हेमन्त ने CM को लिखा खुला पत्र, सरकार की विकास योजनाओं की खोली पोल, CM को दिखाया आइना
नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के नाम एक खुला पत्र लिखा है, इस खुले पत्र में चान्हों प्रखण्ड में दिवंगत किसान लखन महतो के द्वारा की गई आत्महत्या और उसके कारण पर पहली बार विस्तृत प्रकाश डाला गया है, नेता प्रतिपक्ष की माने तो यह केवल चान्हों प्रखण्ड का ही मामला नहीं हैं, ये तो राज्य के सभी प्रखण्डों में चल रहे मनरेगा की वस्तुस्थिति की एक छोटी सी बानगी है, पता नहीं कितने लखन महतो इसके शिकार हो जाये।
पर रघुवर दास की सरकार तो डबल इंजन की चिल्लाहट में ही विकास का शान समझ रही है। सर्वाधिक दर्दनाक स्थिति यह है कि किसान लखन महतो जिसने आत्महत्या कर ली, उसकी मां की आयु 80 साल की है, पर उसकी मां को वृद्धावस्था पेंशन तक नहीं मिल रहा, तो जहां राज्य की स्थिति ऐसी है, वहां कैसा विकास चल रहा हैं, उसकी पोल खोलकर रख दी है, अपने पत्र में नेता प्रतिपक्ष ने, जरा देखिये पत्र में हैं क्या?
माननीय मुख्यमंत्री जी,
मैं दिनांक 31 जुलाई 2019 को चान्हों प्रखण्ड के पतरातु गांव में स्व. लखन महतो के परिवारजनों से मिलने गया था। हम आशा करते है कि आपको लखन महतो याद होगा। पिछले 27 जुलाई को लखन महतो ने मनरेगा के Individual Beneficiary Schemes के अंन्तर्गत स्वयं के द्वारा बनाये गुये कुएं में कूद कर जान दे दी। लखन महतो की 80 साल की वृद्ध माता की जुबानी मैंने लखन महतो की मौत की जो कहानी सुनी, वह बहुत ही दर्दनाक एवं हृदयविदारक थी।
लखन की बुढ़ी मां ने अपनी थरथराती और लरखड़ाती आवाज में यह बताया था कि लखन को ब्लॉक से मनरेगा योजना के अंतर्गत एक कुआं मिला था, जिसकी प्राक्कलित राशि 3,54,000 रुपये थी। लखन काफी खुश था और पुरी मेहनत से उसने कुआं बनाना प्रारम्भ किया। वह चाहता था कि जल्द से जल्द कुआं बन जाये ताकि इससे वह सिंचाई कर खेतों में अच्छी पैदावार ले सके और अपनी माली हालात में शीघ्र सुधार कर सकें। अपने इस सपने को साकार करने के लिए उसने कुआं निर्माण की सामग्री उधार में लेकर शीघ्र कुआं निर्माण का कार्य पुरा कर लिया।
अब प्रारम्भ हुआ भुगतान प्राप्त करने के लिए प्रखण्ड के चक्कर लगाने का दौर। काफी दौड़–धूप के बाद लखन को मजदूरी मद में 1,51,476 रु. एवं सामग्री मद में 49,995 रु. यानी कुल 2,01,471 रुपये का भुगतान प्राप्त हुआ। सामग्री मद के शेष 1,52,529 रु. बकाया के भुगतान के लिए वह प्रखण्ड का चक्कर लगाने लगा। जो कुआं उसे वरदान दिख रहा था, वह उसके लिए अभिशाप बनने लगा। एक तरफ बकायेदारों का दबाव और दूसरी तरफ रोजी–रोटी की चिन्ता। वह भुगतान के लिए प्रखण्ड जाये या रोजी कमाने के लिए मेहनत मजदूरी करें। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था।
अंततः दौड़ते–दौड़ते वह थक गया, उसे लगा कि अब मुझे सरकार से बकाया राशि का भुगतान प्राप्त नहीं हो सकेगा। मैं बकायेदारों को भुगतान नहीं दे पाउँगा। वह अपनी जिन्दगी से निराश हो गया। रात में वह सो नहीं पाता था और आखिरकार वह दिन आ गया, जब उसने अपने ही द्वारा निर्मित कुएं में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। ऐसा कहते–कहते लखन की बुढ़ी मां जोर–जोर से रोने लगी।
