अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर राजनीति करनेवालों थोड़ा शर्म करो, दूसरे को दोष देने के पहले अपना दीदा देखो

अटल बिहारी वाजपेयी या किसी भी नेता या महापुरुष को कोई अपमान कर ही नहीं सकता, न किसी की ताकत है कि वो किसी का अपमान कर दें। आपके लिए या किसी पार्टी के लिए कोई भी नेता युगपुरुष हो सकता है, पर वो ही नेता सभी पार्टियों के लिए युगपुरुष हो जाये, ऐसा संभव नहीं, क्योंकि हर दल का कार्यकर्ता या उसका समर्थक अपने नेता में केवल खूबियां ही देखता है, उसके अंदर की कमियां नहीं देखता।

यही परम सत्य है, इसको कोई चुनौती नहीं दे सकता। निःसंदेह अटल बिहारी वाजपेयी में बहुत सारी खुबियां थी, उनका झारखण्ड बनाने में बहुत बड़ा योगदान था, पर यह भी सत्य है कि उनके शासनकाल में ऐसी भी कई गड़बड़ियां हुई, जिसे देश कभी भूल नहीं सकता अटल बिहारी वाजपेयी के ही शासनकाल में कंधार विमान अपहरण कांड हुआ था, जिस कांड में पांच पाकिस्तानी आतंकवादियों को छोड़ा गया, जिसका दंश आज भी यह देश झेल रहा है।

अटल जी के शासनकाल में ही संसद पर आंतकियों ने हमलाकर देश को चुनौती दी, पर देश इसका बदला नहीं ले सका, देश की सेना सीमाओं तक पहुंची और बिना लड़े ही अपने घर को लौट गई, जबकि लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के समय में पाकिस्तान को सबक सिखाया गया। अटल जी के ही शासनकाल में करगिल, बटालिक व द्रास तक पाकिस्तानी सैनिक घुस गये और अपने ही क्षेत्र को वापस लेने में पांच सौ से ज्यादा वीर सैनिक हमारे वीरगति को प्राप्त हुए। अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में ही एक निवेश मंत्रालय खोल दिया गया, जिसका परिणाम सबके सामने है।

अटल जी ने अपने जैसे सांसदों व विधायकों के लिए दिल खोलकर काम किये, सभी के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम जारी रखा, पर भारत की सीमाओं की रक्षा करने में जुटे सशस्त्र सीमा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, असम रायफल्स, सशस्त्र सीमा बल, भारतीय औद्योगिक सुरक्षा बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों को न्यू पेंशन स्कीम में झोंक दिया। यही नहीं देश के अन्य केन्द्रीय अधिकारी व कर्मचारियों को भी इन्होंने उनके सेवाकाल के बाद मरने पर विवश कर दिया।

सवाल तो उठता ही है कि जब दूसरों के लिए न्यू पेंशन स्कीम तो अटलजी जैसे युगपुरुष होने वाले लोगों के लिए न्यू पेंशन स्कीम की व्यवस्था उन्होंने क्यों नहीं लागू की? इसलिए मैं कहता हूं कि आपके लिए वाजपेयी महान नेता हो सकते हैं, भारत रत्न हो सकते हैं, सभी के लिए ऐसा ही हो, ऐसा संभव नहीं, और न ही जबर्दस्ती आप मनवा ही सकते हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी की इस नई पेंशन व्यवस्था के खिलाफ आज भी देश के कई राज्यों में लोगों को संघर्ष करते हुए देखा जा सकता है और लोग अटल बिहारी वाजपेयी को इसके लिए माफ करने के मूड में नहीं। आज भी सीमाओं पर मरनेवाले सीमा सुरक्षा बल,सशस्त्र सीमा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों के परिवार वाजपेयी को इसके लिए जी भरकर बद्दुआएँ देते हैं, अगर जानकारी नहीं हैं तो जाकर उन जवानों के घर जाकर देखिये, पूछिए पता चल जायेगा।

अब बात भाजपाइयों के द्वारा की गई आज की नौटंकियों की। आज भाजपा से जुड़े गिनती के पांच लोग, जो झारखण्ड विधानसभा से फिलहाल किसी भी रुप में जुड़े नहीं हैं। विधानसभा भवन परिसर में लगे वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने गये थे, इन्हें वाजपेयी की प्रतिमा तक जाने की अनुमति नहीं मिली, लीजिये इन्हें मौका मिल गया, चिल्लाने का। चिल्लाने लगे।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कह दिया कि राज्य सरकार के इशारे पर अटल बिहारी वाजपेयी का अपमान हो गया। जनाब दीपक ने खुब अनाप-शनाप बोला। कह दिया कि हेमन्त सरकार सत्ता मद में डूब चुकी है कि इन्हें अब सामान्य मर्यादा का भी आभास नहीं। दीपक प्रकाश ने यह भी कहा कि राज्य सरकार या विधानसभा सचिवालय द्वारा श्रद्धाजंलि अर्पित नहीं किया जाना बताता है कि सरकार की नीति और नीयत कैसी है?

