अपनी बात

पीएम मोदी और उनके समूहों की सभा को करारा जवाब दे रही हेमन्त की अकेली चुनावी सभा

भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को इस बात का आभास हो गया है कि झारखण्ड में भाजपा की पकड़ ढीली होती जा रही हैं, दो चरणों के चुनाव बता रहे है कि भाजपा साफ है, इसलिए भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी सभा व रैलियों की संख्या बढ़ा दी है। गृह मंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के चुनावी सभा में गायब हो रही भीड़ ने भाजपा के दिल की धड़कन को और तेज कर दिया है।

केन्द्र में शामिल मंत्रियों जैसे राजनाथ सिंह को उन जगहों पर लगाया गया है, जहां या तो उनकी जाति के लोगों की संख्या अधिक है, या उनकी जाति के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा इस बार हर प्रकार के कार्ड खेल रही हैं, पर उसे सफलता नहीं मिल रही। इधर रांची में प्रतिदिन बेमतलब की भाजपा की ओर से प्रेस कांफ्रेस का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भाजपा के वे टूटपूंजिये नेता पीसी कर रहे हैं।

जिनकी सभा में एक आदमी भी नहीं जुट सकता, इन प्रेस कांफ्रेस का मकसद होता है, अखबारों के पेज छेंकना तथा चैनलों में स्थान मिलना, ताकि भाजपा के प्रति माहौल बना रहे, जबकि आम जनता भाजपा के इन सारे तिकड़मों को पूरी तरह समझ कर, भाजपा को इस बार पूरा डोज देने को तैयार है।

इधर भाजपावालों ने अपना पूरा चेहरा झारखण्ड की जनता को दिखाना शुरु कर दिया हैं, भ्रष्टाचारियों, यौन शोषण के आरोपियों, स्वयं अश्लील विडियो बनानेवालों को टिकट दिया ही, इन लोगों के साथ पीएम मोदी के मंच को शेयर भी करवाया, जिसकी तीखी प्रतिक्रिया जनता में देखने को मिल रही हैं, यही कारण है कि जमशेदपुर पूर्व में इनके मुख्यमंत्री रघुवर दास की हालत खराब हो गई।

जबकि दूसरी तरफ जैसे-जैसे  पांचवी चरण के मतदान की घड़ी निकट आती जा रही है, नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन की चुनावी सभाओं में उसी प्रकार भारी भीड़ का जुटान होता जा रहा हैं, कोई ऐसा इलाका नहीं, जहां भीड़ नहीं जुट रही, लोग हेमन्त को अब सुनने भी लगे हैं और चाहने भी लगे हैं, यानी जो कल तक आदिवासियों के सिर्फ नेता माने जाते थे, आज वे सर्वग्राह्य हो गये, यही हेमन्त की पहली जीत हैं।

कमाल है दुमका, मधुपुर, डूमरी, सिंदरी, निरसा, टूंडी का इलाका हो या कोई और जगह, बड़ी संख्या में बिना किसी इंतजाम के, बिना किसी लोभ-लालच या प्रलोभन के लोग जुट रहे हैं और हेमन्त सोरेन की सभा में भाग ले रहे हैं, यही नहीं इस भारी भीड़ को देख राजनीतिक पंडित आसानी से अनुमान लगा रहे हैं कि फिलहाल प्रदेश में किसकी हवा बह रही हैं और सरकार किसकी बनने जा रही है।

मोदी की सभा में लोग जाते हैं, वहां भीड़ हैं, पर वो जोश नहीं हैं, क्योंकि लोगों को पता है कि भाजपा को जितायेंगे तो फिर रघुवर दास को झेलना पड़ेगा, इसलिए वे परिवर्तन की बयार पर अडिग है, वे कहते हैं कि फिलहाल झारखण्ड के लिए हेमन्त ही फिट है, दुसरा कोई नहीं, क्योंकि युवा है, उसका पिता बड़ा नेता रहा है, वो झारखण्ड को समझता हैं, भाजपा में जबकि इसका उलट हैं, वहां झारखण्ड के मूलनिवासियों को स्थान नहीं दिया जाता, बाहरी लोगों को लाकर बिठा दिया जाता है, छत्तीसगढ़ से लाकर बैठा दिया जाता है, इसलिए सबसे बढ़िया हेमन्त दादा।

इधर भाजपा के पीएम मोदी को छोड़कर, किसी की सभा में भीड़ नहीं जुट रही, इससे बौखलाई भाजपा केवल मोदी के सहारे झलकुट्टन कर रही हैं, जबकि झामुमो फिलहाल मस्त है कि उसके पास हेमन्त जैसा युवा नेता हैं, राहुल गांधी जैसे कांग्रेसियों का साथ है, जिनकी सभा में अपार भीड़ जुट रही हैं, यानी झामुमो, कांग्रेस और राजद की भाजपा से कोई तुलना ही नहीं दिख रही हैं, गांव-गांव और शहर-शहर में लगे झामुमो, कांग्रेस और राजद के झंडे बता रहे हैं, कि इस बार का नजारा विधानसभा का कैसा होगा?

राजनीतिक पंडितों की मानें तो लोकसभा चुनाव के बाद, अचानक राज्य की जनता का यह परिवर्तन सचमुच भाजपा के लिए आघात पहुंचानेवाली हैं, इसलिए भाजपा को पहले से ही मानसिक तौर पर स्वीकार कर लेना चाहिए कि इस बार रघुवर नहीं, हेमन्त की सरकार, इस बार 65 पार नहीं, इस बार 20-25 के बीच में, ठीक है।