अपनी बात

अरे भाई ध्यान देना, कही राहुल गांधी ने भाजपा और नरेन्द्र मोदी के प्रचार का जिम्मा तो नहीं संभाल लिया!

हमें तो साफ लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा और नरेन्द्र मोदी के प्रचार का जिम्मा संभाल लिया है, क्योंकि जिस प्रकार से उनका बयान रहा है, वह बयान बता रहा है कि वे आपे से बाहर हो रहे हैं और क्रोध में आकर, वह सब अनापशनाप बक दे रहे हैं, जिसकी कल्पना कम से कम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष से तो नहीं की जा सकती।

पूर्व में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जनेऊ, रुद्राक्ष, पीताम्बरी, माथे पर त्रिपुंड लेकर घुमते रहे, विभिन्न मंदिरों में महंतों, पुजारियों, शंकराचार्यों के आगे मत्था टेकते राहुल गांधी आजकल हिन्दू धर्म पर प्रवचन दिये जा रहे हैं, पर वे भूल रहे कि जिस हिन्दू धर्म की दुहाई दे रहे हैं, उस हिन्दू धर्म में अपने विरोधियों के लिए शिष्ट भाषा के प्रयोग की भी सलाह दी गई है।

जरा राहुल गांधी की शिष्टता देखिये, वे कह क्या रहे हैं? वे अपने घुर विरोधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ शुक्रवार को महाराष्ट्र के चंद्रपुर में कहते हैं कि मोदी जी ने अपने गुरु आडवाणी को जूता मारकर स्टेज से उतार दिया, और आज क्या कह दिया, हरिद्वार में उन्होंने कह दिया कि मोदी आडवाणी को लात मारकर उतारा।

अब सवाल उठता है कि राहुल गांधी जी, आप जिस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, आप कौन सा लालकृष्ण आडवाणी का आरती उतार रहे हैं, क्या इस भाषा से आडवाणी जी को आप सम्मान दे रहे हैं, अपना वोट बढ़वा रहे है कि आप अपनी काबिलियत जनता के सामने दिखा रहे हैं, क्या आपको नहीं पता कि आपके पार्टी के अंदर मणिशंकर अय्यर जैसे लोग, इसी प्रकार का बयान दिया करते थे। 

जिस बयान के कारण आप गुजरात में सत्ता में आतेआते रह गये, आपकी यह भाषा भी आपको केन्द्र में सत्ता में आने से रोकने का सबब बन जायेगी, शायद आप नहीं समझ रहे, क्योंकि भारत का मतदाता, सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है, यहां तक की आपके पार्टी के द्वारा किये गये बोफोर्स घोटाले को भूल सकता है पर आपके अमर्यादित भाषा को नहीं भूल सकता।

आप जिस प्रकार की आपत्तिजनक भाषा लालकृष्ण आडवाणी के लिए प्रयोग कर रहे हैं, आपको नहीं पता कि आप लाल कृष्ण आडवाणी और उनके प्रशंसकों को कितना दर्द दे रहे हैं, आपको तो यह भी नहीं पता कि पीएम नरेन्द्र मोदी, लाल कृष्ण आडवाणी को कितना चाहते है, क्या लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता ने आपको अपने घर बुलाकर या आपके घर जाकर आपको अपना दर्द सुनाया था, कि पीएम मोदी ने उनके साथ ऐसावैसा किया? क्या आपके पास भाषण देने के लिए भाषा या शब्द के टोटे पड़ गये?

क्या आपके पास जनता को बताने के लिए या सरकार को घेरने के लिए और कुछ नहीं, अगर कुछ नहीं तो समझ लीजिये, आप और आपकी पार्टी गई काम सेतथा जीती हुई बाजी हार गये, भाजपा को आपने 2019 में खुद से प्रतिस्थापित कर दिया, क्योंकि जिस प्रकार से वायनाड में आपने सांप्रदायिकता के आगे सर झूकाया, आपका उत्तर भारत का किया गया कर्मकांड धूल में मिल गया, आपने पूरे चुनाव को ही हिंदूमुस्लिम और मोदी में कन्वर्ट कर दिया, आप तो चले थे, कुल मिलाकर ठीक तरह से, पर ऐन मौके पर आपने अपना राजनैतिक धैर्य खो दिया।

आपके इस घटियास्तर के जारी वक्तव्य पर सुषमा स्वराज का दिया गया धीरगंभीर वक्तव्य भारी पड़ रहा है, समझने की कोशिश कीजियेगा। सुषमा स्वराज ने ठीक ही कहा कि आडवाणी जी हमारे पिता तुल्य है, आपके बयान ने हमें बहुत आहत किया है, कृपया भाषा की मर्यादा रखने की कोशिश करें। ये बयान सुषमा स्वराज के ही सिर्फ नहीं, बल्कि उन सारे लोगों के हैं, जो राजनीति में भी शुचिता शुद्धता पसन्द करते हैं। 

याद रखियेगा नरेन्द्र मोदी को आज पीएम पद पर जिसने पहुंचाया, वह और कोई नहीं शब्द ही हैं, कई लोगों ने पीएम मोदी को अपने शब्दों से नीचा दिखाने की कोशिश की और वह व्यक्ति उतना ही उठता चला गया, इन शब्दों को समझने की कोशिश करियेगा, नहीं तो जो आप कर रहे हैं  या जो लोग आपसे करवा रहे हैं, वो तो आपके सामने ही जायेगा, बस 23 मई का इंतजार करिये।