पांच जुलाई के झारखण्ड बंद ने CM रघुवर ही नहीं, बल्कि पूरे महकमें का नींद उड़ाया
पांच जुलाई को संपूर्ण विपक्ष के झारखण्ड बंद ने रघुवर सरकार के हाथ-पांव फुला दिये हैं, सीएम रघुवर दास पांच जुलाई के बंद से इतने भयभीत है कि वे अपने मातहत कार्य कर रहे सभी अधिकारियों को हिदायत दे दी है कि वे किसी भी कीमत पर इस झारखण्ड बंद को सफल नहीं होने दें, स्थिति ऐसी है कि भाजपा ही नहीं, पूरा जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन इस बंद को विफल कराने में ऐड़ी-चोटी एक किये हुए हैं, पर इन्हें सफलता मिलेगी, इसकी संभावना कम हैं, क्योंकि विपक्ष ने कह रखा हैं, कि इस बार का बंद 200% सफल होगा, ऐतिहासिक होगा।
हंसी इस बात को लेकर भी है कि बंद को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ही नहीं, बल्कि पुलिस पदाधिकारियों, भाजपा नेताओं द्वारा संवाददाता सम्मेलन का दौर इन दिनों जारी है, कोई इस बंद को असंवैधानिक बता रहा है तो कोई झारखण्ड उच्च न्यायालय के पूर्व का नोटिस गला में बांधकर, संवाददाताओं को दिखा रहा है कि पूर्व में झारखण्ड उच्च न्यायालय ने बंद को लेकर ऐसी टिप्पणी की थी, उसके बावजूद भी कोई प्रभाव झारखण्डी जनमानस पर नहीं पड़ रहा।
जरा राज्य की हास्यास्पद स्थिति देखिये, 2 जुलाई को एडीजी अभियान पांच जुलाई की बंद को लेकर पुलिस का स्टैंड क्लियर कर रहे हैं। दो जुलाई को ही रांची के उपायुक्त राय महिमापत रे पांच जुलाई की बंद को लेकर बैठक कर रहे हैं, जिसमें उपायुक्त ने बंद को देखते हुए थाना स्तर से उपद्रवियों को चिह्नित कर धारा 107 एवं 113 के तहत कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन एसडीओ को भेजने का निर्देश दे रहे हैं।
हंसी इस बात को लेकर भी है कि राज्य में पहली बार नगर निगम के अधिकारियों को कहा गया है कि जिन भवन मालिकों ने सड़क पर ईंट, बालू, गिट्टी, या भवन मैटेरियल्स गिरा रखा है, वे तीन जुलाई तक अपने घर या कैंपस में घुसा लें। जिला कल्याण पदाधिकारी को कहा गया है कि सभी कल्याण छात्रावासों को तीन जुलाई तक जांच कर, अवैध छात्रों को चिह्नित करें, ताकि उन्हें नोटिस जारी किया जा सकें।
पूरे राज्य के जनसम्पर्क अधिकारियों को कहा गया है कि ये बंद अंसवैधानिक हैं, इसका वे प्रचार-प्रसार करें, अखबारों में इसकी सूचना दें, जनता को बताएं कि इस बंद में वे भाग न लें, पर सच्चाई यह भी है की ये जितना झारखण्ड बंद को विफल कराने का प्रयास कर रहे हैं, ठीक न्यूटन के थर्ड लॉ की तरह संपूर्ण विपक्षियों के झारखण्ड बंद का ठप्पा और मजबूत होता जा रहा हैं, क्योंकि जिसे नहीं भी पता था, उसे अब ये पता चल गया है कि पांच जुलाई को संपूर्ण विपक्ष का झारखण्ड महाबंद हैं, यानी जो काम संपूर्ण विपक्ष नहीं कर सका, वो राज्य सरकार के मुख्यमंत्री, उनके अधिकारियों, पुलिस प्रशासन के लोगों ने कर के दिखा दिया।
रघुवर सरकार और उनके काबिल अधिकारियों के हालत बंद को लेकर इतने खराब हो गये कि कल एक बार फिर प्रधान सचिव, गृह, कारा, एवं आपदा प्रबंधन और राज्य के पुलिस महानिदेशक ने संयुक्त रुप से पूर्वाह्न 11 बजे, सूचना भवन में संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने का फैसला कर लिया है, जिसमें सारे संवाददाताओं को सादर आमंत्रित किया गया है, स्थिति संभालने के लिए बेचारों ने गजब का संवाददाता सम्मेलन का महादौर प्रारम्भ किया है।
इधर संपूर्ण विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार उनके महाबंद को कितना भी असंवैधानिक कहकर रोकने का प्रयास करें, कितना भी ये संवाददाता सम्मेलन और पत्रकारों को बुलाकर इनके पुलिस अधिकारियों का समूह मॉक ड्रिल करवा लें, ये महाबंद ऐतिहासिक होगा, क्योंकि ये झारखण्ड की माटी के स्वाभिमान का प्रश्न हैं, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक से झारखण्ड का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा, इसलिए ये बंद अब तो संपूर्ण विपक्ष का भी नहीं रहा, ये तो आम जनता से जुड़ गया हैं, शायद ये सीएम रघुवर दास और उनके मातहत काम करनेवाले अधिकारियों को पता ही नहीं।