शर्मनाक, कल बिल्डर ने तो आज रांची प्रेस क्लब ने सरकारी लोगो का इस्तेमाल किया

कुछ दिन पहले की बात है कि रांची के एक बिल्डर ने अपने एक कार्यक्रम के लिए राज्य सरकार के लोगो का इस्तेमाल किया था, जिसको लेकर राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई थी, इसे अखबारों और कुछ चैनलों ने मुद्दा भी बनाया था, लेकिन जब रांची प्रेस क्लब की बात आई तो सभी ने चुप्पी साध ली। आखिर क्यों? क्या रांची प्रेस क्लब को अपने कार्यक्रमों के लिए राज्य सरकार के लोगो का इस्तेमाल करने का कानूनी हक है? साथ ही राज्य सरकार और उनके अधिकारी बताये कि क्या सरकारी प्रतीक चिह्नों का कोई भी संस्था,  कोई भी व्यक्ति उपयोग में लायेगा, और सरकार इसका गलत इस्तेमाल होने देगी?

सभी जानते है कि रांची प्रेस क्लब एक सामाजिक संस्था है, जिसका निबंधन भी इसी रुप में हुआ है। भारत में जितने भी राज्य है और जहां-जहां प्रेस क्लब संचालित हैं, वहां कोई भी प्रेस क्लब, राज्य के लोगों का इस्तेमाल स्वहित में नही करता, ये सभी को मालूम होना चाहिए। आश्चर्य इस बात की है कि जब रांची प्रेस क्लब के लोगों ने स्वयं के लिए एक लोगो बनाया है, और जो रांची प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष बलबीर दत्त  के हस्ताक्षर द्वारा जारी परिचय पत्र पर अंकित है, तो उस लोगो का इस्तेमाल न कर, राज्य सरकार के लोगो का इस्तेमाल करना कहां तक उचित है?

जरा देखिये इस कार्ड को और चिन्तन करिये कि यहां रांची प्रेस क्लब के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों का समूह कैसे-कैसे निर्णय ले रहा है? ये शपथ ग्रहण समारोह का कार्ड है। सूत्र बताते है कि रांची प्रेस क्लब के नव-निर्वाचित पदाधिकारियों के आग्रह पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने इसे छपवाया है। इसमें रांची प्रेस क्लब जो उपर में लाल रंग से छपा है, उसके ठीक उपर झारखण्ड सरकार लिखा राजकीय चिह्न मौजूद है, जो सिर्फ राजकीय कार्यों में उपयोग होता है, लेकिन इसका इस्तेमाल अब रांची प्रेस क्लब के लिए भी होना लगा, जो कानूनन गलत है।

इस कार्ड में लिखा है कि शपथ ग्रहण समारोह के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री रघुवर दास होंगे। जब हमने शपथ ग्रहण से संबंधित बातों को लेकर रांची के ही वरिष्ठ पत्रकार रजत कुमार गुप्ता से पुछा कि क्या रांची प्रेस क्लब के बायलॉज में शपथ ग्रहण समारोह की कहीं चर्चा की गई है, तब उनका कहना था कि ऐसी कोई चर्चा बायलॉज में नहीं की गई। अब सवाल उठता है कि जब बायलॉज में शपथ ग्रहण की कोई चर्चा ही नहीं, तो फिर ऐसे आयोजनों का क्या मतलब?

आर्यभट्ट सभागार, रांची विश्वविद्यालय में, 17 जनवरी को शपथ ग्रहण समारोह और उसमें मुख्य अतिथि के रुप में रघुवर दास, मुख्यमंत्री, झारखण्ड को बुलाने की आवश्यकता क्यों?  कहीं ऐसा तो नहीं कि ये शपथ ग्रहण कराने का काम भी मुख्यमंत्री रघुवर दास से करायेंगे। ऐसे बहुत सारे कुछ सवाल हैं जो रांची प्रेस क्लब के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को देना चाहिए, नहीं तो जो मनमाने ढंग से काम करने की प्रवृत्ति जो वे अपने मन में जगा रहे हैं, तो वे जान लें कि जब वोटर बड़े-बड़े लोगों के सपनों को धराशायी कर सकता है, तो ये भविष्य में आनेवाले चुनाव के दिन कहां होंगे?  अभी से ही गांठ बांध ले। हम तो यहीं कहेंगे कि कोई ऐसा काम ये न करें, जो बायलॉज या कानून के खिलाफ जाये, हां पत्रकार हित में निर्णय लेना शुरु करें, रांची प्रेस क्लब की गरिमा बढ़ाये।