अपनी बात

कहीं CM रघुवर को लेने के देने न पड़ जाये, 86 बस्ती के लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर

विगत दिनों संवेदनहीन झारखण्ड सरकार द्वारा जमशेदपुर के वैकुंठनगर एवं कृष्णानगर में जिस प्रकार अपने ही देश के नागरिकों को पहले मालिकाना हक देने का ख्वाब दिखाकर, उसके बाद उन्हीं लोगों के घर पर बुलडोजर चलाकर, बेरहमी से घरों को तोड़ा गया, उससे जमशेदपुर के 86 बस्ती में रहनेवाले लोग आंतक के साये में जीने को विवश है, हम आपको बता दे कि ये सारा इलाका मुख्यमंत्री रघुवर दास का विधानसभा क्षेत्र है। घरों को तोड़ दिये जाने से महिलाएं व बच्चे ठीक से जीवन-बसर नहीं कर रहे हैं, पर मुख्यमंत्री रघुवर दास को इनसे कोई मतलब नहीं।

इधर घर बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले कई सामाजिक कार्यकर्ताओं व विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने, हजारों प्रभावित परिवार के साथ उपायुक्त कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया तथा राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास की कड़ी आलोचना की। घर बचाओं संघर्ष समिति का कहना था एक और सरकार के द्वारा कॉरपोरेट घरानों को कई गलत कदमों में प्रोत्साहन दिया जा रहा है, तो दूसरी तरफ गरीबों के घर पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। सरकार बताएं कि यह सरकार उनके लिए हैं, या पूंजीपतियों के लिए बनी है। संघर्ष समिति का कहना था कि अगर आज 86 बस्ती के लोगों ने सरकारी जमीन पर अपना आशियाना बनाया तो वे गुनहगार हो गये, इसमें बसने के हकदार नहीं हैं, तो सबसे ज्यादा गलत तो वे हुए, जिन्होंने ऐसा करने का प्रोत्साहन दिया तथा सरकारी सुविधाएं बहाल की।

इनका कहना था कि वैंकुठ नगर के निवासियों ने रातोंरात मकान तो खड़ा नहीं किया था, तो फिर जिन जन प्रतिनिधियों ने उनके आशियाने बनवाने से लेकर सरकारी सुविधा बहाल कराई, क्या वे इसके लिए दोषी नहीं है, उन्हें सजा क्यों नहीं दिया जा रहा? आखिर जब ये बस्ती बस रही थी, तो यहां के प्रशासनिक अधिकारी, अंचल अधिकारी, जन प्रतिनिधि, पुलिस पदाधिकारी क्या करते थे? यहां का बिजली विभाग किसके कहने पर वहां तक बिजली का खंभा दौड़ा दिया था?

अपना आशियाना खो चुके, ठंड में ठिठुरते हजारों नागरिकों ने एक बार फिर सड़क पर उतरकर अपना आक्रोश व्यक्त किया तथा मुख्यमंत्री रघुवर दास की कड़ी आलोचना की। झाविमो नेता अभय सिंह और कांग्रेस पार्टी के नेता आनन्द बिहारी दूबे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग उपायुक्त कार्यालय तक पहुंच गये। हम आपको बता दे कि कुछ दिन पहले ही अपने टूटे आशियाने को लेकर, ये सारे लोग सीएम के आवास का घेराव करने पहुंच गये थे, जिसमें सीएम के आप्त सचिव मनिन्द्र चौधऱी ने कहा था कि सीएम ने घर नहीं बल्कि चाहरदिवारी तोड़ने के आदेश दिये थे, तो फिर सवाल यहीं आता है कि इनके घर कैसे टूट गये, किसने तुड़वाया?

जेवीएम नेता अभय सिंह तो साफ कहते है कि टाटा लीज एरिया के शेड्यूल वन के तहत एक तरफ नियमो को ताक पर रखकर करोड़ों-अरबों के राजस्व का नुकसान कर बड़े-बड़े मॉल बनाने के लिए एनओसी दी जा रही हैं तो दूसरी तरफ शिड्यूल वन की बस्तियों को पीएम आवास के नाम पर तोड़ा जा रहा हैं, जेवीएम नेता तो यह भी कहते है कि कल तक 86 बस्तियों की रक्षा का दंभ भरनेवाले, उन्हें मालिकाना हक दिलाने की बात कहनेवाले, यहीं से जीतकर मुख्यमंत्री बननेवाले आज इस मुद्दे पर चुप क्यों बैठे है?