राजनीति

हेमन्त का 24 घंटे का अल्टीमेटम, CM रघुवर भूमि अधिग्रहण बिल पर स्थिति स्पष्ट करें

भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर रांची से प्रकाशित अखबारों में आये समाचार, जिसमें भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के राज्य सरकार के प्रस्ताव को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा मंजूरी दे दिये जाने की खबर प्रकाशित हुई है। इसको लेकर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता एवं नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि राज्य सरकार इस प्रकरण पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।

हेमन्त सोरेन ने अपने आवास पर आज संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में हाल ही में एक शिष्टमंडल राष्ट्रपति से मिलकर भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के प्रस्ताव पर सहमति नहीं देने की गुहार लगाई थी। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के विरोध और आपत्ति के बावजूद राष्ट्रपति द्वारा सहमति दिये जाने की खबर झारखण्ड की पहचान मिटाने और पूरे झारखण्ड को उद्योगपतियों के हाथों गिरवी रखने की सरकार की कोशिशों पर मुहर लगाने जैसा है।

हेमन्त सोरेन ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने इसी तरह की कोशिश सीएनटी एक्ट में संशोधन के लिए भी की थी, लेकिन झामुमो समेत सभी विपक्षी दलों के कड़े विरोध तथा राज्यपाल एवं राष्ट्रपति के समक्ष लगाई गई गुहार के परिणामस्वरुप राज्य सरकार ने सीएनटी एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को वापस लेकर अपने भूल में सुधार की।

हेमन्त सोरेन ने कहा कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, केन्द्र और राज्य सरकार को राज्यहित में सलाह दे रही है कि यदि राष्ट्रपति द्वारा सहमति दे दिये जाने की खबर सही है तो वे 24 घंटे के अंदर इस संशोधन विधेयक को वापस लेने की घोषणा मुख्यमंत्री/राज्य सरकार करें। राज्य सरकार अगर ऐसा नहीं करती हैं तो झारखण्ड मुक्ति मोर्चा तमाम विपक्षी दलों समेत राज्यहित में काम कर रहे सभी सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर इस संशोधन विधेयक के खिलाफ वैसा ही आंदोलन करेगी, जैसा राज्य निर्माण के आंदोलन के दौरान हुआ था, क्योंकि यह विषय राज्य की अस्मिता और पहचान से जुड़ा हुआ है। ऐसे में राज्य के भाजपा और आजसू के विधायकों से अपील है कि वे राज्यहित में एकजुट हो और गरीबों और किसानों को उजाड़ कर उद्योगपतियों को बसाने एवं भूमाफियाओं को संरक्षण देने की सरकार की कोशिशों को नाकाम करें।

नेता प्रतिपक्ष ने राज्य के सभी राजनीतिक दलों एवं सामाजिक संगठनों से अपील भी की, कि वे आगामी 18 जून को 11.30 पूर्वाह्ण उनके आवास पर एकत्रित होने का कष्ट करें, ताकि राज्य सरकार को दिये गये 24 घंटे की मोहलत के बाद, एक साथ बैठकर, एक ऐसे आंदोलन की रुपरेखा बनाई जा सके, जिससे राज्य सरकार को यह ऐहसास हो जाये कि झारखण्ड और झारखण्डी अपने अधिकारों के प्रति न सिर्फ सचेत है, बल्कि अधिकारों के अतिक्रमण के विरुद्ध लड़ने का जज्बा भी रखते हैं।