IAS को पानी पिलानेवाला मंत्री रणधीर सिंह और IAS से कांपनेवाला रांची का अखबार प्रभात खबर

रघुवर सरकार में शामिल एक मंत्री, नाम रणधीर सिंह, भरी सभा में बतकही के दौरान कहता है कि वह अपना विभाग दबंगई से चलाता है, तथा आइएएस को हड़का कर रखता है, प्रभात खबर इस समाचार को प्रमुखता से छापता है, पर उस आइएएस का नाम नहीं छापता, जिस आइएएस के बारे में उक्त मंत्री ने बातें कहीं, जबकि खुद अखबार लिखता है कि मंत्री ने उस आइएएस के नाम लेकर बात कही थी कि “हमलोग अपना विभाग दबंगई से चलाते हैं और हमारे हिसाब से सारे आइएएस को हड़का कर रखते हैं, मंत्री एक आइएएस का नाम लेते हुए कहते हैं, बाप-बाप करा दिये थे, पकड़ कर लाये, पानी उतार दिये थे ना, ई नहीं रहता, तो पानी उतार दिये थे।”

कमाल है, मंत्री उस आइएएस का पानी उतार देता है, और प्रभात खबर उस आइएएस से इतना डरता है, इतना भय खाता है, कि उसका नाम नहीं देता, जबकि वह इसी समाचार में कई अन्य प्रशासनिक अधिकारियों का खुलकर नाम छापा है, अब सवाल उठता है कि अन्य प्रशासनिक अधिकारियों का नाम देते हुए तुम्हें डर नहीं लगा, पर आइएएस के नाम देने में तुम्हारे पसीने क्यों छूट गये? प्रभात खबर तुम्हें यह स्पष्ट करना चाहिए।

हमें तो लगता है कि प्रभात खबर को लगा होगा कि अन्य प्रशासनिक अधिकारियों का कोई सम्मान नहीं होता, पर आइएएस का बहुत बड़ा सम्मान होता है, वह जैसे-जैसे ऊंचे पद पर पहुंचेगा, अखबार और उसके द्वारा संचालित अन्य कार्यों को प्रभावित कर सकता है, और बाकी प्रशासनिक अधिकारियों की औकात क्या?

एक बात और, स्वयं अखबार लिखता है कि ये सारी बातें इफ्तार पार्टी में बतकही और हंसी-ठिठोली में कही जा रही थी, तो अब कोई ये बताएं कि हंसी-ठिठोली और सामान्य वार्तालाप में की गई बातें जो अनौपचारिक होती है, वह भी समाचार बन जायेंगी, अगर ऐसा है तो ये एक गलत परंपरा की शुरुआत होगी। ऐसे भी अखबारों में काम करनेवाले रिपोर्टर हो या प्रधान संपादक कोई दूध के धुले नहीं हैं, वे भी जब अनौपचारिक बातें करते है, तो कहां तक पहुंचते हैं, वह किसी से छुपा नहीं है, और ये खासकर प्रभात खबर में काम करनेवाले लोग कितने शिष्ट होते है, वह किसी से छुपा नहीं हैं, इनके बारे में तो हम अपने विद्रोही 24. ब्लाग्स्पॉट डॉट इन में कई बार लिख चुके है, जिसे देखा जा सकता हैं, ये लोग तो भारत के मानचित्र तक से खेल जाते हैं, अमर शहीद अलबर्ट एक्का की कथित मिट्टी को प्लास्टिक के थैले में मंगवा लेते है, जिसे स्वयं अलबर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का उसे शहीदी मिट्टी मानने से इनकार कर देती है, जो प्रमाणित भी हो चुका है, प्रमाण है मेरे पास, हमारे पास आकर कोई भी देख सकता है।

ऐसे ये कृषि मंत्री कितने महान है? वो कौन नहीं जानता, वे अपने बड़बोलेपन के लिए, अपनी हरकतों के लिए ही तो जाने जाते है, ये वहीं मंत्री है, जो एक सभा में अपने लोगों के बीच में यह कह दिया था कि “कि भाजपा वाले अब उन्हें तेल लगाने आयेंगे, वे तेल लगाने किसी को नहीं जायेंगे।” और ये बातें सिद्ध भी हुई इस बयान पर किसी भाजपा के बड़े नेता ने संज्ञान नहीं लिया और न कार्रवाई की, सभी कृषि मंत्री को तेल लगाने के लिए तैयार हो गये, जबकि इसी भाजपा में एक मामूली बात के लिए एक भाजपा नेत्री सीमा शर्मा को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

ये वहीं कृषि मंत्री हैं, जो एक सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज का प्रभात खबर के ही एक कार्यक्रम में अपमानित किया था, और इसी अखबार ने इस समाचार को प्रकाशित करने से इनकार किया था, ये हैं इनकी पत्रकारिता और ये हैं इनका उद्देश्य, हद हो गई, और अब एक नया बयान कि वह अपने विभाग को दबंगई से चलाता है, आइएएस को हड़का कर रखता है, मंत्री जी खुब हड़काइये, पानी उतारिये, पर कब तक, जब तक आप विधायक हैं तभी तक, अभी आप खुब मंत्री बनने का परमानन्द लीजिये, लेकिन याद रखिये 2019 के चुनाव में आप विधानसभा तो नहीं ही पहुंच पायेंगे, क्योंकि हमने देखा है कि झारखण्ड की जनता, ऐसे विधायकों को खुब सबक सिखाती है, जो बड़बोले और बदतमीज होते है, ऐसे कई उदाहरण आपके आस-पास भरे-पड़े हैं, इसलिए एक साल वक्त है, सुधरिये, नहीं तो जनता व्याकुल है, आपको सुधारने के लिए।