अंकिता हत्याकांड पर बरसे राज्यपाल, कहा राज्य में विधि व्यवस्था खत्म, जनता घर, दुकान, मॉल, सड़क कहीं सुरक्षित नहीं

झारखण्ड में दुमका की अंकिता हत्याकांड को लेकर पूरे राज्य की जनता उद्वेलित हैं। मुख्यमंत्री ही नहीं, बल्कि राज्य के सारे दलों के नेता व राज्यपाल ने इस घटना की कड़ी निन्दा की है, तथा इसे झारखण्ड के लिए शर्मनाक बता दिया। राज्यपाल रमेश बैस ने तो कड़ी टिप्पणी कर दी, कहा – प्रदेश की जनता घर, दुकान, मॉल, सड़क कहीं भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सोशल साइट फेसबुक के माध्यम से अपनी बातें रखी, उन्होंने सबसे पहले अंकिता को भावभीनी श्रद्धांजलि दी और उसके परिवार को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। मुख्यमंत्री के शब्दों में – “अंकिता बिटिया को भावभीनी श्रद्धांजलि। अंकिता के परिजनों को रु 10 लाख की सहायता राशि के साथ इस घृणित घटना का फ़ास्ट ट्रैक से निष्पादन हेतु निर्देश दिया है। पुलिस महानिदेशक को भी उक्त मामले में एडीजी रैंक अधिकारी द्वारा अनुसंधान की प्रगति पर शीघ्र रिपोर्ट देने हेतु निर्देश दिया है।”

राज्यपाल रमेश बैस ने कहा “ कि एक लड़की जिसने अभी पूरी दुनिया भी नहीं देखी थी, उसका इस प्रकार से अंत बहुत ही पीड़ादायक है। राज्यपाल ने शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने अंकिता के पिता से बात कर उनसे पूरी घटना की जानकारी ली एवं व्यक्तिगत रूप से सांत्वना दी। राज्यपाल  ने कहा कि इस प्रकार की जघन्य व पीड़ादायी घटना राज्य के लिए शर्मनाक है।

ऐसी घटनाओं से राज्य की छवि पर विपरीत असर पड़ता है। प्रदेश की जनता घर, दुकान, मॉल, सड़क कहीं भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा पूर्व में भी पुलिस महानिदेशक को राज्य की विधि-व्यवस्था पर चिंता जताते हुए इसे प्रभावी व दुरुस्त करने का निदेश दिया गया था लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं दिख रहा है।

उन्होंने पुलिस महानिदेशक से आज दूरभाष पर वार्ता कर अंकिता की मौत के मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका की जाँच करने का आदेश दिया। राज्यपाल ने इस घटना की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में करने की बात कही। राज्यपाल महोदय ने पीड़ित के परिवार को तत्काल दो लाख की राशि अपने विवेकाधीन अनुदान मद से देने की भी घोषणा की।”

डीएसपी नूर मुस्तफा आदिवासी विरोधी व कम्यूनल-बाबू लाल

इधर भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी ने अंकिता हत्याकांड पर कहा कि “अंकिता हत्या कांड में अभियुक्त शाहरुख़ को बचाने के प्रयास में निशाने पर आये डीएसपी नूर मुस्तफ़ा के आदिवासी विरोधी एवं कम्यूनल होने का यह एक प्रमाण है। आदिवासियों के एक शोषक ज़ुल्फ़िकार पर एसटी एक्ट का मामला दर्ज हुआ। वह जेल गया।

मुस्तफ़ा ने 90 दिनों में चार्जशीट नहीं की। इसी आधार पर ज़ुल्फ़िकार को बेल मिल गया।उसके बाद डीएसपी नूर मुस्तफ़ा ने उसके जेल से निकल जाने के कुछ देर बाद चार्जशीट कर दिया। आदिवासियों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने वाले सीटीबाज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, बताइये न, ऐसे अफ़सर को जेल में होना चाहिये या नहीं?”