अपनी बात

जानिये समस्तीपुर के डा. अशोक को, जिन्होंने दंगाइयों से 20 मुस्लिम बच्चों की जान बचाई

जब तक बिहार में डा. अशोक मिश्र जैसे इन्सान जीवित है, दुनिया की कोई ताकत मानवता की बुनियाद को हिला नहीं सकती। बिहार ऐसे ही लोगों के कारण जाना जाता है। बिहार में सांप्रदायिक सद्भाव की जड़े इतनी गहरी है कि कोई इसे हिला नही सकता, बस जरुरत है, ऐसे लोगों के मनोबल, और उनके उत्साह को बढ़ाने की सम्मान देने की। अगर सरकार ऐसे लोगों को सम्मान देना प्रारंभ करें तथा सामाजिक समरसता के लिए कार्य करनेवाले लोगों के कार्यों को जन-जन तक पहुंचाये तो फिर मजाल है किसी की, कि वो हमारी बुनियाद को कमजोर कर सकें।

ये सच्ची कहानी है, बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसड़ा में रहनेवाले डा. अशोक मिश्र की, जिन्होंने 27 मार्च को दंगाइयों से 20 मुस्लिम बच्चों समेत मदरसे के संचालक मौलाना नजीर अहमद नदवी को भी बचा लिया। दरअसल अशोक मिश्र चिकित्सक है और उनका क्लिनिक एवं आवास, ठीक मदरसे के बगल में है। जब दंगाइयों ने मदरसे पर हमले की कोशिश की, तब वे अपने मरीजों को घर में देख रहे थे, तभी किसी ने सूचना दी कि मदरसे के बच्चे उनके घर के पास मदद के ख्याल से खड़े है। डा. अशोक मिश्र ने तनिक देर नही की और बच्चों को दंगाइयों से बचाने के लिए सभी को अपने घर में शरण दे दिया।

सूत्र बताते है कि बच्चे बहुत ही डरे हुए थे, उनके साथ जो शिक्षक थे, वे भी डरे हुए थे, पर डा. अशोक मिश्र ने सभी को भयमुक्त किया और सभी की जान बचाने में लग गये। इधर मदरसे को चला रहे मौलाना नजीर अहमद नदवी, डा. अशोक मिश्र की प्रशंसा करते नहीं थकते, वे कहते है कि डा. अशोक मिश्र जैसे इन्सान अगर सभी जगह हो जाये तो फिर कहीं दंगे हो ही नहीं। डा. अशोक मिश्र के इस सुंदर कार्य की समस्तीपुर में खूब प्रशंसा हो रही हैं।