झारखण्ड के बच्चों की बेहतरी के लिए, KIIT यूनिवर्सिटी में शिक्षा ग्रहण कर रहे आदिवासी बच्चों से मैं सीखने आया हूं – हेमन्त सोरेन

कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के फाउंडर डॉ अच्युत सामंता ने हजारों गरीब व आदिवासी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने का काम किया है, उनका यह प्रयास सराहनीय है। हमारे राज्य में भी सामंता आएं और झारखण्ड के नौनिहालों को मार्गदर्शन दें। यहां के आदिवासी बच्चों के लिए कैसे विकास की पटरी पर चलने का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है? इस पर हम मिलकर कार्य करें।

यहां अपने उज्जवल भविष्य को लेकर आने वाली पीढ़ी बैठी हैं। ऐसे भी किसी भी समाज का विकास तभी संभव है। जब वह पढ़- लिखकर अपने परिवार और समाज तक शिक्षा का विस्तार कर सके। उक्त बातें मुख्यमंत्री  हेमन्त सोरेन ने भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के समारोह में बच्चों को संबोधित करने के दौरान कही।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा शिक्षा के क्षेत्र में हम कैसे बेहतर कर सकते हैं, यहीं जानने और सीखने के लिए वे आज यहां पहुंचे हैं। आज संस्था के लिए वे कुछ तो नहीं ला सकें। लेकिन वे अपने एक माह का वेतन इस संस्थान को अवश्य देंगे।

आदिवासी बच्चे भी विदेशों में उच्च शिक्षा ले रहें हैं

मुख्यमंत्री ने कहा आज यह मंच हमें बहुत कुछ सोचने पर विवश कर रहा है। बड़ी मुश्किल से आदिवासी समाज से आने वाला एक आदिवासी राज्य के शीर्ष पद पर पहुंचता है। 2019 दिसंबर से राज्य के विकास के लिए कार्य करने का अवसर मिला। लेकिन कोरोना संक्रमण काल में विकास की गति को कुछ समय के लिए रोक दिया। इसके बाद जब जीवन सामान्य हुआ तो झारखण्ड के आदिवासी क्षेत्रों में काम करने का मौका मिला। कई चीजों को हम लोगों ने बड़ी तेजी से आगे बढ़ाया है।

देश में झारखण्ड पहला राज्य है, जहां आदिवासी बच्चों को विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए शत प्रतिशत स्कॉलरशिप प्रदान किया जाता है। मन में तसल्ली होती है कि जो समाज स्कूल में शिक्षा पाने के लिए तरसता है। उसे विदेशों में उच्च शिक्षा मिल रही है। राज्य के बच्चों को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में आने वाले खर्च का वहन राज्य सरकार करेगी, इससे संबंधित कानून भी सरकार ने बनाया है।

झारखण्ड में नई यात्रा की शुरुआत होगी – सुखदेव सिंह

मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि भुवनेश्वर के इस यूनिवर्सिटी का नाम हम लोग वर्षों से सुनते आए थे। हमें लगता था कि यह संस्थान छोटे से जगह में बच्चों को शिक्षा दे रहे होंगे। लेकिन यहां आकर पता चला। यह तो साम्राज्य है। जिन्होंने इस यूनिवर्सिटी की स्थापना की उस पर जरूर भगवान की कृपा रही होगी। मुख्यमंत्री का काफी प्रयास है कि इस तरह की संस्थान का निर्माण झारखंड में भी हो। इसके लिए हम आपके बीच आए हैं। मुझे उम्मीद है कि उनकी इस यात्रा से एक नई दुनिया की शुरुआत झारखण्ड में होगी।

इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस सबसे बड़ा आदिवासी संस्थान

ज्ञातव्य है कि इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस पूरे विश्व में सबसे बड़ा आदिवासी संस्थान है, जिसे 1992-93 में डॉ अच्युत सामंता द्वारा शुरू किया गया था। इस संस्थान में देश भर के वंचित आदिवासी वर्ग के बच्चों को शिक्षा देने के साथ- साथ रोजगारपरक बनाया जाता है। वर्तमान में यहां करीब 40 हजार आदिवासी बच्चों को प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा निःशुल्क प्रदान की जाती है, जिसमें अधिकतर बालिकाएं शिक्षा ग्रहण करती हैं।