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धौनी ने की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा, झारखण्डियों के दिल टूटे, हेमन्त ने BCCI से फेयरवेल मैच रांची में कराने की अपील की

झारखण्ड के लाल महेन्द्र सिंह धौनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा क्या कर दी, उनके चाहनेवालों को बहुत बड़ा धक्का लगा, पर किया ही क्या जा सकता है? जब आप किसी पद को ग्रहण करते हैं, तो उसी दिन यह भी सुनिश्चित हो जाता है कि आपको आनेवाले समय में नये भविष्य के लिए, जहां आप है, उसे एक न एक दिन छोड़ना ही है।

यही जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई है, क्योंकि फिर नया कल इसी क्रम के कारण ही निरन्तर हमें दिखाई पड़ता है, जब तक महेन्द्र सिंह धौनी अपनी जगह को खाली नहीं करेंगे, तब तक क्रिकेट में एक नया उदीयमान नक्षत्र कैसे दिखाई पड़ेगा? शायद यही कारण रहा होगा कि महेन्द्र सिंह धौनी ने खुद को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अलग करने के लिए संन्यास की घोषणा कर दी।

भारतीय स्वतंत्रता दिवस की 74 वीं वर्षगांठ पर उनका लिया गया यह निर्णय न्यायोचित भी है, साथ ही एक नये भविष्य की ओर संकेत भी। महेन्द्र सिंह धौनी भले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से खुद को अलग कर दिये हो, पर हमें नहीं लगता कि वे क्रिकेट को सदा के लिए छोड़ देंगे, क्योंकि उनके लिए क्रिकेट मात्र एक खेल ही नहीं, बल्कि जीने का एक अंदाज है, और वे उसे अन्य आनेवाले क्रिकेटरों के लिए अवश्य ही जिन्दा रखेंगे।

महेन्द्र सिंह धौनी को ज्यादातर भारतीय, इस रुप में भी लेते है कि एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार में रहकर भी ऊचाइयों तक पहुंचा जा सकता है, अपने सपनों को पूरा किया जा सकता है। रांची में कई ऐसे युवा है, जो उनके इस बात के लिए फैंस है कि एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लेकर, लाख झंझावातों को सहकर, महेन्द्र सिंह धौनी ने अपना अलग मुकाम बनाया और उन्होंने वहां तक पहुंचकर भी अपने मित्रों को भूला नहीं, रांची को भूला नहीं, उन जगहों को भूला नहीं, जिन जगहों ने उन्हें इतिहास बनाने के रास्ते दिखाये।

शायद यही कारण रहा कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने महेन्द्र सिंह धौनी के लिए एक फेयरवेल मैच कराने की बीसीसीआइ से अपील कर दी तथा उसकी मेजबानी करने की भी स्वयं घोषणा की। जरा देखिये मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का उद्गार –

“देश और झारखण्ड को गर्व और उत्साह के अनेक क्षण देनेवाले माही ने आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। हम सबके चहेते झारखण्ड के लाल माही को नीली जर्सी पहने नहीं देख पायेंगे, पर देशवासियों का दिल अभी भरा नहीं। मैं मानता हूं, हमारा माही का एक फेयरवेल मैच रांची में हो, जिसका गवाह पूरा विश्व बनेगा। बीसीसीआइ से अपील करना चाहूंगा, माही का एक फेयरवेल मैच कराया जाये, जिसकी मेजबानी पूरा झारखण्ड करेगा।”