काश, CM रघुवर का ये संस्कार बोल-चाल में भी दीखता, तो झारखण्ड का सम्मान भी बढ़ता…

बहुत दिनों के बाद कुछ अच्छी फोटो मुख्यमंत्री रघुवर दास के सोशल साइट पर दिखी है, मुख्यमंत्री रघुवर दास झारखण्ड में दिशोम गुरु के नाम से विख्यात शिबू सोरेन का पांव छू रहे हैं, बगल में नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन से कुछ गुफ्तगू भी कर रहे हैं, तो कही एक साथ भोजन भी कर रहे हैं। सचमुच लोकतंत्र में इस प्रकार की फोटो हमारी देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं में चार-चांद लगा देती है, पर वो कहा जाता हैं न हाथी के दांत दिखाने के कुछ और, और खाने के कुछ और…

जनाब मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ भी ये लोकोक्ति फिट बैठती हैं, चूंकि ये चित्र शोकाकुल वातावरण से संबंधित है, तो जनाब उसी अंदाज में पेश आ रहे हैं, पर जैसे ही ये जनता के बीच पहुंचते हैं या सदन में होते हैं तो इनके अंदाजे बयां कुछ और ही हो जाती है, जनाब तो मुंह से पता नहीं, क्या-क्या निकालने लगते हैं, हाल ही में दुमका में जन चौपाल के दौरान जनाबे आली ने भाषण के दौरान आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग कर दिया, पर ये आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग किस नेता के लिए किया, उन्हें पता तक नहीं था, अपने पार्टी के नेताओं के लिए किया या दूसरे दल के नेताओं के लिए किया, समझ में ही नहीं आया।

कभी ये सदन में भी विपक्ष के लिए आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग कर चुके हैं, यहीं नहीं जनाब पिछले वर्ष गढ़वा में ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ भी अल-बल बोल चुके है, हाल ही में जब विधानसभा के उपचुनाव हुए तो जनाब पूरे झारखण्ड को झामुमो मुक्त बनाने की बात कर रहे थे, जैसे इनके सर्वेसर्वा नरेन्द्र मोदी हर बात में ही देश को कांग्रेस मुक्त बनाने की बात करते रहे है, ये अलग बात है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की विधानसभा चुनाव में जनता ने इस जाड़े के दिनों में जनाब को पसीने छुड़ा दिये है।

अभी भी इनके सोशल साइट देखें तो शिबू सोरेन और हेमन्त सोरेन के बारे में इनकी सोशल साइट आग ही उगलती है, जरा देखिये दो दिन पूर्व 4 दिसम्बर को जनाब क्या कह रहे हैं – “हेमन्त सोरेन क्या जाने गरीबी का दर्द। वंशवाद-परिवारवाद के नाम पर नेता बन गए। कभी गरीबी देखी हैं, क्या वो जानते है कि आदिवासी किस पीड़ा में गांव में रह रहा है। ऐसे नेताओं से बचिए, संथाल परगना को झारखण्ड मुक्ति मोर्चा मुक्त संथाल परगना बनाना है। संथाल परगना में झामुमो ने बिचौलिया का जाल बिछा दिया था। गरीबों को ठग कर ये विचौलिये विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न कर रहे थे।”

मुख्यमंत्री रघुवर दास तो झामुमो, शिबू सोरेन, हेमन्त सोरेन को कोसने में ये भूल जाते है कि वे  बक क्या रहे हैं, जरा देखिये 4 दिसम्बर को ही ये फेसबुक पर क्या लिख रहे हैं, “आदिवासी के नाम पर राजनीति करनेवालों के पास राजाओं जैसे बंगले हैं, कांग्रेस, जेएमएम और आरजेडी ने मिलकर 14 साल तक झारखण्ड को लूटा, हजारों करोड़ का घोटाला किया, इतना पैसा कहां से आया, इसका हिसाब जनता को देना होगा।”

अब इस निराले मुख्यमंत्री को कौन बताए कि जनाब हाल ही के दिनों में, पिछले महीने की 15 नवम्बर को, झारखण्ड का 18वां स्थापना दिवस मनाया, जिसमें सभी जानते है कि यहां सर्वाधिक भाजपा और उससे संबंधित लोगों का ही शासन रहा, ऐसे में ये झामुमो, राजद और कांग्रेस के लोग 14 साल तक कैसे लूटते रहें? क्या बाबू लाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, और खुद स्वयं यानी रघुवर दास भी जेएमएम, कांग्रेस या आरजेडी से थे? 

जनाब तो झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के चरित्र पर सवाल उठाने से भी गुरेज नहीं करते, जरा देखिए एक बार फिर इन्होंने झामुमो के चरित्र पर सवाल उठा दिया हैं, जरा 4 दिसम्बर के इनके सोशल साइट देखिये, जिसमें वे लिख रहे हैं कि “झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का चरित्र देखिये 14 सालों में उन्होंने विकास के नाम पर सिर्फ आपकी जमीन लूटने का काम किया है,” जबकि पूरा झारखण्ड जानता है कि जेएमएम गिने-चुने साल ही शासन किया और यहां सर्वाधिक शासन भाजपा का रहा।

फिर भी जरा देखिये, इनके आंखों में पानी नहीं हैं, जनाब चलनी दूसे सुप के जिन्हें बहत्तर छेद, वाली कहावत चरितार्थ करने में लगे हैं, पर आज वे गुरुजी के चरण छूते ही नजर नहीं आये, बड़े गर्व के साथ इन्होंने अपने सोशल साइट पर प्रस्तुत भी किया, कहीं ऐसा तो नहीं कि जनाब गुरुजी के पांव छूकर, ये कहना चाह रहे हो कि आनेवाले विधानसभा चुनाव में झामुमो को जो बहुमत मिलने जा रहा हैं, उसमें सबसे बड़ी भूमिका उन्हीं की यानी रघुवर दास की है, इसलिए सत्ता मिलने पर, उनका आशीर्वाद उन पर बरकरार रहना चाहिए क्योंकि हेमन्त सोरेन ने तो पहले ही कह दिया है कि जब उन्हें सत्ता मिलेगी तो वे रघुवर के कार्यकाल में उड़ाये जानेवाले हाथी की विशेष जांच करवायेंगे।