अपनी बात

रघुवर सरकार के विज्ञापन से राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू गायब, नहीं मिल रहा राज्यपाल को उचित स्थान

एक समय था, जब भी रघुवर सरकार अखबारों में विज्ञापन निकालती, तब उसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का भी चित्र हुआ करता था, चाहे वह विज्ञापन संदेश के रुप में विभिन्न समाचार पत्रों में छपते हो, या शुभकामनाओं के रुप में, पर अब स्थिति बदल गयी है, अब राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू का स्थान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ले लिया है। राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू राज्य सरकार के विज्ञापनों से गायब है।

पूरे देश के विभिन्न राज्यों में राज्यपाल, राज्य की जनता को समय-समय पर विभिन्न पर्व-त्योहारों पर अपना संदेश देते हैं/देती हैं, ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है। ये परंपरा यहां भी थी, पर इस परंपरा को अब समाप्त कर दिया है। किसने इस परंपरा को समाप्त किया? आप समझ सकते हैं। आखिर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के चेहरे अखबारों में बार-बार दिखने से, किसको पहचान का संकट उपस्थित हो सकता है, आप समझ सकते हैं।

सूत्र बताते हैं कि दरअसल राज्य के मुखिया रघुवर दास को लगता है कि वे झारखण्ड के राजा है, मुख्यमंत्री है, इसलिए चेहरा दिखाने और चमकाने का अधिकार तो सिर्फ उन्हें ही है, राज्यपाल का चेहरा जनता देखे, ये जरुरी तो नहीं। दूसरी ओर सीएनटी और एसपीटी मामले में सर्वाधिक माइलेज राज्यपाल द्वारा ले लिये जाने से दुखी रघुवर दास ने राज्य सरकार के विज्ञापनों से राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को ही गायब करा दिया। जरा देखिये और स्वयं निर्णय करिये – 14 सितम्बर को पूरे देश में हिन्दी दिवस मनाया जाता है, आप रघुवर सरकार द्वारा प्रकाशित पिछले वर्ष का विज्ञापन देखिये, उसमें राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू नजर आ रही है, पर इस साल के विज्ञापन में रघुवर सरकार ने उनका पता ही साफ कर दिया है। प्रमाण आपके सामने है।

27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है। आप देखेंगे कि रघुवर सरकार ने जो इस वर्ष विज्ञापन निकाला हैं उसमें राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू कहीं नहीं दिखाई दे रही हैं, जबकि इसके ठीक एक साल पूर्व यानी 27 सितम्बर 2016 को  रघुवर सरकार द्वारा प्रकाशित विज्ञापनों में वह नजर आ रही थी। प्रमाण आपके सामने है।

29 सितम्बर को रघुवर सरकार ने तीन विज्ञापन राज्य के सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित कराये है। एक नवरात्र की शुभकामनाओं से संबंधित हैं तो दूसरा विश्व हृदय दिवस तथा तीसरा राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस से संबंधित है, और इन तीनों विज्ञापनों में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू नजर नहीं आ रही हैं।

दूसरी ओर बिहार ने पिछले कई वर्षों से चली आ रही परंपराओं पर अब तक प्रहार नहीं किया है, ये परंपरा यहां आज भी देखी जा रही है।

बिहार के मुख्यमंत्री के साथ-साथ, राज्यपाल का भी संदेश बिहार से प्रकाशित विभिन्न समाचारों में देखने को मिल रहा हैं, पर झारखण्ड में राज्यपाल का संदेश तो दूर, यहां तो राज्यपाल के चित्र से भी सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को चिढ़ हो रही है, तभी तो राज्यपाल के संदेश और चित्र झारखण्ड के विभिन्न अखबारों में नहीं दिखाई पड़ रहे।