अपनी बात

अटल जी को हर कोई नहीं समझ सकता, उसके लिए उनके जैसा दिल भी होना चाहिए

अटल जी को हर कोई नहीं समझ सकता, उसके लिए उनके जैसा दिल भी होना चाहिए, शायद यहीं कारण हैं कि जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को कभी न तो देखा और न ही ठीक से समझा, अपनी अल्पबुद्धि का प्रदर्शन किये जा रहे हैं, जिसके कारण अटल बिहारी वाजपेयी को चाहनेवाले को असहनीय दुख पहुंच रहा है, और इस कारण वे ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, जिसे अटल बिहारी वाजपेयी भी सहीं नहीं मानते थे।

देश के सर्वमान्य नेता, अतिप्रिय, सहृदय कवि अटल बिहारी वाजपेयी अब इस दुनिया में नहीं हैं, पर सोशल साइट पर कुछ मूर्ख/असामाजिक तत्वों का जत्था, उनके खिलाफ अनाप-शनाप लिखने से नहीं चूक रहा, स्थिति ऐसी है कि इन हरकतों के वजह से अटल बिहारी वाजपेयी को चाहनेवाले, कानून को अपने हाथों में ले रहे हैं, जिसे सहीं नहीं ठहराया जा सकता, अगर इन्हें लगता है कि किसी ने गलती की है, अटल जी का अपमान किया है, तो वे कानून का सहारा ले सकते हैं, संबंधित व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं।

जो लोग फिलहाल अटलजी के खिलाफ लिख रहे हैं, उन्हें मालूम होना चाहिए कि अटल जी को चाहनेवालों में अगर दक्षिणपंथी है, तो वामपंथी भी हैं, तथा दलितों का एक बहुत बड़ा समूह भी हैं। अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देनेवालों में अगर भाजपा के लोग थे, तो वामपंथी सीताराम येचुरी भी थे, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा सुश्री मायावती भी थी। जो अटल जी, संसद में कहते थे कि निन्दक नियरे राखिये…, वैसे अटल बिहारी वाजपेयी पर भी दोषारोपण और उनके दिवंगत होने पर, उन्हें भला बुरा कहनेवाला व्यक्ति, जरुर मानसिक रुप से विकलांग होगा, क्योंकि हमारे देश की परंपरा रही है कि कोई भी व्यक्ति जो इस दुनिया में नहीं हैं, हम उस दिवगंत आत्माओं के खिलाफ एक शब्द भी बुरा नहीं निकालते, और हमें लगता है कि ये सभी धर्मों का सार भी है।

इधर देख रहा हूं कि कुछ भाजपा समर्थक, अटल बिहारी वाजपेयी के दाह संस्कार में शामिल कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी पर गलत टिप्पणियां कर रहे हैं, जिसे सही नहीं ठहराया जा सकता, ठीक उसी प्रकार कई कांग्रेसियों का समूह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वहां बैठने के तरीके पर सवाल खड़ा कर रहा है, इसे भी हम सही नहीं ठहरा सकते। ये समय इन बातों पर अंगूलियां उठाने का भी नहीं है, यहां तो हमें सिर्फ यह देखना चाहिए कि उनके भाव क्या थे, निःसंदेह हमारे देश में जितने भी दल है, सभी ने अपना भावनाओं को व्यक्त करते हुए, अटल बिहारी वाजपेयी जी को एक बेहतर इन्सान बताया, पर इसके बावजूद मोतिहारी में एक प्रोफेसर द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ अनाप-शनाप लिखना और उसके लिखने पर उसकी पिटाई किया जाना, महाराष्ट्र में, एक नगरपालिका में एक सदस्य द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करना और फिर उसकी भी जमकर पिटाई कर दिया जाना, इधर रांची में भी एक व्यक्ति द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ बोलना और उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किया जाना, किसी भी सभ्य व्यक्ति को विचलित कर रहा है।

क्या हम इतने संवेदनहीन हो गये? क्या हम मनुष्य कहलाने के लायक भी नहीं? क्या किसी के घर में आग लगेगी तो हम उस घर के लोगों को बचायेंगे या उस घर में रह रहे लोगों को जलने के लिए छोड़ देंगे? अरे भाई, कैसा देश बना रहे हो आप? चिन्तन करो, जिस व्यक्ति के खिलाफ आप आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग कर रहे हो, ये महापाप है, और इसका दंड तुम्हें ईश्वर देगा, और उस दंड को तुम बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं होगे, क्योंकि जो दुनिया में है ही नहीं, कुछ घंटे ही उसे दुनिया छोड़ हुए हैं, और उसकी आलोचना प्रांरभ कर देना, ये तो महापातकों का काम है?

आश्चर्य लगता है कि जिस व्यक्ति ने पं. जवाहर लाल नेहरु से लेकर मनमोहन सिंह तक, जितने भी प्रधानमंत्री हुए, सभी को सम्मान दिया, इस देश में जब तक जीवित रहा, सभी से प्यार करता रहा, उस देश में मुट्ठी भर रह रहे कृतघ्न लोगों ने देश को नरक बनाकर रख दिया, क्या अब देश इसी के लिए जाना जायेगा, क्या आनेवाले पीढ़ी को यहीं शिक्षा दोगे, अरे यारों थोड़ा तो शर्म करो, अटल बिहारी वाजपेयी को समझने की कोशिश करो और फिर भी बर्दाश्त नहीं होता है, तो कम से कम चुप रहो, और अटल जी को चाहनेवालों, थोड़ा आप स्वयं पर भी काबू रखो, क्योंकि अटल जी ने कभी कहा था – निन्दक नियरे राखिये…