राजनीति

2020 में ही लोहरदगा में बांगलादेशी घुसपैठिए व रोहिंग्या मुसलमानों के आने से सबंधित रिपोर्ट स्पेशल ब्रांच के DSP ने ADG को दी थी – दीपक

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने एसडीओ की जांच रिपोर्ट में लोहरदगा हिंसा मामले में स्लीपर सेल की आई खास भूमिका को लेकर झारखंड सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। श्री प्रकाश ने कहा कि इस रिपोर्ट ने एक बार फिर प्रमाणित कर दिया है कि हेमंत सरकार के कार्यकाल में देश विरोधी ताकतें झारखंड में सक्रिय हुई है। यह भी साफ है कि कहीं ना कहीं से इन्हें जमकर राजनीतिक खाद-पानी भी मुहैया कराया जा रहा है जो दुखद है।

श्री प्रकाश ने कहा कि यह बड़ा मामला है। साथ ही प्रदेश के आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था से भी जुड़ा मामला है। स्लीपर सेल के मंसूबे किस हद तक खतरनाक हैं, उनका पूरा मंसूबा क्या है, इसके पीछे और कौन नकाबपोश चेहरे हैं, सारी चीजों का खुलासा करने की क्षमता और नीयत राज्य सरकार में दूर-दूर तक नहीं दिखती। इसलिए इस मामले की उच्चस्तरीय जांच आवश्यक है।

कितनी आश्चर्य की बात है कि स्लीपर सेल लोहरदगा के इलाके में पिछले दो वर्षों से सक्रिय है और बीते 6 माह से रामनवमी में उपद्रव के लिए हिरही गांव में योजनाबद्ध तरीके से संदिग्ध गतिविधियां चला रहा है परंतु सरकार की एजेंसी कुंभकर्णी निंद्रा में सोई हुई है। श्री प्रकाश ने कहा कि लोहरदगा इलाके में घुसपैठिए की बात आए दिन सामने आती रही है।

यहां बांग्लादेशी घुसपैठिए काफी संख्या में बसे हुए हैं। 2020 में कोरोना काल में भी स्पेशल ब्रांच के डीएसपी ने लोहरदगा में बांग्लादेशी घुसपैठिए व रोहिंग्या मुसलमान के आने के संबंध में एडीजी को रिपोर्ट किया था। रिपोर्ट में इस इलाके के विभिन्न स्थानों के 13 लोगों पर बांग्लादेशी घुसपैठिए व रोहिंग्या मुसलमान को संरक्षण देने की बात भी कही गई थी।

विडंबना देखिए, विशेष शाखा की वह जांच रिपोर्ट ही लीक हो गई और आरोपियों के हाथों तक पहुंच गई। अब ऐसे में इस सरकार से ऐसे मामलों में कठोर और निष्पक्ष कार्रवाई की उम्मीद कैसे की जा सकती है। इतना ही नहीं फिर कांग्रेस के एक वरीय मंत्री के हस्तक्षेप से रिपोर्ट तैयार करने वाले डीएसपी का ही तबादला कर दिया गया। उस रिपोर्ट का क्या हुआ और उस मामले की जांच कहां तक पहुंची, सरकार को बतानी चाहिए।

श्री प्रकाश ने कहा कि मार्च 2020 में झारखंड सरकार के ही मंत्री आलमगीर आलम ने रांची जिला प्रशासन पर दबाव बनाकर देशव्यापी लॉकडाउन के बीच 600 लोगों को 11 बसों से रांची से बाहर कोडरमा, पाकुड़, साहिबगंज आदि स्थानों पर भेजकर खुलेआम कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने का काम किया। यह बतलाने की जरूरत नहीं कि इसमें अधिकांश लोग बांग्लादेशी थे।

उन्होंने कहा कि यह तब किया गया जब राज्य की सीमाएं सील थी, जनता बंद का गंभीरता से पालन कर रही थी, ऐसे में सारे नियमों को ताक पर रखकर मंत्री का प्रेम ऐसे लोगों के लिए उमड़ना सारी चीजों को स्पष्ट करता है। लिहाजा उपरोक्त सभी मामलों को जोड़ते हुए भाजपा इसकी उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कारवाई की मांग दुहराती है।