राजनीति

देशद्रोहियों की मदद करना भी देशद्रोह, हम पर भी मुकदमा दर्ज करें रघुवर सरकार

रांची स्थित बिहार क्लब के प्रांगण में राज्य के विभिन्न जनसंगठनों तथा सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने एक आवश्यक बैठक कर, राज्य सरकार द्वारा 20 जननेताओं पर लगाए गए देशद्रोह के मुकदमें की तीखी आलोचना की तथा संयुक्त स्वर में कहा कि राज्य सरकार इन सारे लोगों से अविलम्ब देशद्रोह का मुकदमा वापस लें। ज्ञातव्य है कि हाल ही में खूंटी में हुए दुष्कर्म कांड तथा भाजपा नेता कड़िया मुंडा के घर से चार सुरक्षाकर्मियों के अपहरण के मामले में, खूंटी पुलिस ने एक नया प्राथमिकी दर्ज कर, 20 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया।

बिहार क्लब में आयोजित इस बैठक में, जिन-जिन लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ हैं, वे सारे लोग मौजूद थे, तथा विभिन्न जनसंगठनों के बड़े नेताओं का समूह भी उपस्थित था, जबकि इस बैठक में बड़े राजनीतिक दलों में कांग्रेस पार्टी के नेता सुबोधकांत सहाय, रामेश्वर उरांव, झारखण्ड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी, भाकपा माले नेता विनोद कुमार, मासस के अरुप चटर्जी तथा राजद, माकपा, भाकपा समेत अन्य दलों के प्रमुख नेता भी मौजूद थे।

इस बैठक के संपन्न होने के बाद कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय एवं झाविमो सुप्रीमो बाबू लाल मरांडी ने कहा कि जिन 20 लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ है, सरकार अविलम्ब उस मुकदमों को वापस लें, क्योंकि ये गलत परम्परा की शुरुआत है, ऐसे में कोई व्यक्ति किसी गरीब की मदद करने को आगे नहीं आयेगा, क्योंकि जिन लोगों पर मुकदमे हुए हैं, उनमें से कोई पत्रकार है, कोई सामान्य नागरिक हैं, जो समय-समय पर सरकार की गलत नीतियों की आलोचना विभिन्न माध्यमों से करते आ रहे हैं, जिसे कोई गलत भी नहीं ठहरा सकता।

नेताद्वय ने कहा कि लोकतंत्र में किसी की आवाज को दबाना, लोकतंत्र की हत्या के समान है, रघुवर सरकार को ये बाते अच्छी तरह समझ लेना चाहिए. अगर सरकार ने इन 20 लोगों से मुकदमे वापस नहीं लिये तो जनसंघर्ष झेलने के लिए तैयार रहे, बाबू लाल मरांडी ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर ये देशद्रोही हैं तो इनकी मदद तो हम सभी कर रहे हैं, इनके लिए लड़ रहे हैं, तो ऐसे में हम भी देशद्रोही हो जायेंगे, तो सरकार बताएं कि क्या हमलोगों पर भी देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करेगी? क्योंकि सवाल बहुत गंभीर है, क्योंकि सरकार को जो भी बातें अच्छी नहीं लग रही, या जिनकी बातें अच्छी नहीं लग रही, उन्हें देशद्रोही का तमगा दे रही हैं, जिसे कोई भी सभ्य व्यक्ति सही नहीं ठहरा सकता।