राजनीति

राहु-केतु के कारण अपना विधायक दल का नेता नहीं चुन पानेवाली भाजपा, पहले गुजरात व उत्तराखण्ड सरकार का विरोध करे तब हेमन्त सरकार पर अंगूली उठाए – झामुमो

झामुमो के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि तीन अगस्त को झारखण्ड विधानसभा में एक ऐतिहासिक निर्णय हुआ था। एक प्रस्ताव पारित किये गये, जिसमें भ्रष्टाचार/कदाचार रोकने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में एक कानून के शक्ल में एक प्रस्ताव पारित हुआ जो माननीय राज्यपाल को स्वीकार करने के लिए भेजा गया ताकि इस राज्य में जो पब्लिक सर्विसेज हैं चाहे वो जेपीएससी हो या जेएसएससी के द्वारा हो या अन्य एजेंसियों के द्वारा हो, उसमें कदाचार न हो पाये।

सुप्रियो ने कहा कि कदाचार इसलिए नहीं हो पाये क्योंकि देखा गया है कि जहां भाजपा का भी शासन है, जैसे गुजरात में पिछले दस वर्षों में वहां तेरह बार, उत्तर प्रदेश में पिछले सात वर्षों में ही छह बार पेपर लीक हुए। मध्यप्रदेश में तो व्यापम घोटाला का इतिहास रहा है। हर प्रतियोगी परीक्षा में वहां पेपर का लीक होना सर्वविदित है। झारखण्ड में भी भाजपा के शासन में दो बार पेपर लीक हुए। इस पेपर लीक के चक्कर में कई बार बच्चे आत्महत्या तक कर लेते हैं, कई विषाद में चले जाते हैं।

सुप्रियो ने यह भी कहा कि कतिपय जो लोग पेपर लीक में लगे रहते हैं, उनके आर्थिक फायदे के कारण कई भविष्य समाप्त हो जाते हैं, इसको देखकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने संज्ञान  लिया और पहले पब्लिक डोमेन में कहा कि वे ऐसा कानून बनायेंगे कि कोई हिम्मत न कर सकें कि वो पेपर लीक कर सकें। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग जो व्यापम के उत्तराधिकारी हैं, जो गुजरात पेपर लीक के अधिकारी है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने जैसे ही इस विधेयक को लाया। भाजपाइयों के पेट में दर्द होना शुरु हो गया।

सुप्रियो ने कहा कि वे कल अहले सुबह किसी तरह राज्यपाल को झकझोर कर, जगाकर, राज्यपाल से कहा कि वे इस विधेयक को स्वीकृति प्रदान न करें। मतलब कदाचार-भ्रष्टाचार बढ़े। बच्चों का भविष्य भाड़ में जाये लेकिन हमारी काली कमाई जारी रहे। पेपर लीक से जो आर्थिक फायदे होते हैं, वो बाबूलाल मरांडी के साथ साथ भाजपा के विधायकों के पास भी जाये यह उनकी प्राथमिकता थी। ये बातें सुनकर, देखकर व समझकर भी आदमी अंदाजा लगा लेता है कि कोई कैसे दुराचार-कदाचार का समर्थन कर सकता है। पैरवी कर सकता है, उसके लिए राज्यपाल तक का इस्तेमाल कर सकता है।

सुप्रियो ने कहा कि बाबूलाल मरांडी तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं, इसके पूर्व वे भारत सरकार के मंत्री, सांसद, स्वयं प्रथम मुख्यमंत्री रहे हैं, हर बात ट्विटर पर शेयर करते हैं। क्या उनको पता नहीं कि इसी जनवरी में जहां भाजपा का शासन है। उस गुजरात में गुजरात पब्लिक इक्जामिनेशन प्रीवेन्शन ऑफ अनफेयर मीन्स बिल 2023 पारित हुआ और वो कानून का शक्ल लिया, जिसमें एक से दस साल तक की कैद का और एक करोड़ जुर्माने का भी प्रावधान है। बाबूलाल मरांडी को तो भाजपा शासित इस गुजरात राज्य के कानून का भी विरोध करना चाहिए।

सुप्रियो ने दूसरा उदाहरण उत्तराखण्ड का दिया। जहां भाजपा का शासन है। वहां भी भारत के संविधान अनुच्छेद 213 के अनुच्छेद खण्ड एक के अभिन्न माननीय राज्यपाल ने उत्तराखण्ड प्रतियोगता परीक्षा भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय अध्यादेश 2023 पर 10 फरवरी 2023 को अनुमति प्रदान कर दी। सुप्रियो ने तीसरा उदाहरण राजस्थान का दिया। जहां ये कानून 2022 से लागू है। राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा भर्ती, अनुचित संसाधन के रोकथाम अधिनियम 2022 ये राजस्थान का कानून है। जब कई राज्यों में ऐसे कानून है तो फिर झारखण्ड में इसका इतना विरोध क्यों?

सुप्रियो ने कहा कि बाबूलाल मरांडी गुजरात के इस काले कानून को क्या कहेंगे? उत्तराखण्ड के बारे में क्या कहंगे। क्या ये सब पेपर लीक के नेक्सेस वाले लोग उनके रिश्तेदार है? क्या बाबूलाल मरांडी के शासन में जिस प्रकार जेपीएससी के घोटाले हुए। अध्यक्ष से सदस्य तक जेल गये। यही उनको तकलीफ है, जो उनका मुख्य व्यवसाय रहा है, पब्लिक स्टेट सर्विस कमीशन में पैसे लेकर अपने लोगों को नौकरी देने की प्रथा रोकने से भाजपा को तकलीफ होती है।

सुप्रियो ने कहा कि बाबूलाल मरांडी को अगर विरोध करना है तो उन्हें गुजरात, उत्तराखण्ड आदि सरकारों का भी विरोध करना चाहिए। नहीं तो सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे। ये बार-बार राजभवन का इस्तेमाल कर भ्रम की स्थिति पैदा करना ठीक नहीं। आजसू के नेता सुदेश महतो को भी इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहिए।

सुप्रियो ने इसी दौरान भाजपा पर गंभीर टिप्पणी भी कर दी, साथ ही कहा कि अरे जो पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी कहलाती है, अपना विधायक दल का नेता नहीं चुन पाता, उसे क्या कहा जाये। दो-दो पंडित आये थे। विधानसभा सत्र के पहले एक वाजपेयी और दूसरे चौबे। क्या पतरा और जंतर-मतर लेकर आये थे। सारे विधायको के कुंडली का गणना किये। यहां भी कुछ पंडित है। गणना करने के बाद उन दोनों पंडितों ने पाया कि यहां तो पच्चीसों के पच्चीसों राहु के वाहक हैं, यदि इसका राहु मजबूत है तो उसका केतु कमजोर है। उसका केतु मजबूत है तो इसका राहु कमजोर है।

कौन कौन किस स्थान पर बैठा है नहीं पता। अब जो पार्टी राहु-केतु के कारण अपना विधायक दल का नेता नहीं चुन पाता, वो कदाचार मुक्त परीक्षा पर बयानबाजी कर रहा है। दरअसल भ्रष्टाचार तो भाजपा का शिष्टाचार है। उससे भाजपा कैसे मुंह मोड़ेगी। झामुमो राज्यपाल से मांग करती है कि चूंकि इस राज्य में नियुक्तियों की लंबी सूची जारी होनी हैं इसलिए परीक्षाएं कदाचारमुक्त हो, पारदर्शी हो, इसके लिए जितना जल्द हो सकें, राज्यपाल विधेयक पर अपनी सहमति प्रदान करें।