राजनीति

2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के पुनः सत्ता में आने की आशा धूमिल

राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार में हुए लोकसभा के उप चुनाव ने 2019 में मोदी सरकार के विदाई के संदेश बहुत अच्छी तरह दे दिये, अगर नरेन्द्र मोदी सरकार जनता के इस नाराजगी को अभी तक नहीं समझ पाती हैं तो ये उनके लिए मूर्खता के सिवा और कुछ नहीं, अगर वे यह समझते है कि इवीएम की कलाबाजी से 2019 के लोकसभा चुनाव जीत जायेंगे तो उन्हें मालूम होना चाहिए कि ये कलाबाजी केवल वे ही नहीं जानते और लोग भी जानते हैं और ये कलाबाजी भी उन्हीं की मदद करती हैं, जिनके साथ जनता होती हैं, कभी लालू प्रसाद यादव भी बैलेट बॉक्स से जिन निकाला करते थे, पर जब जनता नाराज हुई तो क्या हुआ? सभी को मालूम हैं।

सत्ता के अंहकार में चूर केन्द्र सरकार को मालूम होना चाहिए कि जनता उनकी एक-एक हरकतों पर नजर रखी हुई हैं। जनता कोई भाजपा कार्यकर्ता नहीं है कि चाहे-अनचाहे वह वोट भाजपा को करेगी, स्थितियां और परिस्थितियां बदल रही हैं। भारत की जनता और खासकर यहां की महिलाएं, स्वीकार कर चुकी हैं कि उनके साथ भारी चीटिंग हुई और इस चीटिंग से उनका सर्वाधिक नुकसान हुआ।

अब तो भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी पूछने लगे है कि काला धन का क्या हुआ? राम मंदिर निर्माण का क्या हुआ? धारा 370 का क्या हुआ? यहीं नहीं भाजपा में एक सबसे बड़ी तब्दीली क्या हुई है कि यहां बड़े व सम्मानित नेताओं को अब सम्मान ही नहीं रहा, त्रिपुरा में जिस प्रकार से वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभिवादन अस्वीकार कर, उन्हें अपमानित किया, वह पूरा देश देखा, यहीं नहीं नरेश अग्रवाल जैसे नेताओं का भाजपा में स्वागत, बदलते भाजपा की कहानी कह रहे हैं, ऐसे में भारत के मतदाता भाजपा से अगर दूरियां बना रहे हैं तो गलत क्या है?

राजस्थान में हुए लोकसभा के उपचुनाव, और उसके बाद बिहार के अररिया और जहानाबाद में भाजपा गठबंधन की करारी हार और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फुलपुर से भाजपा की विदाई बता रही है कि यूपीए की ओर शमा बंध रहा हैं, जनता को भाजपा गठबंधन सरकार से मोह भंग हो चुका हैं,  राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जब भी विधानसभा चुनाव होंगे, भाजपा की हार तय हैं, हर-हर मोदी, घर-घर मोदी की जगह, जितनी जल्द भगाओ मोदी के नारे बुलंद हो रहे हैं, त्रिपुरा विधानसभा चुनाव का परिणाम भले भाजपा के पक्ष मे गया हो, पर लोकसभा के उपचुनाव परिणाम बहुत कुछ कह दे रहे हैं, कि जनता जिसे पहली बार भरपूर मत देती हैं, उसी पार्टी को दूसरी बार बाहर का रास्ता भी दिखा देती हैं, यानी 2019 में गई भाजपा।