मैंने ढाढ़ंस बंधाने का असफल प्रयास किया, लेकिन ऐसा करते वक्त मेरी भी जुबान लड़खड़ा रही थी, मैं भावनाओं पर काबू नहीं कर पा रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर में लोग किस व्यवस्था के दौर से गुजर रहे हैं। एक तरफ सरकार चिल्ला–चिल्लाकर कह रही है कि हमने विकास के द्वार खोल दिये हैं। हमारी डबल इंजन की सरकार है। विकास बिना किसी बाधा के अबाध गति से चल रहा है। मैं सोचने लगा कि क्या यही विकास है? जो आत्महत्या के लिए मजबूर कर दे रही है।
मैं चूंकि चान्हों प्रखण्ड के पतरातु पंचायत में था, तो मैने सोचा कि पूरे पचांयत की स्थिति जानी जाये। हो सकता है कि लखन एक अकेला परेशान हो, बाकी लाभुकों की स्थिति ठीक–ठाक हो, परन्तु मुझे जानकारी मिली कि चान्हों प्रखण्ड के 25 लाभुकों को मनरेगा के अंतर्गत सामग्री मद में लगभग 45 लाख रुपये की राशि का भुगतान नहीं किया गया है, जिसमें 18 लाभुक पतरातु पंचायत के ही हैं और इनके भुगतान के लिए 13 जून 2019 को उप विकास आयुक्त रांची को पत्र भी लिखा गया, परन्तु अभी तक भुगतान की कार्रवाई नहीं हुई है।
पतरातू पंचायत के 18 लाभुकों में से एक लखन महतो भी था। चान्हों प्रखण्ड में 2017-18 में सामग्री मद में कुल 18 लाख रुपये, 2018-19 में 123.86 लाख रुपये एवं 2019-20 में 82.05 लाख रुपये का भुगतान बाकी है, अगर राज्य के एक प्रखण्ड की स्थिति ऐसी है, तो झारखण्ड के शेष 273 प्रखण्डों की स्थिति स्वयं समझी जा सकती है। न जाने कितने लखन अभी अपनी जिंदगी और मौत के जद्दोजहद से जूझ रहे हैं। पूरे राज्य में मनरेगा लाभुकों की स्थिति ऐसी ही है, कार्य कराकर भुगतान के लिए प्रखण्डों का चक्कर लगाना, दलालों के चंगुल में फंसना, उनकी नियति बन गई है।
माननीय मुख्यमंत्री जी, राज्य की गरीब जनता को डबल इंजन की सरकार से लाभ पहुंचाने का जो दावा आप बार–बार करते हैं, उसका असली चेहरा अब आपके सामने है, इसके लिए आप किसको दोषी ठहरायेंगे। इसके लिए अधिकारी दोषी या आपकी नीतियां या आप स्वयं। इसका फैसला कौन करेगा। आपको एक और सच्चाई बताना चाहता हूं। आप चाहे तो इसकी जांच करायें, लखन की वृद्ध मां जो 80 साल की है, उसे आपकी डबल इंजन की सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन के काबिल भी नहीं समझा।
इसे खूले पत्र के माध्यम से मैने राज्य के जनता के सामने इस डबल इंजन की सरकार की सच्चाई की एकबानगी रखने का प्रयास किया है। मनरेगा में व्याप्त अनियमितताओं से पूरे राज्य के लाभुक त्रस्त है। मुख्यमंत्री जी मेरा आपसे अनुरोध है कि शीघ्र प्रखण्डों में व्याप्त अनियमितताओं पर काबू पाने का प्रयास करें ताकि आम जनता को उसका हक मिल सकें। साथ ही साथ स्व. लखन महतो के परिवार को बकाये राशि का भुगतान एवं मुआवजा दिया जाय। मनरेगा के अन्तर्गत देय बीमा राशि का भुगतान तथा प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत उसे घर तथा उसकी वृद्ध माता को वृद्धावस्था पेंशन भी दिया जाय।