फुसरो नगर परिषद चुनाव में अपनों ने ही खड़ें किये भाजपा उम्मीदवारों के सामने मुश्किलें

फुसरो नगर परिषद में भाजपा के अपने ही लोगों ने उनके अध्यक्ष पद के प्रत्याशी भाजपा के जिलाध्यक्ष जगन्नाथ राम और उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी शिवलाल रविदास के होश ठिकाने लगा दिये है, फुसरो में भाजपा कहीं से भी सीधी टक्कर में दिखाई नहीं पड़ रही हैं, यहां भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी इस कदर है कि ऐसी नाराजगी कहीं नहीं दिखाई पड़ती, इसलिए यहां भाजपा के उम्मीदवार अगर तीसरे या चौथे नंबर पर भी दिखाई पड़ जाये तो गनीमत है।

सूत्र बताते है कि यहां भाजपा की ओर से अध्यक्ष पद के लिए प्रबल उम्मीदवार सुरेश दूबे तथा उपाध्यक्ष पद के लिए प्रखंड अध्यक्ष प्रमोद सिंह तथा सत्येन्द्र नारायण सिंह थे, पर भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं ने इनकी टिकट काटकर अध्यक्ष पद के लिए जगन्नाथ राम और उपाध्यक्ष पद के लिए शिवलाल रविदास को अपना प्रत्याशी बनाया।

अगर अन्य दलों पर नजर डाले तो अध्यक्ष पद के लिए भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी ने जवाहर यादव, झामुमो ने आलमगीर खान, कांग्रेस ने चुन्नू सिंह, आजसू ने संतोष महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा से ही जुड़े वसंत सिंह, भारतीय मजदूर संघ से जूड़े संत सिंह और भाजपा एवं संघ परिवार से जुड़ी सशक्त महिला प्रत्याशी अर्चना सिंह भी अपना किस्मत आजमा रही हैं।

सूत्र बताते है कि धनबल देखा जाये तो धनबल में चुन्नू सिंह आगे है, पर जनबल देखा जाये तो उसमें अर्चना सिंह सशक्त दिखाई पड़ती हैं, पर भाजपा उम्मीदवार की ओर नजर डाले तो न हीं धनबल, न ही जन बल और न ही पार्टी के कार्यकर्ताओं का बल ही उनके साथ दिखाई पड़ रहा हैं, क्योंकि भाजपा एवं संघ से  जूड़े लोग ही इस बार इतनी संख्या में खड़े होकर उनके रास्ते में परेशानी खड़े कर दे रहे है कि जीत तो दूर ये टक्कर देने की स्थिति में भी नहीं हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी चून्नू सिंह के पास धनबल तो है ही, साथ ही कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र प्रसाद सिंह का पुराना राजनीतिक अनुभव भी उनके साथ काम कर रहा हैं, झामुमो के आलमगीर खान की भी लोकप्रियता यहां कम नहीं है, जबकि अर्चना सिंह जो अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में खड़ी हैं, उनकी भी स्थिति काफी मजबूत दीख रही है। निर्दलीय होने, समाज के प्रति पुराना और जबर्दस्त झूकाव, संघ परिवार से पुराना संबंध, दो-दो बार इस इलाके से वार्ड पार्षद के रुप में काम करना तथा पिछली बार रिकार्ड मतों से वार्ड पार्षद के रुप में जीत  हासिल करना, तथा समाज के सभी वर्गों के बीच लोकप्रियता यहां सारे राष्ट्रीय पार्टियों को उनके आगे बैकफूट पर लाकर खड़ा कर दी है, यानी यहां मामला रोचक है। यहां जीत जब भी होगी तो चाहे यहां से कांग्रेस या झामुमो का उम्मीदवार जीते, नहीं तो निर्दलीय अर्चना सिंह की जीत यहां सुनिश्चित है, भाजपा की स्थिति यहां बेहद खराब है, और ये कहीं से भी टक्कर में नहीं दीख रही।

यहां के राजनीतिक पंडितों का कहना है कि यहां भाजपा के पिछड़ने का मूल कारण भाजपा का अति पिछड़ा प्रेम है, अगर भाजपा सामाजिक संतुलन का ध्यान रखते हुए यहां किसी भी एक पद पर अगर एक अगड़ा उम्मीदवार दे देती, तो यहां भाजपा की स्थिति मजबूत हो सकती थी, पर एक सीट पर अति पिछड़ा उम्मीदवार और दूसरे पर दलित समुदाय को दे दिया गया भाजपा का टिकट, भाजपा के लिए परेशानी का कारण बन गया, अब यहां स्थिति ऐसी है कि चाहकर भी भाजपा अब जीत का स्वाद नहीं चख पायेगी।