पाठ करने के लिए मस्जिदों से इजाजत लेनी पड़ रही है, यह बात हाल में लोकसभा में कही गई। कई साल पहले इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर जरुर छपी थी कि पश्चिम बंगाल के एक मुस्लिम बहुल इलाके में हिन्दू लड़कियों को हाफ पैंट पहन कर हॉकी खेलने से मना कर दिया गया।

भारत के कश्मीर में हिन्दूओं की क्या स्थिति हैं, वह किसी से छुपा नहीं है, वहां कश्मीरी पंडितों को चून-चूनकर भगा दिया गया, और इस क्रम में उनकी बहू-बेटियों की खूलेआम उनके परिवार के सामने इज्जत लूट ली गई। जब यह सब वहां हो रहा था तब वहां रह रहे लोगों को लगा था कि दिल्ली में जहां उनकी सरकार हैं, ये सब रोकने के लिए प्रयास करेगी, पर स्थितियां बिल्कुल उनके खिलाफ थी, जिसके बारे में पूरा देश जानता है।

जानकारों का मानना है कि अगर केन्द्र व राज्य सरकार ने इस प्रकार की हरकतों पर रोक नहीं लगाई तो भारत का धर्म-निरपेक्षता का जो ढांचा हैं, उसे भरभराते देर नहीं लगेगी। भारत में वोट-बैंक की राजनीति ने भारत के धर्मनिरपेक्ष छवि का जो भट्ठा बैठाया है, वो जगजाहिर है। वोट-बैंक के चलते, कुछ दल तो ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं, पर कालांतराल में जहां इनका दबदबा बन रहा हैं, ये उसी दल को ठेंगा दिखा रहे हैं, पर इन्हें ज्ञान नहीं हो रहा।

अगर ये स्थिति इसी प्रकार चलती रही तो पूरे देश में भारत के अंदर ही पाकिस्तान जैसी हाल हिन्दूओं और अन्य धर्मावलम्बियों की हो जायेगी, फिर ये हिन्दू, सिक्ख व ईसाई किस देश में जाकर रहेंगे, ये यक्ष प्रश्न सामने आ गया है, शरजिल इमाम जैसों की सोच सबके सामने हैं। इसलिए स्थिति बिगड़े, इसे नियंत्रण में रखना ही होगा और जो लोग ऐसे लोगों को बढ़ावा देते हैं, वे कितने भी ताकतवर क्यों न हो, इन पर कानून का शिकंजा कसना होगा, तभी भारत में सही मायनों में धर्मनिरपेक्षता बची रहेगी।