समीर उरांव ने कह दिया संसद या विधानसभा परिसर में जो प्रतिमाएं या तस्वीर लगी होती है उसका सम्मान सरकार और सदन का नैतिक दायित्व है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि आज श्रद्धेय अटल जी की दूसरी पुण्यतिथि है। झारखंड विधानसभा परिसर में उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित है। परंतु उनके प्रतिमा पर सभा सचिवालय या सरकार के द्वारा कोई श्रद्धाजंलि अर्पित नही की गई।

इस बात में दम भी है, हम भी स्वीकार करते है, ऐसा होना चाहिए, पर यह एक मानवीय भूल भी हो सकती है, ठीक उसी प्रकार, जैसे समीर उरांव के साथ गये भाजपा के चार लोग दोपहर के डेढ़ बजे विधानसभा परिसर पहुंच गये और वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की जिद करने लगे। जरा समीर उरांव बता सकते है कि उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अटल बिहारी वाजपेयी के दिल्ली स्थित समाधि स्थल पर कितने बजे गये थे? जरा पता लगा लेते, तो अच्छा रहता।

और जो पांच लोग गये थे, उनमें नेता विरोधी दल के लिए लड़ाई लड़ रहे बाबू लाल मरांडी क्यों नहीं थे? क्या उन्हें नहीं पता कि आज वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि है, वे वहां क्यों नहीं पहुंचे? या भाजपा के दो दर्जन से ज्यादा विधायकों में से कोई विधायक वहां क्यों नहीं पहुंचा? इसका जवाब भाजपा के पास है क्या? जब आप विधानसभा सचिवालय और राज्य सरकार पर अंगूलियां उठायेंगे तो यह पूछा ही जायेगा कि भाजपा के वे विधायक या वे नेता क्यों नहीं आज विधानसभा परिसर में दिखे, जिन्हें वाजपेयी से बहुत अधिक प्रेम था, और जो झारखण्ड विधानसभा से जुड़े हैं।

विधानसभा किसी पार्टी का नहीं होता, यह भाजपा नेताओं को तो मालूम होना ही चाहिए, यह विधानसभा से जुड़े जनप्रतिनिधियों के लिए होता है, ये कोई ठंडी सड़क नहीं है, कि जो पाया माला लेकर पहुंच गया, विधानसभाध्यक्ष या विधानसभा सचिव को फोन लगा दिया, कि हम आये हैं, हमें विधानसभा परिसर में घुसने दीजिये।

आदित्य साहू आपके लिए बड़े नेता हो सकते हैं, पर क्या बता सकते है कि आदित्य साहू या आपका मीडिया प्रभारी किस विधानसभा से विधायक है? जो वहां आपके साथ पहुंच गये, वो भी विधानसभा परिसर में रविवार के दिन वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने, भाई आपको इतना ही वाजपेयी से प्रेम हैं तो घर पर माल्यार्पण करिये, ठीक वैसे ही जैसे तीन लोग भाजपा कार्यालय में जाकर वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दिया, देखिये ये आपही लोग है न, बड़ी शान से भाजपा कार्यालय में वाजपेयी की प्रतिमा पर फूल डालकर, ये फोटो सोशल साइट पर डाल दिया। ठीक से देखियेगा, आपही लोगों का चेहरा है।

इधर एक प्रकार से झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे और राजेश गुप्ता छोटू ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर माल्यार्पण के मुद्दे को लेकर भाजपा नेताओं द्वारा की जा रही संकीर्ण राजनीति को दुर्भाग्यपूर्ण करार देकर, ठीक ही किया है, क्योंकि इस पर राजनीति होनी ही नहीं चाहिए थी। सच पूछा जाये तो कुछ दिनों के बाद जब केन्द्र में भाजपा की सत्ता नहीं रहेगी तो खुद ये भाजपाई ही अपने नेता अटल बिहारी वाजपेयी को भूल जायेंगे, ठीक उसी प्रकार जैसे लाल कृष्ण आडवाणी और डा. मुरली मनोहर जोशी को ये भूल गये। 

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर साफ कहा कि आज भाजपा नेताओं की घटिया मानसिकता के कारण राजनीति का स्तर निरंतर गिरता जा रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं का यह आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है कि राज्य सरकार की ओर से वाजपेयी की पुण्यतिथि की अनदेखी गयी, जबकि हकीकत यह है कि भाजपा के कई नेताओं के पहले खुद गठबंधन सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर अटल बिहारी वाजपेयी को नमन किया, जिसके बाद कुछ भाजपा नेताओं को यह याद आया कि नये विधानसभा भवन में स्थापित वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाना चाहिए।

जिसके बाद भाजपा की ओर से कुत्सित राजनीति का खेल शुरु हुआ और विधानसभा सचिव को यह सूचना दी कि वाजपेयी की पुण्यतिथि पर माल्यार्पण करने के लिए आवश्यक तैयारी की जाए, जबकि कोरोना संक्रमणकाल और रविवार के कारण अवकाश होने के कारण सचिव की ओर से सिर्फ इतना ही कहा गया कि यदि पहले ही इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया जाता, तो सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए सभा सचिवालय द्वारा सभी आवश्यक तैयारियां समय रहते पूरी कर ली जाती। 

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक.दूबे एवं राजेश गुप्ता ने ठीक ही कहा कि भाजपा नेताओं को हर मुद्दे पर राजनीति करने की आदत सी पड़ गयी है, यही कारण वे अपने निजी स्वार्थ में वाजपेयी जैसे शख्सियत के नाम पर भी घटिया राजनीति करने से बाज नहीं आते है। उन्होंने कहा कि जब कोरोना संक्रमण काल में भाजपा नेता अपने घर में रहकर धरना और उपवास कर सकते हैं, तो अपने प्रिय नेता को घर में ही रहकर क्यों नहीं याद कर सकते हैं, ऐसा वे इसलिए नहीं करना चाहते है, इससे उनके राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति नहीं होती है।