राजनीति

स्वच्छता के नाम पर अमित शाह और झारखण्ड के CM रघुवर दास तथा उनके मंत्रियों की नौटंकी

सफाई या नौटंकी?

रांची की एक छोटी सी जगह और झाड़ू मारनेवाले नेताओं की संख्या छह। भाई ये नौटंकी नहीं तो और क्या है?  आप किसे उल्लू बना रहे हैं, आपने रांची की जनता को समझ क्या रखा है?  रांची की जनता आपको बहुत अच्छी तरह समझ चुकी हैं।

हां भाइयों, नौंटकी देखना है, तो भाजपा नेताओं की देखिये। नौटंकी सीखना हो, तो भाजपा नेताओं से सीखिये। आजकल ये स्वच्छ भारत बनाने के लिए निकल पड़े है। ये स्वच्छता अभियान वहां चलाते है, जहां गंदगी ही नहीं होती।

ये झाड़ू सुट-बूट पहन कर लगाते है। वे वहीं झाड़ूं लगाते है, जहां गंदगी ही नहीं होती। इस कारण इनके सुट-बुट पर झाड़ू लगाने का कोई असर ही नहीं पड़ता। ये झाड़ू भी वहीं पकड़ते है, जिस झाड़ू से कभी सफाई हुई ही न हो। इनका मानना है कि जो झाड़ू उपयोग में लाया गया होता है, उस झाड़ू से इन्हें बीमारी का खतरा होता है, इसलिए हायजेनिक झाड़ू नया- नया बाजार से खरीद कर इन नेताओं के हाथों में थमाया जाता है। जहां झाड़ू चलना या चलाना होता है, वहां अखबारों या चैनलों के कैमरामैन पहुंचे या नहीं, इसका विशेष ख्याल रखा जाता है, ताकि उनके इस झाड़ू पकड़ने का माइलेज मिल सके।

आप इन्हें कितना भी कह लें कि आप उन जगहों पर चले, जहां सचमुच सफाई अभियान की आवश्यकता है, ये नहीं जायेंगे, क्योंकि उन जगहों पर जाने से इन्हें सीधे अस्पताल जाने का खतरा रहता है। ये ऐसे लोग है, जो कभी भी अपने घरों में अथवा कार्यालयों में कभी झाड़ू नहीं पकड़ते, यहां तक की जिस कुर्सी पर ये बैठते है, उस कुर्सी को साफ करने के लिए भी ये अलग से एक आदमी रखते है, पर कैमरा के सामने नया – नया झाड़ू पकड़ने के लिए ये सबसे आगे रहते हैं। ये हैं भाजपा के आधुनिक नेता।

ये तो उन जगहों पर भी गंदगी फैलाते है, जहां पहले से सफाई रहती है, और फिर झाड़ू पकड़कर फोटो खींचवाकर अखबारों और चैनलों में उन तस्वीरों को दे आते है ताकि जनता की आंखों में धूल झोंक आये। पिछले तीन दिनों से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह स्वच्छता अभियान के नाम पर रांची में नौंटकी किये हुए है, इनकी नौटंकी की तस्वीर साफ बता रही है कि स्वच्छता और सफाई के नाम पर इन्होंने क्या किया है? जरा यहां दी गई तस्वीर देखिये। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, नगर विकास मंत्री सी पी सिंह सभी शानदार कपड़े पहनकर हाथ में नई – नई झाड़ू लेकर,  पहले से ही साफ सड़क की सफाई करने का नाटक करते हुए फोटो खींचवाने के लिए पैतरे दे रहे हैं. फोटो खींचा गया, पैतरा बंद, और क्या चाहिए, इस नौटंकी के माध्यम से जनता को संदेश मिल गया। वह भी महात्मा गांधी के नाम पर।

जो सही मायनों में स्वच्छता के लिए, काम करते थे। गांधी बोलते नहीं थे और न ही पैतरे देते थे। अगर गांधी की स्वच्छता अभियान का नजारा देखना हो तो 1982 में बनी रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी देखिये, जिसमें स्वच्छता के बारे में गांधी के विचार को कितने सुंदर ढंग से वर्णन किया गया है, पर इन भाजपाइयों ने गांधी के नाम पर ऐसा नौटंकी शुरु किया है, कि इस नौटंकी को देखकर अब स्वयं भाजपा कार्यकर्ताओं को ही उबकाई होने लगी है।

जरा देखिये इस नौटंकी को झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने सोशल साइट पर किस प्रकार उड़ेला है और उनकी ही सोशल साइट पर झारखण्ड की सामान्य जनता ने किस प्रकार कमेंट्स देकर इनकी अभियान की बखियां उधेड़ दी हैं। जरा ध्यान से देखिये, आम जनता के कमेंट्स को –

खुसरो परवेज कहते है स्वच्छता ही लानी है तो पहले अपने दिमाग में लाओ अपने आंखों में पड़े परदे को हटाओ, सिर्फ झाड़ू लगाने से कुछ नहीं होगा।

अखिलार्जुन मेहता कहते है कि झाड़ू लगा रहे हो फोटो खिंचवा रहे हो, विधान भवन के पास वाला नाला ही पहले साफ करो, बाकी रांची वाले खुद कर लेंगे।
शेखर गुप्ता कहते है कि सरकार क्लीन रोड को ही क्लीन कर रही है।

अदिल हुसैन कहते है कि गजब का नाटक चल रहा है।

लक्ष्मण मुर्मू कहते है कि कचड़ा कहां है?

सनोज चौरसिया कहते है कि भाई जब कचरा नहीं है, तो साफ क्या कर रहे हैं?

मंटू पांडे कहते है कि साहब कचड़ा नजर नहीं आया।

हां एक बात और ये वहीं राज्य है, जहां पर एक स्वच्छता मंत्री भी है, जिसका नाम चंद्र प्रकाश चौधरी है, वह इस पूरे स्वच्छता अभियान से ही स्वयं को अलग रखता है, है न आश्चर्य वाली बात, तो अब आप समझ लीजिये कि यह स्वच्छता अभियान के नाम पर सफाई चला या पूर्णतः भाजपाइयों की नौटंकी।