अपनी बात

राजस्थान विधानसभा के भूतों ने माननीयों के नींद उड़ा दिये

राजस्थान विधानसभा में भूतों का डेरा हैं, ये हम नहीं कह रहे, राजस्थान की जनता के वोटों से चुने गये जनप्रतिनिधियों का समूह कह रहा हैं, इसमें सत्ता व विपक्ष दोनों शामिल हैं, दोनों को इन भूतों से अपनी जान का खतरा नजर आ रहा हैं, इसलिए इस वक्त पुजारियों और मौलानाओं को खोजा जा रहा है कि वे राजस्थान विधानसभा से इन भूतों को निकाल बाहर करें, हालांकि कल ही एक पुजारी को इसके लिए यहां तंत्र-मंत्र का इस्तेमाल करते भी देखा गया।

राजस्थान विधानसभा के कुछ विधायकों का कहना है कि राजस्थान विधानसभा में चुने गये 200 जनप्रतिनिधियों में से 200 सदस्यों की संख्या ज्यादा देर तक नहीं टिकती, कोई न कोई विधायक की मौत हो ही जाती है, या कोई जेल चला जाता है या कोई न कोई किसी कारणों से इस्तीफा दे देता हैं। इसके लिए ये विधायक राजस्थान विधानसभा में मंडरा रहे भूतों को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं। भूतों का डर ऐसा है कि कुछ विधायकों ने इस संबंध में राजस्थान के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया से इस संबंध में बातचीत भी की।

पिछले दिनों भाजपा विधायक कल्याण सिंह चौहान के निधन से इन विधायकों का शक और पुख्ता हो गया है। गत वर्ष मांडलगढ़ की भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी की स्वाइन फ्लू से हुई मौत, इसके पहले बहुजन समाज पार्टी के विधायक बी एल कुशवाहा को हत्या के मामले में जेल, पिछली विधानसभा में कांग्रेस के विधायक महिपाल मदेरणा, मलखान सिंह बिश्नोई और बाबू लाल नागर को मर्डर और रेप के आरोप में जेल जाने से विधायकों का भूतों पर भरोसा और पुख्ता हुआ है, इन विधायकों का मानना है कि ये सब बुरी प्रेतात्माओं का चक्कर हैं। कुछ लोग बताते है कि चूंकि ये विधानसभा श्मशान की कुछ भूमि पर बनी है, मात्र 200 मीटर की दूरी पर मोक्षधाम भी बना हुआ है, जिसके कारण ये संभव हैं कि यहां प्रेतात्माओं का डेरा हो।

पिछले पांच बार से विधायक रहे, भाजपा विधायक हबीबुर रहमान, प्रेतात्माओं की बातों को स्वीकारते हैं, वे तो साफ कहते है कि किसी मौलाना को बुलाकर, इस स्थान को प्रेतात्माओं से मुक्ति करा लेना चाहिए। सत्तारुढ़ दल के सचेतक कालू लाल गुर्जर तो कहते है कि 200 सदस्यों का विधानसभा में ज्यादा देर तक नहीं टिकना बताता है कि यहां कुछ न कुछ हैं, प्रेतात्माएं बुरा कर सकती है, इसलिए इनका कुछ करना जरुरी है।

और अब सवाल, जैसा कि राजस्थान विधानसभा के विधायकों का कहना है कि यहां भूतों का डेरा है, जिसके कारण यहां 200 की संख्या ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती, यह केवल विधायकों के साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है, ये बाते मंत्री या मुख्यमंत्री पर लागू क्यों नहीं होती?  क्या भूतों को केवल विधायक ही पसंद हैं? या कुछ और बात है?  क्या किसी भूत ने किसी विधायक को जाकर कहा कि वे सिर्फ विधायकों को ही टारगेट करते हैं, मंत्रियों या मुख्यमंत्रियों को नहीं, आखिर ये सब क्या है? क्या भूत पूर्णतः प्रशिक्षित हैं कि वे सिर्फ विधायकों को ही अपना शिकार बना रहे हैं या उन भूतों को कहा गया है कि केवल विधायकों को ही टारगेट बनाये और जैसे ही 200 विधायक पूरे हो, उसमें एक को टारगेट कर किसी न किसी मामले में फंसा दे या उन्हें मौत के मुंह में घुसा दें। भाई ये भूत न हो गये, एमबीए प्रोडक्ट हो गये हैं, आखिर कोई बता सकता है कि इन भूतों ने इतना बढ़िया मैनेजमेंट किस विश्वविद्यालय से किया?

हमारा यह भी मानना है कि जब राजस्थान विधानसभा के माननीय विधायकों को जब इतना ज्ञान हो चुका है कि ये सब भूत ही कर रहे हैं, तो क्यों नहीं भूतों के लिए अलग से मंत्रालय खोल दिये जाये ताकि कोई मंत्री इन भूतों से अच्छे संबंध स्थापित कर, अपने माननीयों की जान बचा लें, तथा भूतों की मांग भी पूरी हो जाये। हद हो गई, इस प्रकार के बयान राजस्थान के विधायकों का आना, बता रहा है कि राजस्थान के माननीयों का बौद्धिक स्तर किस स्तर का हैं?