झारखण्ड में एक चरण में चुनाव कराने की विपक्ष की मांग को EC ने ठुकराया, भाजपा की मांग स्वीकृत

नक्सलवाद की बात कहकर, चुनाव आयोग ने राज्य में एक बार फिर पांच चरणों में विधानसभा चुनाव कराने की भाजपा की मांग को एक तरह से स्वीकार कर लिया, साथ ही विपक्ष द्वारा एक ही चरण में चुनाव कराने की मांग को ठुकरा भी दिया। आज मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने दिल्ली में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि झारखण्ड में पांच चरणों में चुनाव संपन्न होंगे। उनका कहना था कि राज्य के 67 विधानसभा सीटे नक्सल प्रभावित हैं, वहां शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न कराने के लिए ऐसा जरुरी था।

प्रथम चरण के 13 सीटों के लिए मतदान 30 नवम्बर, दूसरे चरण के 20 सीटों के लिए मतदान सात दिसम्बर, तीसरे चरण के 17 सीटों के लिए मतदान 12 दिसम्बर, चौथे चरण के 15 सीटों के लिए मतदान 16 दिसम्बर एवं पांचवे चरण के लिए 16 सीटों के लिए मतदान 20 दिसम्बर को संपन्न होंगे, साथ ही मतगणना 23 दिसम्बर को संपन्न किये जायेंगे। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव तिथियों की घोषणा के साथ ही पूरे राज्य में तत्काल प्रभाव से आदर्श आचार संहिता लागू हो गया।

हालांकि भाजपा की पांच चरणों में चुनाव कराने की मांग को चुनाव आयोग द्वारा स्वीकृत कर लिये जाने पर भाजपाइयों में खुशी की लहर देखी जा रही हैं, वहीं विपक्ष में इसे लेकर निराशा के बादल भी देखे जा रहे हैं, साथ ही नक्सलवाद को लेकर पांच चरणों में चुनाव कराने की चुनाव आयोग की बात ने राज्य के विपक्षी दलों द्वारा बार-बार उठाए जा रहे उन वक्तव्यों को एक तरह से समर्थन कर दिया, कि राज्य में कानून-व्यवस्था एक तरह से चौपट हैं, अगर कानून व्यवस्था ठीक रहती तो राज्य में महाराष्ट्र व हरियाणा की तरह चुनाव एक दिन में ही संपन्न होते, अब राज्य का कोई भाजपा का बड़ा या केन्द्र का नेता यह नहीं कह सकता कि राज्य में विधि-व्यवस्था ठीक हैं।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा झारखण्ड में पांच चरणों में चुनाव कराये जाने की घोषणा, स्पष्ट करता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था नक्सलियों के हाथों गिरवी रख दिये गये हैं। राजनीतिक पंडित कहते है कि चुनाव आयोग का यह कहना कि राज्य की 81 विधानसभा में से 67 विधानसभा नक्सलप्रभावित हैं, यह संवाद ही अपने-आप में डबल इंजन की सरकार के मुंह पर करारा तमाचा हैं, विपक्षी दलों को चाहिए कि इस मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाएं, क्योंकि चुनाव आयोग ने बैठे-बैठाए एक मुद्दा राज्य के विपक्षी दलों को थमा दिया।

राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि देश में अभी किसी प्रदेश या राज्य में न तो विधानसभा चुनाव हैं और न ही पंचायत चुनाव हैं, ऐसे में विपक्ष की मांग पर विचार करते हुए, एक चरण में चुनाव कराया जा सकता था, पर चुनाव आयोग को गृह मंत्रालय और राज्य के अधिकारियों ने क्या पाठ पढ़ाई, ये वहीं जाने, पांच चरणों में होनेवाले चुनाव को भाजपा कैसे अपने हित में लाती हैं, यह तो वक्त बतायेगा, पर चुनाव आयोग द्वारा राज्य में पांच चरणों में चुनाव कराने की घोषणा से चुनाव आयोग के सम्मान पर ही बट्टा लगा हैं, अब शायद ही राज्य की जनता या विपक्षी दल चुनाव आयोग के किसी बातों पर विश्वास करेगा।

वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश कुमार सिंह अपने सोशल साइट पर लिखते हैं कि “अजीब विडम्बना है। झारखण्ड में सरकार दावा करती है कि नक्सलवाद अंतिम सांस गिन रहा है। नक्सलियों का खात्मा हो गया है। नाममात्र के नक्सली बचे हैं। फिर चुनाव आयोग घोर नक्सल प्रभाव की वजह से इस छोटे से राज्य में पांच चरणों में चुनाव कराता है। आयोग के मुताबिक 81 में 67 विधानसभा माओवाद प्रभावित है। सनद रहे, महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में भी एक चरण में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुआ था।”